कोरबा (पब्लिक फोरम)। घने जंगलों के बीच बसे ग्राम सरडीह की विशेष पिछड़ी जनजाति पहाड़ी कोरवा की महिला संझई बाई के जीवन में प्रधानमंत्री जनमन योजना ने उम्मीदों की नई किरण जगाई है। गरीबी और संघर्ष के बीच संझई बाई का जीवन तब और कठिन हो गया, जब बीमारी के चलते उनके पति का निधन हो गया।
संझई बाई और उनके पति कच्चे मकान में रहते हुए पक्के घर का सपना देखते थे। लेकिन पति के निधन के बाद यह सपना टूट गया। बेटे ने भी अपनी जिम्मेदारियों से किनारा कर लिया, जिससे संझई बाई पर अपने नाती-पोतों की देखभाल का बोझ आ गया। बारिश के दिनों में कच्चे मकान में जीवन जीना उनके लिए एक बड़ी चुनौती बन गया था।
प्रधानमंत्री जनमन योजना ने संझई बाई जैसे हजारों पहाड़ी कोरवा परिवारों की जिंदगी को नई राह दिखाई है। योजना के तहत जब उन्हें पक्के मकान की स्वीकृति मिली, तो उन्हें यकीन ही नहीं हुआ। खाते में राशि आते ही उनके सपने को साकार होते देख उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा।
संझई बाई का कहना है, “अब बारिश के दिनों में कच्चे मकान की तकलीफ नहीं झेलनी पड़ेगी। सरकार ने हमारी समस्याओं को समझा और हमें नया जीवन दिया।” पक्का मकान बनते ही उनकी जिंदगी की सबसे बड़ी मुसीबतें दूर हो गई हैं।
जिले में प्रधानमंत्री जनमन योजना के तहत पहाड़ी कोरवा और बिरहोर जैसी विशेष पिछड़ी जनजातियों के परिवारों को पक्के मकान का लाभ मिल रहा है। मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय की पहल से हितग्राहियों को इस योजना के तहत तेजी से लाभान्वित किया जा रहा है।
संझई बाई की संघर्ष और उम्मीदों की यह कहानी अन्य गरीब परिवारों के लिए प्रेरणा बन गई है। पीएम जनमन योजना ने न केवल उनके जीवन को स्थिरता दी है, बल्कि उन्हें एक सम्मानजनक जीवन जीने का अवसर भी दिया है।
पति की मौत के बाद संझई बाई को मिला पीएम जनमन योजना से नया जीवन
RELATED ARTICLES
Recent Comments