कोरबा (पब्लिक फोरम)। जिले के आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों के सर्वांगीण विकास और सरकारी योजनाओं की अंतिम छोर तक पहुंच सुनिश्चित करने के उद्देश्य से भारत सरकार द्वारा ‘आदि कर्मयोगी अभियान’ चलाया जा रहा है। यह अभियान 17 सितम्बर से 2 अक्टूबर 2025 तक विशेष सेवा अभियान के रूप में संचालित होगा।
अभियान की पृष्ठभूमि
प्रधानमंत्री ने 2 अक्टूबर 2024 को ‘धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान’ की शुरुआत की थी। इसका उद्देश्य अनुसूचित जनजातियों के जीवन स्तर को सुधारना और उनके गांवों में प्रमुख योजनाओं का शत-प्रतिशत लाभ पहुंचाना है। इसी क्रम में जनजातीय कार्य मंत्रालय द्वारा कैडर आधारित मॉडल पर आधारित “आदि कर्मयोगी अभियान” लागू किया गया है। यह मॉडल भागीदारी योजना निर्माण, अंतर-विभागीय समन्वय और सुशासन पर आधारित है।
कोरबा जिले में अभियान की रूपरेखा
कोरबा जिले के कुल 479 जनजातीय बाहुल्य ग्राम इस अभियान में शामिल किए गए हैं। यह पांच विकासखण्डों – कोरबा, कटघोरा, करतला, पाली और पोंड़ी-उपरोड़ा – में फैले हुए हैं।
अभियान को सफल बनाने के लिए मुख्य कार्यपालन अधिकारी, जिला पंचायत कोरबा को जिला नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है।
सभी जनपद पंचायतों के मुख्य कार्यपालन अधिकारी ब्लॉक नोडल अधिकारी होंगे।
हर गांव में 20 स्वयंसेवी वालंटियर (आदि कर्मयोगी, आदि सहयोगी और आदि साथी) तैयार किए जाएंगे।
ये वालंटियर योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन, ग्राम विकास योजना निर्माण और सामुदायिक भागीदारी को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाएंगे।
सेवा और सुशासन पर विशेष फोकस
अभियान के तहत आवास, सड़क, स्वास्थ्य, शिक्षा, पेयजल और रोजगार जैसी बुनियादी सुविधाओं पर जोर दिया जाएगा। साथ ही, जिला और ब्लॉक स्तर पर प्रशिक्षित जमीनी कार्यकर्ताओं और सहयोगी संस्थाओं की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी।
प्रत्येक चयनित ग्राम में ‘आदि सेवा केन्द्र’ की स्थापना होगी।
यह केन्द्र सरकारी सेवाओं की उपलब्धता और जनभागीदारी को प्रोत्साहित करने का प्रमुख माध्यम बनेगा।
स्वयंसेवी संस्थाएं, पंचायत प्रतिनिधि, युवा संगठन और सामाजिक कार्यकर्ता भी अभियान में शामिल किए जाएंगे।
व्यापक दृष्टिकोण से जुड़ा अभियान
आदि कर्मयोगी अभियान को धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान, पीएम-जनमन योजना और विकसित भारत 2047 की दृष्टि से जोड़ा गया है। इससे योजनाओं का अभिसरण आधारित, सहभागी और नागरिक केंद्रित सेवा वितरण तंत्र विकसित होगा।
कलेक्टर अजीत वसंत के मार्गदर्शन में यह अभियान न केवल आदिवासी परिवारों को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराएगा, बल्कि भविष्य की आवश्यकताओं के अनुरूप ग्राम स्तर पर क्रिटिकल गैप की पहचान और नई योजनाओं के निर्माण में भी मददगार साबित होगा।
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