रायपुर/खरोरा (पब्लिक फोरम)। संविधान दिवस (26 नवंबर) के अवसर पर संयुक्त किसान मोर्चा एवं देश की 10 मान्यता प्राप्त केंद्रीय ट्रेड यूनियनों तथा विभिन्न स्वतंत्र कन्फेडरेशनों के संयुक्त मंच ने राष्ट्रव्यापी प्रतिरोध दिवस मनाया। इसी क्रम में छत्तीसगढ़ के रायपुर जिले की खरोरा तहसील अंतर्गत बंगोली (मूरा रोड) में किसानों और मजदूरों ने संयुक्त रूप से विरोध प्रदर्शन करते हुए राष्ट्रपति के नाम 10 सूत्री मांग पत्र तहसील प्रशासन के प्रतिनिधि अधिकारी को सौंपा।
कार्यक्रम में वक्ताओं ने कहा कि 26 नवंबर 2020 को किसान मोर्चा ने एमएसपी की कानूनी गारंटी (C2+50% फार्मूला), संपूर्ण कर्जमाफी और तीन कृषि कानूनों को रद्द कराने की मांग को लेकर दिल्ली कूच किया था। इसी दिन श्रमिक संगठनों ने भी 29 श्रम कानूनों को समाप्त कर कॉर्पोरेट हित में तैयार की गई चार श्रम संहिताओं के खिलाफ अपना आंदोलन शुरू किया था।
आंदोलनकारियों ने याद दिलाया कि 380 दिनों के संघर्ष, कड़ाके की ठंड, बारिश, भीषण गर्मी और सरकारी दमन के बीच 736 किसानों की शहादत के बावजूद आंदोलन अडिग रहा, जिसके बाद सरकार को तीन कृषि कानून वापस लेने पड़े। वहीं, विपक्ष को निलंबित कर बहुमत के बल पर पारित की गई चार श्रम संहिताओं को भी सरकार को स्थगित रखना पड़ा।
लेकिन 21 नवंबर 2025 को बिहार विधानसभा चुनाव में मिली जीत के बाद केंद्र सरकार ने चारों श्रम संहिताएँ लागू कर दीं, जिससे श्रमिक–किसान संगठनों में व्यापक असंतोष है। उनका कहना है कि श्रम नीति 2025, कृषि विपणन पर राष्ट्रीय नीति मसौदा 2025, सहकारिता नीति, नई शिक्षा नीति, बिजली विधेयक 2025 और स्मार्ट मीटर जैसी नीतियाँ किसान–मजदूर–जनविरोधी हैं।
9 दिसंबर 2021 को दिए लिखित वचनों का पालन अब तक नहीं
ज्ञापन में संगठनों ने राष्ट्रपति को स्मरण कराया कि 9 दिसंबर 2021 को आंदोलन स्थगित करते समय सरकार ने लिखित रूप से कई वादे किए थे, लेकिन आज तक एक भी वचन पूरा नहीं किया गया। उल्टे उन्हीं तीन कृषि कानूनों के प्रावधानों को नए रूप में लागू करने तथा चार श्रम संहिताओं को अनिवार्य बनाने की दिशा में कदम बढ़ाए गए हैं।
राष्ट्रपति को सौंपा गया 10 सूत्री मांग पत्र
किसान-मजदूर संगठनों की प्रमुख मांगें:-
1. फसलों का C2+50% फार्मूला आधारित एमएसपी की कानूनी गारंटी
2. किसानों की संपूर्ण कर्जमाफी
3. पीडीएस प्रणाली और भारतीय खाद्य निगम का संरक्षण तथा मुफ्त खाद्यान्न वितरण सुनिश्चित करना
4. खाद–बीज की कालाबाजारी रोककर सब्सिडी युक्त डीएपी–यूरिया–बीज की आपूर्ति
5. नैनो यूरिया और नैनो डीएपी पर रोक
6. चारों श्रम संहिताओं को रद्द करना
7. मनरेगा का बजट बढ़ाकर 200 दिन काम और ₹700 प्रतिदिन मजदूरी
8. बिजली विधेयक 2025 को वापस लेना
9. स्मार्ट मीटर हटाना और किसानों–घरेलू उपभोक्ताओं को राहत देना
10. श्रमिक–किसान विरोधी नीतियों पर तत्काल रोक
मांग पत्र सौंपने वालों में नरोत्तम शर्मा (संयोजक, छत्तीसगढ़ किसान महासभा), ऊधो वर्मा (कांग्रेस ग्रामीण जिलाध्यक्ष), घनश्याम वर्मा (महामंत्री), सौरभ मिश्र (किसान कांग्रेस), बिसहत कुर्रे (ऐक्टू जिला संयोजक), डॉ. खंझन रात्रे (अखिल भारतीय खेत एवं ग्रामीण मजदूर सभा), धर्मेंद्र बैरागी (राज्य सचिव, छत्तीसगढ़ ग्राम विकास एकता समिति), राजेश शर्मा (जिला संयोजक), राजू खूटे, यशवंत निषाद, केशव साहू, विनोद वर्मा, पुष्कर नायक, नारायण यादव, राकेश वर्मा, दाऊलाल वर्मा सहित बड़ी संख्या में किसान–मजदूर उपस्थित रहे।
आंदोलनकारियों ने स्पष्ट कहा कि यदि केंद्र सरकार ने जल्द ही उनकी मांगों पर ठोस निर्णय नहीं लिया, तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा।





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