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एआई और भारतीय संगीत: रागों के रहस्य में उलझे कृत्रिम मेघा के रोचक जवाब!

संगीत का जादू ऐसा है कि यह दिल को छू लेता है, और जब बात भारतीय शास्त्रीय संगीत की हो, तो इसके रागों की गहराई हर किसी को मंत्रमुग्ध कर देती है। लेकिन क्या कृत्रिम मेधा (artificial intelligence) भी इस गहराई को समझ सकती है? हाल ही में एक संगीत प्रेमी ने इस सवाल का जवाब ढूंढने की कोशिश की और विभिन्न एआई टूल्स से एक गीत के राग के बारे में पूछा। जवाबों ने न सिर्फ हैरान किया, बल्कि एआई की सीमाओं को भी सामने ला दिया। यह अनुभव हर संगीत प्रेमी और तकनीक के शौकीन के लिए सोचने लायक है।

एक गीत और उसकी खोज की शुरुआत
कहानी शुरू होती है एक पुराने गीत से – “साथी रे भूल न जाना मेरा प्यार”, जो 1977 की फिल्म “कोतवाल साहब” का हिस्सा है। इस गीत को मशहूर संगीतकार स्वर्गीय रविंद्र जैन ने रचा था और आशा भोसले ने अपनी मधुर आवाज से इसे अमर बना दिया। संगीत प्रेमी ने बताया कि बहुत दिनों बाद गाना सुनने का मन हुआ। उन्होंने यूट्यूब पर इसे ढूंढा और फिर इसे “जी भर के” सुना। गीत की मिठास और भावनाओं में डूबने के बाद उनके मन में एक सवाल उठा—यह गीत किस राग पर आधारित है? जवाब जानने के लिए उन्होंने एआई की मदद लेने का फैसला किया।

एआई के जवाब: हर बार एक नई कहानी
सबसे पहले उन्होंने Grok से पूछा। Grok ने राग का नाम तो नहीं बताया, लेकिन एक लंबा-चौड़ा जवाब देकर बात को घुमा दिया। फिर ChatGPT से सवाल किया, जिसने बड़े विश्वास के साथ कहा कि यह गीत राग यमन पर आधारित है और राग यमन की खासियतें भी गिनाईं। उत्सुकता बढ़ी तो DeepSeek से पूछा, जिसने इसे राग भीम पलासी पर आधारित गीत बताया। Google Gemini ने दावा किया कि यह राग मारवा पर कंपोज किया गया है। Perplexity AI और Claude 3.7 Sonnet ने फिर से राग यमन का नाम लिया। लेकिन Alibaba का Qwen3 कुछ अलग ही रास्ते पर था—उसने इसे मिश्र भैरवी राग पर आधारित बताया।

हर एआई का जवाब अलग-अलग। एक ही गीत के लिए इतने सारे राग! यह सुनकर कोई भी हैरान हो सकता है।

क्या एआई समझ सकता है रागों का जादू?
इन परस्पर विरोधी जवाबों ने एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया—क्या एआई सचमुच भारतीय संगीत की बारीकियों को समझ सकता है? राग सिर्फ नोट्स का समूह नहीं हैं; ये भावनाओं, परंपरा और संस्कृति का संगम हैं। यह कला सदियों से गुरु-शिष्य परंपरा में पनपी है, जिसे समझने के लिए संवेदनशीलता और अनुभव चाहिए। एआई भले ही तकनीक का चमत्कार हो, लेकिन इन जवाबों से साफ है कि रागों की गहराई को समझने में वह अभी पीछे है।

संगीत प्रेमी ने कहा, “मैं यह अनुभव इसलिए साझा कर रहा हूं ताकि लोग जान सकें कि एआई को संगीत और रागों के बारे में कितनी जानकारी है। यह मजेदार भी था और थोड़ा निराश करने वाला भी।” उनके लिए यह गीत सिर्फ एक melodi नहीं था, बल्कि एक भावनात्मक यात्रा थी, जिसे एआई पूरी तरह समझ नहीं सका।

मानव और मशीन का अंतर
यह घटना तकनीक और कला के बीच के अंतर को उजागर करती है। जहां इंसान गीत को सुनकर उसकी भावनाओं में खो जाता है, वहीं एआई उसे डेटा और पैटर्न के चश्मे से देखता है। फिर भी, यह प्रयोग अपने आप में रोचक था। यह दर्शाता है कि एआई कितनी भी उन्नत हो, मानवीय संवेदनाओं और सांस्कृतिक धरोहर को समझने में उसे अभी लंबा रास्ता तय करना है।

आप भी साझा करें अपनी कहानी
यह अनुभव हमें सोचने पर मजबूर करता है कि तकनीक और कला का मेल कितना संभव है। संगीत प्रेमी ने पाठकों से एक सवाल भी छोड़ा – क्या आपके पास एआई के साथ कोई ऐसा ही रोचक अनुभव है? क्या आपने कभी एआई से संगीत, राग या कला के बारे में कुछ पूछा और चौंकाने वाला जवाब मिला? अपनी कहानियां और विचार कमेंट सेक्शन में जरूर साझा करें।

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