सोमवार, दिसम्बर 1, 2025
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बालको में श्रमिकों के साथ धोखाधड़ी: पूर्व मंत्री जयसिंह ने प्रधानमंत्री को लिखा पत्र, फर्जी दस्तावेज और न्यायालय अवमानना के आरोप

कोरबा (पब्लिक फोरम)। छत्तीसगढ़ की भारत एल्यूमिनियम कंपनी लिमिटेड (बालको) में श्रमिकों के अधिकारों के हनन और कंपनी प्रबंधन द्वारा न्यायालय को गुमराह करने के गंभीर आरोप सामने आए हैं। पूर्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर इस मामले में उच्चस्तरीय जांच और कड़ी कार्रवाई की मांग की है।

मूल स्टैंडिंग ऑर्डर्स में हेरफेर का आरोप
पत्र में बताया गया है कि श्रम विभाग में दर्ज मूल स्टैंडिंग ऑर्डर्स के अनुसार छह महीने तक निरंतर काम करने वाले हर श्रमिक को स्वतः स्थायी श्रेणी मिलनी चाहिए। यह नियम कंपनी, यूनियन और श्रम विभाग की संयुक्त स्वीकृति से लागू हुआ था। लेकिन बालको प्रबंधन ने इन नियमों में एकतरफा और अवैध संशोधन कर श्रमिकों के स्थायीकरण अधिकार को समाप्त करने का प्रयास किया।

न्यायालय में फर्जी दस्तावेज पेश करने का गंभीर आरोप
जब श्रमिकों ने इसका विरोध किया तो कंपनी ने न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। सेशन कोर्ट में दस्तावेज पेश करने के आदेश पर बालको प्रबंधन ने छेड़छाड़ की हुई प्रतियां जमा कीं और मूल नियमों को छुपाया। जब श्रमिकों की ओर से मूल स्टैंडिंग ऑर्डर की प्रति प्रस्तुत की गई, तो न्यायालय ने इसे धोखाधड़ी और जालसाजी करार देते हुए कंपनी सचिव के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया।

हाईकोर्ट से वापस ली याचिका
कंपनी ने सेशन कोर्ट के आदेश के खिलाफ उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी। लेकिन जब उच्च न्यायालय ने याचिका को स्वीकार्य नहीं पाया, तो खारिज होने से पहले ही बालको प्रबंधन ने याचिका वापस ले ली। यह कदम कंपनी की गलती को स्वीकार करने के समान माना जा रहा है।

न्यायालय के आदेश की खुली अवमानना
सबसे गंभीर बात यह है कि सेशन कोर्ट के आदेश और हाईकोर्ट से याचिका वापस लेने के बावजूद बालको प्रबंधन आज भी उसी अवैध स्टैंडिंग ऑर्डर को लागू कर रहा है, जिसे न्यायालय ने फर्जी और गैरकानूनी घोषित किया था। यह न्यायालय की खुलेआम अवमानना माना जा रहा है।

कंपनी सचिव फरार
गिरफ्तारी वारंट जारी होने के बाद कंपनी सचिव फरार हो गया और पुलिस के समक्ष उपस्थित नहीं हुआ। यह कानूनी प्रक्रिया से बचने का सुनियोजित प्रयास बताया जा रहा है।

मानवाधिकारों के उल्लंघन का आरोप
पत्र में कहा गया है कि श्रमिकों का स्थायीकरण रोककर और न्यायालय के आदेश न मानकर हजारों श्रमिकों को असुरक्षा और आर्थिक शोषण में धकेला जा रहा है। यह ILO कन्वेंशन और संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत मानव गरिमा के अधिकार का उल्लंघन है।

क्या है मांग?
पूर्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने प्रधानमंत्री से निम्नलिखित मांगें की हैं:-
– CBI, ED, श्रम विभाग और कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय द्वारा संयुक्त उच्चस्तरीय जांच की जाए।
– छह महीने की सेवा पूरी कर चुके सभी श्रमिकों को तत्काल स्थायी श्रेणी का दर्जा दिया जाए।
– फरार कंपनी सचिव की तुरंत गिरफ्तारी हो।
– IPC की धारा 420, 467, 468, 471 के तहत बालको प्रबंधन के खिलाफ मामला दर्ज किया जाए।
– राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग इस मामले का स्वतः संज्ञान ले।

केवल बालको तक सीमित नहीं यह मामला
पत्र में कहा गया है कि यह मामला केवल बालको तक सीमित नहीं है, बल्कि भारत के औद्योगिक कानून, न्याय व्यवस्था और मानवाधिकारों के सम्मान से जुड़ा सवाल है। वेदांता रिसोर्सेज द्वारा संचालित इस कंपनी में भारत सरकार की 49 प्रतिशत हिस्सेदारी है।

पत्र की प्रतिलिपि श्रम मंत्री, मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री और कोरबा जिला कलेक्टर को भेजी गई है।

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