कोलर/अभनपुर (पब्लिक फोरम)। राजधानी रायपुर से सटे अभनपुर ब्लॉक के कोलर गाँव में स्थित शिव स्नेक्स और वदित स्नैक्स (कुरकुरे कंपनी) के सैकड़ों मज़दूरों ने अपनी विभिन्न समस्याओं को लेकर आज, रविवार, 27 जुलाई 2025 को एक महत्वपूर्ण बैठक की। शोषण, कम मज़दूरी और अनिश्चित भविष्य की पीड़ा झेल रहे इन कामगारों की आवाज़ को बुलंद करने के लिए छत्तीसगढ़ के मज़बूत श्रमिक संगठन ‘छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा’ और ‘ऑल इंडिया सेंट्रल काउंसिल ऑफ ट्रेड यूनियंस’ (एक्टू) के शीर्ष नेता भी इस बैठक में शामिल हुए।
इस बैठक ने न केवल श्रमिकों में अपने अधिकारों के प्रति एक नई उम्मीद जगाई है, बल्कि क्षेत्र में औद्योगिक इकाइयों में मज़दूरों की स्थिति पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
क्या हैं मज़दूरों की प्रमुख समस्याएं?
एक कहानी शोषण और संघर्ष की
बैठक में शामिल श्रमिकों की आँखों में एक बेहतर भविष्य की आशा तो थी, लेकिन उनकी बातों में वर्षों से जारी शोषण का दर्द भी साफ़ झलक रहा था। नाम न छापने की शर्त पर एक महिला श्रमिक ने बताया, “दिन-रात मेहनत करने के बाद भी हमें इतनी मज़दूरी नहीं मिलती कि हम अपने परिवार का पेट सम्मान से पाल सकें। हमसे काम तो पूरा लिया जाता है, लेकिन जब हक़ की बात आती है, तो कंपनी के मालिक और ठेकेदार हमें अनसुना कर देते हैं।”
सूत्रों के अनुसार, इन फैक्ट्रियों में काम करने वाले अधिकांश मज़दूर ठेका प्रथा के तहत कार्यरत हैं, जिसके कारण उन्हें स्थायी कर्मचारियों वाले लाभ, जैसे कि पीएफ, ईएसआई, और छुट्टियों की सुविधा से वंचित रखा जाता है। काम के घंटे तय नहीं हैं और ओवरटाइम का भी कोई उचित भुगतान नहीं किया जाता।
मज़दूर नेताओं ने बंधाया ढांढस, कहा – “हर लड़ाई में साथ हैं”
श्रमिकों की समस्याओं को सुनने और उनकी लड़ाई को एक संगठित दिशा देने के लिए बैठक में पहुँचे छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष भीमराव बागड़े ने अपने संबोधन में कहा, “यह लड़ाई सिर्फ आपकी नहीं, बल्कि पूरे मज़दूर वर्ग के सम्मान और स्वाभिमान की लड़ाई है। छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा का इतिहास गवाह है कि हमने हमेशा सच और हक़ के लिए संघर्ष किया है और जीता है। हम इन फैक्ट्रियों में श्रम कानूनों का पूर्ण पालन सुनिश्चित करवाएँगे।”

वहीं, एक्टू के राष्ट्रीय सचिव बृजेन्द्र तिवारी ने श्रमिकों को संबोधित करते हुए कहा कि उनका संगठन राष्ट्रीय स्तर पर मज़दूरों के अधिकारों के लिए आवाज़ उठाएगा। उन्होंने कहा, “अभनपुर के इन मज़दूरों की आवाज़ दिल्ली तक जाएगी। हम यह सुनिश्चित करेंगे कि कोई भी कंपनी मज़दूरों का शोषण करके मुनाफ़ा न कमा सके। एकता में ही शक्ति है और आज आपकी यह एकता देखकर मुझे विश्वास है कि जीत आपकी ही होगी।”
इस महत्वपूर्ण बैठक में मोर्चा के उपाध्यक्ष ए.जी. कुरैशी, संगठन मंत्री पुनाराम साहू, और स्थानीय नेता नरेंद्र खोबरागड़े, यश कुमार साहू, हेमंत साहू, हेमलता और दिनेश्वरी सहित बड़ी संख्या में पुरुष और महिला श्रमिक मौजूद थे। नेताओं ने श्रमिकों को आश्वासन दिया कि वे उनकी मांगों का एक विस्तृत चार्टर तैयार कर जल्द ही प्रबंधन और श्रम विभाग को सौंपेंगे और यदि ज़रूरत पड़ी तो आंदोलन को और तेज़ किया जाएगा।
यह बैठक केवल कोलर गाँव की दो फैक्ट्रियों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पूरे क्षेत्र में असंगठित मज़दूरों की स्थिति का एक प्रतीक है। छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा और एक्टू जैसे बड़े संगठनों का इस मामले में हस्तक्षेप करना यह दर्शाता है कि स्थिति गंभीर है।
हर सुबह अपने बच्चों को घर छोड़कर फैक्ट्री जाने वाली एक माँ जब यह कहती है कि “क्या हमें सम्मान से जीने का हक़ नहीं?”, तो यह सवाल हर संवेदनशील नागरिक के दिल को छू जाता है। यह केवल मज़दूरी का नहीं, बल्कि मानवीय गरिमा का भी प्रश्न है।
एक ओर जहाँ सरकार प्रदेश में निवेश और उद्योग को बढ़ावा दे रही है, वहीं दूसरी ओर इन उद्योगों में काम करने वाले मज़दूरों के हितों की रक्षा करना भी एक बड़ी चुनौती है। इस मामले का नतीजा यह तय करेगा कि औद्योगिक विकास का लाभ केवल उद्योगपतियों तक सीमित रहता है या उसका एक छोटा सा हिस्सा उन मज़दूरों तक भी पहुँचता है, जिनके खून-पसीने से फैक्ट्रियों की मशीनें चलती हैं।
अब देखना यह होगा कि प्रबंधन और प्रशासन इन श्रमिकों की आवाज़ को कितनी गंभीरता से लेते हैं। क्या बातचीत से समाधान निकलेगा या फिर अभनपुर की धरती एक और मज़दूर आंदोलन की गवाह बनेगी? यह भविष्य के गर्भ में है, लेकिन एक बात तय है – आज की इस बैठक ने सोए हुए श्रमिकों के दिलों में संघर्ष की एक नई चिंगारी ज़रूर जला दी है।
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