back to top
रविवार, दिसम्बर 22, 2024
होमलोकल को रोजगार नहीं तो वेदांता का व्यापार नहीं.

लोकल को रोजगार नहीं तो वेदांता का व्यापार नहीं.

वेदांता-बालको की प्रस्तावित संयंत्र विस्तार परियोजना पर कई संगठनों ने लिखित में आपत्ति दर्ज कराया

कोरबा: जिले के वेदांता ग्रुप अधिकृत भारत एल्युमिनियम कंपनी लिमिटेड (बालको) कोरबा प्रबंधन के द्वारा वर्तमान में एल्युमिनियम स्मेल्टर मेटल उत्पादन क्षमता 5.75 एलटीपीए से बढ़ाकर 10.85 एलटीपीए तक करने के लिए ग्राम रिसदा, तहसील व जिला कोरबा छत्तीसगढ़ में जमीन अधिग्रहण के लिए प्रस्तावित विस्तार परियोजना मसौदा प्रस्तुत की गई है। प्रस्तावित परियोजना को ब्राउनफील्ड परियोजना का नाम दिया गया है। जिसमें अन्य सहायक सुविधाएं भी मौजूद हैं।
उक्त परियोजना के लिए कुल 39.66 हेक्टेयर याने कि 98 एकड़ भूमि का अधिग्रहण वेदांता प्रबंधन के द्वारा संयंत्र विस्तार हेतु किया जाना है जिसके विरोध में कई संगठनों ने पर्यावरणीय दुष्प्रभाव जन स्वास्थ्य पर विपरीत असर जन सुविधाएं व रोजगार हीनता की गंभीरता को देखते हुए वेदांता की प्रस्तावित विस्तार परियोजना पर कड़ी आपत्ति दर्ज करते हुए उक्त परियोजना पर रोक लगाने की मांग किया है।

आदिनिवासी गण परिषद, नागरिक संघर्ष समिति, ऐक्टू आदि कई संगठनों का दावा है कि बालको के वेदांता प्रबंधन के द्वारा परियोजना हेतु तैयार मसौदे के अनुसार स्थानीय जनता के विभिन्न क्षेत्रों में गंभीर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।

संगठनों ने कहा है कि वेदांता प्रबंधन के द्वारा कारखाना परिसर में 5.75 एलटीपीए एल्युमिनियम स्मेल्टर उत्पादन क्षमता हेतु 500/600 फे.ए. रोल प्रौद्योगिकी का उपयोग करने जा रहा है जिसके कारण भारी मात्रा में उच्च विद्युत चुंबकीय दाब/तरंग उत्सर्जित होने की वजह से उस क्षेत्र में कार्य करने वाले कर्मचारियों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की संभावना है क्योंकि उक्त उच्च विद्युत चुंबकीय तरंग से हृदय रोग, नपुंसकता, चर्म रोग, स्वसन तंत्र में प्रतिरोध, तरंगदैर्ध्य से उत्पन्न ध्वनि प्रदूषण से संबंधित रोग इत्यादि प्रतिकूल प्रभाव शरीर को प्रभावित कर सकते हैं।

वेदांता प्रबंधन के द्वारा प्रस्तावित परियोजना हेतु 39.66 हेक्टेयर (98 एकड़) भूमि अधिग्रहण की आवश्यकता को दर्शाया गया है जो कि वर्तमान में ग्राम रिसदा, तहसील व जिला कोरबा छत्तीसगढ़ में स्थित भूमि है। उक्त भूमि में वर्तमान में स्थानीय निवासी विगत लंबे समय से निवासरत हैं जिनके भूमि की अधिग्रहण से उनके सामने निवास, जीवन यापन व विस्थापन से संबंधित अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ेगा। जिस के संबंध में प्रबंधन के द्वारा किसी भी प्रकार की कोई पुनर्वास व पुनर्स्थापना के संबंध में कोई विकल्प या कोई विचार नहीं रखा गया है। अतः उपरोक्त प्रस्तावित परियोजना से क्षेत्र के स्थानीय निवासियों के सामने आवास व विस्थापन एक अत्यंत ज्वलंत समस्या बन जायेगा।

प्रस्तावित परियोजना के लिए संयंत्र को 2400 घन मीटर प्रतिदिन जल की खपत की बात कही गई है जिसके परिणाम स्वरूप स्थानीय क्षेत्र में किसानों को उपलब्ध सिंचाई हेतु जल आपूर्ति, निस्तारी हेतु जल आपूर्ति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।

प्रस्तावित परियोजना में कार्य करने के लिए मात्र 1050 कर्मचारियों की आवश्यकता की जानकारी दी गई है, जिसमें नियमित रोजगार के संबंध में किसी भी प्रकार का कोई स्पष्ट उल्लेख नहीं किया गया है।
उक्त परियोजना में स्थानीय बेरोजगारों की प्राथमिकता को सुनिश्चित करते हुए नियमित रोजगार की गारंटी दिया जाना चाहिए क्योंकि उक्त परियोजना निहायत ही एक स्थाई प्रकृति की परियोजना है और वेदांता का उद्योग व व्यापार भी स्थाई प्रकृति का है। इसलिए रोजगार भी स्थाई प्रकृति का होना ही चाहिए। रोजगार को लेकर कि स्थानीय बेरोजगारों में भारी आक्रोश है। उनका कहना है कि अगर जनता को रोजगार नहीं तो वेदांता का भी व्यापार नहीं।

वेदांता प्रबंधन द्वारा प्रस्तावित परियोजना से किसी भी प्रकार की पर्यावरणीय प्रतिकूल प्रभाव से साफ इनकार किया गया है जबकि वर्तमान में संचालित पावर प्लांट से उत्सर्जित जाखड़ का उचित प्रबंधन नहीं कर पा रहा है जिससे जिसके कारण संपूर्ण जिला प्रदूषित हो रहा है।

वेदांता प्रबंधन के द्वारा जारी कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी के तहत सामुदायिक विकास के प्रति कभी भी ईमानदार नहीं रहा, अपने आसपास के गांव व स्थानीय लोगों की विकास, रोजगार के प्रति हमेशा, उदासीन व कूटनीतिक रवैया रखते आया है। यहां के स्थानीय मूल निवासियों, आदिवासियों, समाज व श्रम संगठन के प्रति ज्यादातर नकारात्मक व्यवहार ही रखता है।

वेदांता प्रबंधन के द्वारा पूर्व में अधिग्रहित जमीन के बदले उचित मुआवजा रोजगार व पुनर्वास आज तक नहीं दिया गया है। अतः इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि भविष्य में भी इस प्रकार की गैर जिम्मेदाराना रवैया की पुनरावृत्ति नहीं होगी।

संगठन पदाधिकारियों ने महामहिम राज्यपाल छत्तीसगढ़, माननीय मुख्यमंत्री छत्तीसगढ़, मा. प्रेमसाय टेकाम जी, प्रभारी मंत्री कोरबा, मा. सांसद महोदया लोकसभा कोरबा, मा. जयसिंह अग्रवाल जी राजस्व मंत्री को भी भेजे गए पत्र में संगठनों के द्वारा अनुरोध किया गया है कि वेदांता प्रबंधन की पिछले विगत 20 वर्षों के कार्य चरित्र व जन सरोकार के अलावा ‘CSR’ कारपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व के प्रति गैर जिम्मेदाराना रवैया को गंभीरता पूर्वक ध्यान में रखते हुए वेदांता के द्वारा प्रस्तुत प्रस्तावित विस्तार परियोजना को रद्द किया जाना ही श्रेयकर होगा।

RELATED ARTICLES

Most Popular

Recent Comments