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कोरबा: SECL के करोड़ों के ठेके के बावजूद प्रभावित ग्रामीण 600 रुपये में टैंकर पानी खरीदने को मजबूर

कोरबा में जल संकट, SECL की लापरवाही से प्रभावित ग्रामीणों का हाल बेहाल

कोरबा (पब्लिक फोरम)। गर्मी का पारा चढ़ने के साथ ही कोरबा के दक्षिण पूर्वी कोलफील्ड्स लिमिटेड (SECL) से प्रभावित ग्रामीण क्षेत्रों में जल संकट गहराता जा रहा है। SECL प्रबंधन द्वारा करोड़ों रुपये के ठेके के बावजूद प्रभावित गांवों में नियमित पेयजल और निस्तार के लिए पानी की आपूर्ति नहीं हो रही है। ग्रामीणों को अपनी जेब से 600 रुपये प्रति टैंकर पानी खरीदने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है, जिससे उनमें गहरा आक्रोश और नाराजगी व्याप्त है। यह स्थिति किसी भी समय आंदोलन का रूप ले सकती है।

ठेकेदारों की लापरवाही, प्रबंधन की अनदेखी
SECL हर साल प्रभावित गांवों में शुद्ध पेयजल और निस्तार के लिए पानी की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए करोड़ों रुपये का टेंडर जारी करता है। इसके तहत ठेकेदारों को टैंकरों के माध्यम से गांव के हर मोहल्ले और गली में नियमित जल आपूर्ति की जिम्मेदारी दी जाती है। हालांकि, ठेकेदार इस जिम्मेदारी को महज खानापूर्ति तक सीमित रखते हैं। कई गांवों में टैंकर समय पर नहीं पहुंचते, और कुछ जगहों पर तो टैंकर का नामोनिशान तक नहीं होता। हैरानी की बात यह है कि बिना आपूर्ति के भी ठेकेदारों के बिल पास किए जा रहे हैं, जिससे प्रबंधन की कार्यशैली पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं।

खनन के दुष्परिणाम: सूख रहे जल स्रोत 
SECL के मेगा प्रोजेक्ट्स और खदान विस्तार ने प्रभावित गांवों की जल समस्या को और गंभीर बना दिया है। खदानों की गहराई बढ़ने के कारण हैंडपंप, कुएं और बोरवेल जैसे जल स्रोत सूख गए हैं। गर्मी के मौसम में यह संकट और भी विकराल हो जाता है, क्योंकि ग्रामीणों के पास पेयजल और दैनिक उपयोग के लिए पानी का कोई विश्वसनीय स्रोत नहीं बचता। ग्रामीणों का कहना है कि प्रबंधन और ठेकेदारों की उदासीनता ने उनकी मुश्किलें दोगुनी कर दी हैं।

ग्रामीणों की गुहार, प्रबंधन की चुप्पी
प्रभावित गांवों के निवासियों ने स्थानीय जनप्रतिनिधियों के माध्यम से SECL प्रबंधन को कई बार इस समस्या से अवगत कराया है। आवेदन और निवेदन के बावजूद प्रबंधन ठेकेदारों पर कोई सख्त कार्रवाई करने में नाकाम रहा है। ग्रामीणों का आरोप है कि ठेकेदार केवल समय काटने और बिल पास कराने में लगे हैं, जबकि पानी की आपूर्ति उनकी प्राथमिकता में ही नहीं है। इस स्थिति ने ग्रामीणों के सब्र का बांध तोड़ दिया है, और वे अब आंदोलन की राह पर बढ़ने को तैयार हैं।

600 रुपये प्रति टैंकर: ग्रामीणों की मजबूरी 
जल संकट से त्रस्त ग्रामीणों ने बताया कि SECL द्वारा टैंकरों से नियमित जल आपूर्ति का वादा तो किया जाता है, लेकिन हकीकत में उन्हें अपनी जरूरतें पूरी करने के लिए निजी टैंकरों पर निर्भर रहना पड़ता है। एक टैंकर के लिए 600 रुपये का खर्च ग्रामीणों के लिए भारी पड़ रहा है, खासकर तब जब SECL को इसकी जिम्मेदारी लेनी चाहिए। ग्रामीणों का कहना है कि प्रबंधन की लापरवाही और ठेकेदारों की मनमानी के कारण उन्हें हर साल इस समस्या से जूझना पड़ता है।

अब आगे क्या?
SECL के प्रभावित गांवों में जल संकट अब केवल एक समस्या नहीं, बल्कि एक सामाजिक अन्याय का रूप ले चुका है। ग्रामीणों की मांग है कि प्रबंधन ठेकेदारों पर कड़ी निगरानी रखे, बिना आपूर्ति के बिल पास करने की प्रथा को रोके और प्रभावित क्षेत्रों में स्थायी जल समाधान प्रदान करे। यदि स्थिति में सुधार नहीं हुआ, तो ग्रामीण आंदोलन की चेतावनी दे रहे हैं। इस मामले में SECL प्रबंधन की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, जिससे ग्रामीणों का गुस्सा और भड़क रहा है।

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