भूविस्थापितों को नियमित रोजगार देने की मांग
कोरबा (पब्लिक फोरम)। भूविस्थापित किसानों को नियमित रोजगार देने की मांग पर कुसमुंडा में चल रहा आंदोलन एसईसीएल मुख्यालय पर जबरदस्त अर्धनग्न प्रदर्शन के साथ ही 62वें दिन में प्रवेश कर गया है। प्रदर्शन के दौरान मुख्यालय के दोनों गेटों को आंदोलनकारियों ने जाम कर दिया था, जिसके कारण 5 घंटे तक मुख्यालय में आवाजाही बंद रही। पूरे प्रदर्शन में आज महिलाओं ने भी बढ़-चढ़कर भागीदारी की, जिसके कारण गेट खुलवा पाने में प्रबंधन नाकाम रहा।
उल्लेखनीय है कि किसान सभा के सहयोग से रोजगार एकता संघ के बैनर पर पिछले दो माह से भूविस्थापित किसानों द्वारा आंदोलन किया जा रहा है और दो बार खदान बंदी भी की जा चुकी है। इस आंदोलन के दबाव में एसईसीएल प्रबंधन ने एक माह में उन्हें रोजगार देने का लिखित वादा किया था, लेकिन इसमें असफल रहा। रोजगार के बदले उन्हें ठेकेदारी और आउट सोर्सिंग में काम देने के प्रस्ताव को आंदोलनकारियों ने पूरी तरह ठुकरा दिया है और नियमित रोजगार की मांग पर अड़ गए हैं।
आंदोलनकारियों को संबोधित करते हुए छत्तीसगढ़ किसान सभा के सचिव प्रशांत झा ने कहा कि इस क्षेत्र में वर्ष 1978-2004 के मध्य भूमि का अधिग्रहण किया गया है, इसलिए तब की पुनर्वास नीति के तहत रोजगार देने की मांग जायज है। यदि एसईसीएल ने उन्हें समय पर रोजगार नहीं दिया है, तो इसके लिए प्रबंधन जिम्मेदार है, न कि भूविस्थापित किसान। इसलिए पुरानी नीति से मुआवजा और नई नीति से रोजगार की एसईसीएल की पेशकश आंदोलनकारियों को स्वीकार नहीं है। उन्होंने कहा कि विस्थापितों को सम्मानजनक जीवन और पुनर्वास प्रदान करना एसईसीएल और सरकार की जिम्मेदारी है, इसलिए वह सभी भू विस्थापित परिवारों के एक-एक सदस्य को रोजगार देने की प्रक्रिया जल्द शुरू करे।
कांग्रेस के पार्षद अजय प्रसाद, शाहिद कुजूर, विनय बिंझवार, किसान सभा के जिलाध्यक्ष जवाहर सिंह कंवर, दीपक साहू, जय कौशिक आदि भी आंदोलन में शामिल थे। रोजगार एकता संघ के दामोदर, राधेश्याम, रेशम आदि ने कहा कि जमीन अधिग्रहण करके उनकी आजीविका का एकमात्र साधन खेती छीन गया है, इसके कारण विस्थापित किसानों की आर्थिक स्थिति भी काफी खराब है। जब पूरी दुनिया नए साल का जश्न मना रही है तब कुसमुंडा के भू-विस्थापित किसान अपनी दयनीय स्थिति को दिखाने के लिए अर्धनग्न होकर प्रदर्शन करने को मजबूर है, इसलिए एसईसीएल को अब अपना लिखित वादा निभाना चाहिए।
प्रदर्शन की अगुआई प्रमुख रूप से सहोरिक, मोहन लाल कौशिक, बलराम, सनत कश्यप, दीनानाथ, अशोक मिश्रा, रामप्रसाद, रघु,बजरंग सोनी, विजय, हेमलाल यादव, मानिक दास, रघुनंदन, अश्वनी, चंद्रशेखर, पुरषोत्तम, नरेश, दिलहरन बिंझवार, हुसैन, रामायण कंवर, संजय यादव, बेदराम, ओंकार, हेमंत, हरिशंकर, पंकज, अमृत बाई, सूरज बाई, सिमा साहू, मधु,चंद्रिका, संतोषी आदि ने की।
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