सभी कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारियों को अस्पताल प्रबंधन ने काम पर लिया वापस
नई दिल्ली (पब्लिक फोरम)। 01 अप्रैल 2022 को डॉ राम मनोहर लोहिया अस्पताल में लगभग 13 – 15 साल से कार्यरत कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारियों को अस्पताल प्रबंधन ने अचानक ही नौकरी से निकाल दिया गया था। स्वास्थ्य मंत्रालय और अस्पताल प्रबंधन ने यह काम, केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (CAT) के आदेश का उल्लंघन करते हुए किया था। केंद्र सरकार के अधीन आनेवाले ज़्यादातर संस्थाओं में प्रबंधन को अब कोर्ट-ट्रिब्यूनल के आदेशों से कोई फर्क नही पड़ता।
“सियाह रात नहीं लेती नाम ढलने का, यही तो वक़्त है सूरज तिरे निकलने का” विपरीत परिस्थितियों में जबरदस्त हिम्मत से काम लेते हुए और अपने बीच एक कर्मचारी को खोने के दुख से उबरते हुए, इन कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारियों ने वो कर दिखाया जो लगभग असंभव था। स्वास्थ्य मंत्रालय, श्रम मंत्रालय व अस्पताल प्रबन्धन की तमाम मज़दूर विरोधी नीतियों और दमन के बावजूद इन कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारियों ने विरोध-प्रदर्शन और कानूनी लड़ाई दोनों ही जारी रखा। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री का दो-दो बार घेराव किया, जंतर मंतर पर प्रदर्शन किया और अन्य अस्पतालों के छटनीग्रस्त कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारियों के साथ खड़े भी हुए।
आनेवाले दिनों में निश्चय ही कठिनाइयां कम नही होंगी, बल्कि ये कहना ज़्यादा सही होगा कि “अभी से पाँव के छाले न देखो, अभी यारो सफ़र की इब्तिदा है”. हमारे संघर्षों के दिन अभी और भी हैं, हम लड़ाई से पीछे नही हटेंगे।
ऑल इंडिया सेंट्रल काउंसिल ऑफ ट्रेड यूनियंस -AICCTU के केंद्रीय कमेटी ने डॉ राम मनोहर लोहिया कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारी यूनियन के सभी साथियों को जीत की बधाई दी है और कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारियों के तमाम मुद्दों पर लड़ाई को और तेज़ करने का आह्वान किया है।
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