कोरबा (पब्लिक फोरम)। बिजली उत्पादन के क्षेत्र में एक बड़ा उथल-पुथल देखने को मिला है। अदानी समूह ने एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए कोरबा स्थित लैंको पावर प्लांट का अधिग्रहण कर लिया है। यह सौदा लगभग 4,000 करोड़ रुपये में संपन्न हुआ है, जो बिजली क्षेत्र में अदानी की बढ़ती ताकत को दर्शाता है।
बुधवार की शाम को हैदराबाद में हुई एक महत्वपूर्ण बैठक में यह ऐतिहासिक फैसला लिया गया। इस बैठक में दोनों पक्षों के शीर्ष प्रबंधन ने हिस्सा लिया और प्लांट के हस्तांतरण की प्रक्रिया को अंतिम रूप दिया। गुरुवार से ही अदानी के अधिकारी इस विशाल बिजली संयंत्र का संचालन अपने हाथों में ले लेंगे।
इस अधिग्रहण की पृष्ठभूमि में एक दिलचस्प कहानी छिपी है। लैंको प्रबंधन ने इस प्लांट की स्थापना के लिए कई बैंकों से भारी मात्रा में कर्ज लिया था। लेकिन समय के साथ, वे इस कर्ज की अदायगी में असमर्थ हो गए। परिणामस्वरूप, सितंबर 2019 में एक्सिस बैंक ने इस मामले को लेकर राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (NCLT) का दरवाजा खटखटाया। NCLT ने लैंको को दिवालिया घोषित कर दिया, जिसके बाद अदानी ने मौके का फायदा उठाते हुए इस प्लांट पर अपना दावा ठोक दिया।
यह अधिग्रहण अदानी समूह के लिए एक बड़ी रणनीतिक जीत है। इसके साथ ही, वे अब छत्तीसगढ़ में NTPC के बाद दूसरे सबसे बड़े बिजली उत्पादक बन गए हैं। यह अदानी की राज्य में तीसरी बिजली परियोजना है, जो उनकी विस्तार योजनाओं को स्पष्ट रूप से दर्शाती है।
अदानी की महत्वाकांक्षाएं यहीं नहीं रुकती। उन्होंने अकलतरा स्थित KSK महानदी पावर प्लांट के लिए 27,000 करोड़ रुपये की एक और बड़ी बोली लगाई है। साथ ही, वे चांपा-जांजगीर में DB पावर प्लांट को भी अपने पोर्टफोलियो में शामिल करने की योजना बना रहे हैं।
इस घटनाक्रम से छत्तीसगढ़ के बिजली क्षेत्र में एक नया अध्याय शुरू होने की संभावना है। अदानी और NTPC के बीच बढ़ती प्रतिस्पर्धा राज्य के बिजली उत्पादन और आपूर्ति को नई ऊंचाइयों पर ले जा सकती है। इससे न केवल राज्य की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि आम नागरिकों को भी बेहतर और अधिक विश्वसनीय बिजली आपूर्ति का लाभ मिल सकता है।
निष्कर्ष के तौर पर, अदानी का यह कदम छत्तीसगढ़ के बिजली क्षेत्र में एक नए युग की शुरुआत का संकेत देता है। यह न केवल एक व्यावसायिक सौदा है, बल्कि राज्य के विकास और प्रगति की दिशा में एक महत्वपूर्ण मोड़ भी है। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि इस अधिग्रहण का छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था और बिजली क्षेत्र पर क्या प्रभाव पड़ता है।
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