गुरूवार, दिसम्बर 12, 2024
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कामगारों के व्यापक हितों के संघर्षों में विश्वास करता है ऐक्टू: श्याम लाल साहू

दुर्ग/भिलाई (पब्लिक फोरम)। सेंटर ऑफ स्टील वर्कर्स–ऐक्टू के महासचिव श्याम लाल साहू ने प्रेस-विज्ञप्ति जारी कर बताया कि सेंटर ऑफ स्टील वर्कर्स-ऐक्टू स्वभावतः तमाम ट्रेडयूनियनों से भिन्न है। ऐक्टू कर्मियों को अंधेरे में रखने और उनसे सच्चाई छिपाने के सख्त खिलाफ है, क्योंकि वह दुकानदारी में नहीं, कर्मियों के व्यापक हितों के संघर्षों में विश्वास करती है।

ऐक्टू तमाम ट्रेडयूनियनों व कर्मियों की व्यापक एकजुटता व संघर्षों में विश्वास करती है। कर्मियों से झूठे वादे कर या झूठी उपलब्धियाँ गिनाकर वोट मांगना ऐक्टू की कभी फितरत नहीं रही। ऊपरी तामझाम कर कर्मियों को लुभाने में भी ऐक्टू विश्वास नहीं करती। इसीलिए ऐक्टू ने हर चुनाव में सादगी का परिचय देते हुए कर्मियों से मात्र परचे बॉटकर अपने पक्ष में मतदान की विनम्र अपील की है और इस बार भी 30 जुलाई को यूनियन-मान्यता के लिए होने जा रहे मतदान में इसी तरह बिना कोई तामझाम के परचे बॉटकर अपील की जा रही है। इस दौरान जगह-जगह कर्मियों में प्रबंधन की मनमानी तथा एनजेसीएस में शामिल यूनियनों की कथनी व करनी में अंतर को लेकर आक्रोश भी दिखाई दे रहा है और लोग बेहतर बदलाव की बातें भी कर रहे हैं। अलग-अलग चुनाव लड़ने के बजाय ज्वाइंट कमेटी बनाए जाने की मांग भी उठने लगी है।

श्री साहू ने यह भी बताया कि ऐक्टू का मुख्य उद्देश्य कर्मियों में अपने अधिकारों के प्रति जागरूकता लाना, अपने वर्ग-दुश्मनों की सही पहचान कराना और कर्मियों में ट्रेडयूनियन की राजनीति की सही समझ पैदा करना और श्रम की हो रही चौतरफा लूट के प्रति सचेत कर उनके व्यापक हित में वर्ग-संघर्ष को बढ़ावा देना रहा है। अपनी इसी सोच और गतिविधियों की वजह से अन्य ट्रेडयूनियनों से जहाँ ऐक्टू की अलग पहचान रही है, वहीं अपने इस तीखे तेवर की वजह से प्रबंधन को खटकती रही है। ऐक्टू का शुरू से ही प्रयास रहा है कि कर्मियों के व्यापक हितों के मद्देनज़र तमाम ट्रेडयूनियनों की एकजुटता हो और संयुक्त समिति बनाकर प्रबंधन की मनमानी के खिलाफ अभियान चलाया जाये। प्रबंधन को तो संयुक्त समिति को मान्यता देने की मांग पर हमेशा एतराज रहा ही है, तथाकथित बड़ी यूनियनों को भी केवल अपनी दुकानदारी और निजी हितों की चिंता अधिक रही है और इसीलिए उन्होंने भी संयुक्त समिति बनाने को लेकर हमेशा अड़ंगेबाजी की है जिसके चलते कर्मियों को लगातार नुकसान उठाना पड़ रहा है।

ऐक्टू ने प्रबंधन व सरकार की कार्पोरेटपरस्ती और कर्मचारी व श्रमिक विरोधी रवैय्ये के खिलाफ तीखा आक्रोश जताते हुए कर्मियों से 30 जुलाई के मतदान में ऐक्टू के पक्ष में मतदान की अपील की है। ऐक्टू ने ट्रेडयूनियनों और कर्मियों की व्यापक एकजुटता के प्रयास को आगे भी जारी रखने की बात कही है।

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