रायगढ़ में नेत्र ज्योति की नई उजास, राष्ट्रीय अंधत्व एवं अल्प दृष्टि नियंत्रण कार्यक्रम से मिली सैकड़ों लोगों को रोशनी
कलेक्टर के निर्देशन में जिले में नेत्र स्वास्थ्य सेवाओं का सफलता पूर्वक विस्तार
रायगढ़(पब्लिक फोरम)। रायगढ़ जिले के घरघोड़ा के छोटे गुमड़ा गांव का 8 वर्षीय योगेन्द्र दास महंत जन्मजात मोतियाबिंद की समस्या से जूझ रहा था। आंखों की कमजोर दृष्टि के कारण वह न पढ़ पाता था, न सामान्य रूप से खेल पाता था। परिवार आर्थिक रूप से कमजोर था और इलाज असंभव लग रहा था।
राष्ट्रीय अंधत्व एवं अल्प दृष्टि नियंत्रण कार्यक्रम के तहत स्वास्थ्य विभाग की टीम ने बच्चे का चिन्हांकन किया और जिला चिकित्सालय में उसका निःशुल्क ऑपरेशन कराया। ऑपरेशन के बाद योगेन्द्र की आंखों की रोशनी लौट आई। पहला साफ दृश्य देखकर योगेन्द्र खिल उठा और परिवार ने इसे “जीवन का सबसे बड़ा वरदान” बताया।
रायगढ़ के जिला चिकित्सालय में गुरुवार 11 दिसंबर को किरोड़ीमल शासकीय जिला चिकित्सालय में 35 मोतियाबिंद ऑपरेशन सफलतापूर्वक संपन्न हुए। विशेष रूप से जन्मजात मोतियाबिंद से पीड़ित 8 बच्चों की आंखों की रोशनी वापस लौटना इस अभियान की सबसे बड़ी उपलब्धि साबित हुई है।
दूरस्थ विकासखंड घरघोड़ा के आदिवासी ग्राम छोटे गुमड़ा से आए 8 वर्षीय योगेन्द्र दास महंत सहित अन्य बच्चों का ऑपरेशन जिला चिकित्सालय में नेत्र विशेषज्ञों की टीम द्वारा सफलता पूर्वक किया गया। बच्चों ने पहली बार साफ दिखाई देने पर खुशी जताई और मातादृपिता ने भावुक होकर शासन की इस महत्वपूर्ण योजना के प्रति आभार व्यक्त किया। इन सफलताओं का श्रेय जिला अस्पताल की दक्ष चिकित्सकीय टीम डॉ. मीना पटेल, डॉ. आर.एम. मेश्राम, डॉ. पी.एल. पटेल (निश्चेतना विशेषज्ञ), डॉ. उषा किरण भगत, सहायक नोडल अधिकारी राजेश आचार्य, निजी चिकित्सालयों के नेत्र रोग विशेषज्ञों, स्वास्थ्यकर्मियों और मितानिनों के अथक प्रयासों को जाता है।
उल्लखेनीय है कि जिला प्रशासन रायगढ़ द्वारा राष्ट्रीय अंधत्व एवं अल्प दृष्टि नियंत्रण कार्यक्रम को जमीनी स्तर पर प्रभावी रूप से लागू किया जा रहा है। कलेक्टर श्री मयंक चतुर्वेदी के निर्देश और मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. अनिल कुमार जगत के मार्गदर्शन में कार्यक्रम ने उल्लेखनीय उपलब्धियां दर्ज की हैं। जिला नोडल अधिकारी डॉ. मीना पटेल, जिला कार्यक्रम प्रबंधक सुश्री रंजना पैकरा एवं स्वास्थ्य विभाग की टीम द्वारा समन्वित प्रयासों के चलते यह अभियान जनहित का सशक्त माध्यम बन रहा है।
कार्यक्रम के अंतर्गत प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में नेत्र सहायक अधिकारियों द्वारा ग्रामीण, वनांचल और दूरस्थ क्षेत्रों में मोतियाबिंद के संभावित मरीजों की लगातार पहचान की जा रही है। चिन्हांकित मरीजों को जिला चिकित्सालय लाकर उनका निःशुल्क मोतियाबिंद ऑपरेशन एवं उपचार किया जा रहा है। स्कूल हेल्थ कार्यक्रम के अंतर्गत जिले के सभी शासकीय माध्यमिक विद्यालयों में विद्यार्थियों की आंखों की जांच कर दृष्टि दोष पाए जाने पर निःशुल्क चश्मा वितरण किया जा रहा है।
जन्मजात मोतियाबिंद के 8 बच्चों की आंखों की रोशनी लौटी, परिजनों ने जताया आभार
RELATED ARTICLES





Recent Comments