कोरबा (पब्लिक फोरम)। संविधान दिवस के अवसर पर कोरबा जिले के भैरोताल वार्ड 57 स्थित शासकीय विद्यालय परिसर में एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर वार्ड पार्षद सुश्री सुरती कुलदीप ने भारतीय संविधान निर्माण प्रक्रिया, इसके प्रदत्त अधिकारों और कर्तव्यों पर विस्तार से चर्चा की। कार्यक्रम के दौरान, उन्होंने संविधान को अक्षुण्ण बनाए रखने और इसके प्रति अपनी निष्ठा को दोहराने की शपथ दिलाई।
सोशल मीडिया और लोकतंत्र पर चर्चा
सुश्री कुलदीप ने कार्यक्रम में कहा कि सोशल मीडिया आज लोकतंत्र के चौथे स्तंभ को कमजोर कर रहा है। उन्होंने इसे संविधान विरोधी ताकतों का उपकरण बताते हुए विद्यार्थियों को सतर्क रहने की सलाह दी। उन्होंने अपील की कि छात्र “फेसबुक और व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी” जैसी भ्रामक सूचनाओं से दूर रहें और संविधान के मूल उद्देश्यों – धर्मनिरपेक्षता, समाजवाद और मौलिक अधिकारों – की रक्षा के लिए अपनी जिम्मेदारी समझें।
उन्होंने विद्यार्थियों से आग्रह किया कि वे संविधान को पढ़ें, समझें और उसकी रक्षा के लिए एकजुट हों। साथ ही, उन्होंने देश की एकता और अखंडता को बनाए रखने का आह्वान किया।
बलगी में संविधान दिवस समारोह
सायं काल बलगी में बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की गई। इस अवसर पर महिला मंडल ने संविधान की रक्षा का संकल्प लिया। सभा को संबोधित करते हुए जनक दास कुलदीप ने संविधान पर बढ़ते हमलों पर चिंता व्यक्त की।
उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में दलितों, आदिवासियों, पिछड़ों और अल्पसंख्यकों को उनके अधिकारों से वंचित करने की साजिश रची जा रही है। उन्होंने इसे समाजवादी स्वरूप को समाप्त कर चंद पूंजीपतियों के हाथों जल, जंगल और जमीन सौंपने का षड्यंत्र बताया।
धार्मिक ध्रुवीकरण का मुद्दा
जनक दास कुलदीप ने कहा कि देश में धर्म के नाम पर लोगों को आपस में बांटने और उनकी चेतना को समाप्त करने के प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने जनता से संविधान और इसके मूल उद्देश्यों की रक्षा के लिए जागरूक होने की अपील की।
संविधान दिवस का महत्व
संविधान दिवस न केवल संविधान निर्माताओं के प्रति सम्मान व्यक्त करने का अवसर है, बल्कि यह हमें उन मूल्यों की याद दिलाता है जो लोकतंत्र, समानता और न्याय पर आधारित हैं। यह दिन सभी नागरिकों को अपने कर्तव्यों और अधिकारों को समझने और लोकतंत्र की रक्षा के प्रति प्रतिबद्ध होने का आह्वान करता है।
कार्यक्रमों में व्यक्त विचार और भावनाएं इस बात की ओर इशारा करती हैं कि संविधान पर हो रहे हमलों को रोकने और समाज में समानता, न्याय और धर्मनिरपेक्षता बनाए रखने के लिए सभी नागरिकों को जागरूक और संगठित होना होगा। संविधान केवल एक दस्तावेज नहीं, बल्कि हमारे लोकतंत्र की आत्मा है, जिसकी रक्षा हर भारतीय का कर्तव्य है।
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