रायपुर (पब्लिक फोरम)। अखिल भारतीय किसान सभा तीन किसान विरोधी कानूनों के खिलाफ देशव्यापी संघर्ष में हासिल हुई जीत और सी-2 लागत के डेढ़ गुना न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी देने, कर्ज़ माफी, वनाधिकार कानून और पेसा के क्रियान्वयन, मनरेगा और सार्वजनिक वितरण प्रणाली के विस्तार, सिंचाई, बिजली, विस्थापन, पुनर्वास और भूमि से जुड़े सवालों पर जारी लड़ाई के महत्व को बताने के लिए पूरे देश में एक लाख गांवों में सभाएं आयोजित करेगी। इस अभियान के दौरान 23-24 फरवरी को ट्रेड यूनियनों की हड़ताल के साथ ही देशव्यापी ग्रामीण हड़ताल के आह्वान को सफल बनाने के लिए ग्रामीण समाज को भी लामबंद किया जाएगा।
हैदराबाद में 10-11 जनवरी को संपन्न अखिल भारतीय किसान सभा की किसान कौंसिल बैठक की जानकारी देते हुए छत्तीसगढ़ किसान सभा के राज्य अध्यक्ष संजय पराते ने बताया कि बैठक ने 19 जनवरी को मजदूर-किसान एकता दिवस को सफल बनाने के साथ ही आगामी विधान सभा चुनावों में किसान विरोधी भाजपा की हार को सुनिश्चित करने का आह्वान किया है। किसान सभा ने सांप्रदायिक ध्रुवीकरण करने के भाजपा-आरएसएस की कोशिशों को देशविरोधी और आपराधिक कृत्य करार दिया है। उन्होंने बताया कि संयुक्त किसान आंदोलन को मजबूत बनाने के साथ ही राज्य और जिला स्तर पर खेती-किसानी के ज्वलंत मुद्दों पर संघर्ष विकसित करने और किसान सभा संगठन को मजबूत करने की योजना भी किसान सभा के राष्ट्रीय नेतृत्व ने बनाई है। इस बैठक में छत्तीसगढ़ सहित 17 राज्यों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया।
उन्होंने बताया कि किसान सभा के राष्ट्रीय कौंसिल की बैठक की अध्यक्षता डॉ. अशोक ढवले ने की, जो सरकार से वार्ता के लिए अधिकृत संयुक्त किसान मोर्चा के 5 सदस्यीय समिति के भी सदस्य है। राष्ट्रीय महासचिव व पूर्व सांसद हन्नान मोल्ला ने रिपोर्ट पेश की, जिसमें देश-दुनिया की परिस्थितियों के आंकलन के साथ ही किसानों की स्थिति, तीन किसान विरोधी कानूनों के खिलाफ चले सफल संघर्ष, समर्थन मूल्य और कर्ज मुक्ति सहित अन्य मांगों पर जारी संघर्ष के महत्व पर प्रकाश डालते हुए संयुक्त किसान संघर्षों को और मजबूत करने पर बल दिया गया था। इस रिपोर्ट और किसान सभा के आगामी कामों की रूपरेखा को बैठक ने सर्वसम्मति से पारित किया।
किसान सभा नेता ने बताया कि इस वर्ष के अंत में अखिल भारतीय किसान सभा का 35वां राष्ट्रीय सम्मेलन केरल में आयोजित किया जाएगा। इसके पहले छत्तीसगढ़ किसान सभा का भी राज्य सम्मेलन होगा। इसके लिए ‘हर गांव में किसान सभा और किसान सभा में हर किसान’ के नारे को केंद्र में रखकर पूरे छत्तीसगढ़ में संगठन को मजबूत करने और उसका विस्तार करने की योजना बनाई जाएगी।
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