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बालकोनगर में अवैध अतिक्रमण पर प्रशासन की बड़ी कार्रवाई: लोगों की भावनाओं के साथ सख्ती का संतुलन?

कोरबा (पब्लिक फोरम)। कोरबा जिले के बालकोनगर क्षेत्र में अवैध अतिक्रमण के खिलाफ एक बड़ी कार्रवाई ने सबका ध्यान खींचा है। नगर के मुख्य व्यापारिक स्थल सेक्टर-3 के सिविक सेंटर में फैले अतिक्रमण को हटाने के लिए बालको प्रबंधन, जिला प्रशासन और नगर पालिक निगम ने मिलकर सख्त कदम उठाया। यह कार्रवाई न सिर्फ कानून का पालन कराने के लिए थी, बल्कि लोगों की भावनाओं और जरूरतों को समझते हुए भी की गई।

क्या हुआ और क्यों हुई यह कार्रवाई?
बालकोनगर के सेक्टर-3 और सेक्टर-5 में पिछले कुछ दिनों से अवैध निर्माण तेजी से बढ़ रहे थे। पिछले 10 दिनों में ही सेक्टर-3 में 29 और सेक्टर-5 में 10 नए अतिक्रमण सामने आए। ये निर्माण बालको की जमीन पर कब्जे की कोशिश के तौर पर देखे जा रहे थे। इस समस्या को गंभीरता से लेते हुए प्रशासन ने कार्रवाई का फैसला किया।

इससे पहले, बालको प्रबंधन ने अतिक्रमण करने वालों को नोटिस जारी किया था। कोरबा के अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) ने 28 मार्च 2025 को इस कार्रवाई के लिए पत्र भी जारी किया। जनहित याचिका और लोगों की शिकायतों के बाद नगर निगम ने इसे प्राथमिकता दी। शुक्रवार को शुरू हुई इस कार्रवाई में पुलिस की मौजूदगी में शांतिपूर्ण तरीके से अतिक्रमण हटाया गया।

प्रशासन का सख्त संदेश
इस कार्रवाई के जरिए प्रशासन ने साफ कर दिया कि अवैध निर्माण को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। बालकोनगर थाने की पुलिस ने सुरक्षा सुनिश्चित की, ताकि कोई विवाद न हो। जिला प्रशासन ने सभी पक्षों से सहयोग मांगा और यह कोशिश की कि कार्रवाई में किसी को अनावश्यक परेशानी न हो।

लोगों की भावनाएं और व्यापारियों की चिंता
इस कार्रवाई का एक भावनात्मक और  मानवीय पहलू भी है। कामकाजी-कारोबार-संगठन ने प्रशासन के इस कदम का स्वागत तो किया, लेकिन छोटे व्यापारियों की रोजी-रोटी का सवाल भी उठाया। संगठन का कहना है कि अतिक्रमण हटाना तो जरूरी है, लेकिन छोटे दुकानदारों को पहले एक वैकल्पिक व्यवस्था तो दी जानी चाहिए। उनकी मांग है कि तोड़फोड़ से पहले व्यापारियों से बातचीत हो और सबसे पहले उनकी आजीविका का ध्यान रखा जाए।

संगठन ने यह भी कहा कि कोरबा जिले के औद्योगिक क्षेत्रों जैसे बालको, एसईसीएल, एनटीपीसी और सीएसईबी में सेवा दिए रोजगार विहीन कर्मचारियों और उनके परिवारों, भूविस्थापितों तथा स्थानीय निवासियों को भी आजीविका/व्यापार के लिए कम से कम 60 प्रतिशत दुकानें/स्थल आवंटित की जानी चाहिए। अगर ऐसा नहीं हुआ, तो भविष्य में यह एक और गंभीर समस्या बन सकती है।

यह कार्रवाई न सिर्फ कानून को लागू करने की मिसाल है, बल्कि लोगों की भावनाओं को समझने की कोशिश भी दिखाती है। प्रशासन ने सख्ती तो दिखाई, लेकिन शांतिपूर्ण तरीके से काम किया। वहीं, कारोबार संगठन की मांग ने इस बात को रेखांकित किया कि नगर विकास और व्यवस्था के साथ-साथ इंसानी जिंदगियों का ख्याल रखना भी निहायत जरूरी है।

अब आगे क्या?
बालकोनगर में अतिक्रमण की समस्या लंबे समय से चली आ रही है। इस कार्रवाई से एक सख्त संदेश तो गया, लेकिन असली सवाल यह है कि क्या यह स्थायी समाधान दे पाएगी? बालको प्रबंधन और निगम प्रशासन को अब नगर सुरक्षा की निगरानी बढ़ानी होगी और छोटे व्यापारियों के लिए भी ठोस कदम उठाने होंगे, ताकि न तो कानून टूटे और न ही किसी की रोजी-रोटी छिने।

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