back to top
गुरूवार, नवम्बर 27, 2025
होमदेशसंविधान दिवस पर जंतर-मंतर में तेज़ हुई गूंज: चारों श्रम कोड रद्द...

संविधान दिवस पर जंतर-मंतर में तेज़ हुई गूंज: चारों श्रम कोड रद्द करने की मांग, किसान-मज़दूर एकता का सशक्त प्रदर्शन

नई दिल्ली (पब्लिक फोरम)। संविधान दिवस के अवसर पर राजधानी के जंतर-मंतर पर संयुक्त ट्रेड यूनियन मंच और संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर व्यापक विरोध प्रदर्शन आयोजित किया गया। प्रदर्शनकारियों ने केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित चारों श्रम कोड कानूनों सहित कॉरपोरेट हितैषी नीतियों को मज़दूर–किसान विरोधी बताते हुए इन्हें तुरंत रद्द करने की मांग उठाई।

सभा में वक्ताओं ने कहा कि श्रम सुधारों के नाम पर बनाए गए नए कानून मालिकों को निरीक्षण से छूट देते हैं और मज़दूरों की मेहनत पर सीधा प्रहार करते हैं। उनका आरोप था कि न्यूनतम वेतन के अधिकार को कमजोर कर ‘फ्लोर वेज’ के नाम पर देश के करोड़ों श्रमिकों को सस्ते और असुरक्षित श्रम में धकेलने की कोशिश की जा रही है।

प्रदर्शनकारियों ने फिक्स्ड टर्म एम्प्लॉयमेंट की व्यवस्था को अस्थिर और शोषणकारी बताते हुए कहा कि अस्थायी रोजगार नहीं, बल्कि पक्का रोज़गार और सामाजिक सुरक्षा हर मज़दूर का मूल अधिकार है। उन्होंने शेयर बाज़ार आधारित सुधारों को मज़दूरों के हितों के विपरीत बताया।

सभा को संबोधित करते हुए ऐक्टू के राष्ट्रीय महासचिव कॉमरेड राजीव डिमरी ने कहा कि 21 नवंबर को मज़दूर वर्ग के साथ हुई “सबसे बड़ी गद्दारी” का जवाब देश के श्रमिक, किसान और आम नागरिक मिलकर देंगे। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने समान काम के लिए समान वेतन का सिद्धांत खत्म कर दिया है और महिला कार्यकर्ताओं के लिए सुरक्षित व सम्मानजनक कार्यस्थल की जगह असुरक्षा और नियंत्रण थोपने वाली नीतियां लाई हैं।

किसानों और खेत मज़दूरों से जुड़े मुद्दों पर वक्ताओं ने कहा कि MSP पर कानून न बनाना, सरकारी खरीद में अनिश्चितता और DAM के नाम पर दिए गए वादों से पीछे हटना किसानों के साथ लगातार किए जा रहे अन्याय का हिस्सा है। उन्होंने मांग की कि MSP पर कानूनी गारंटी दी जाए और सभी फसलों की सरकारी खरीद सुनिश्चित की जाए।

वक्ताओं ने मंच से स्पष्ट कहा कि कॉरपोरेट-परस्त नीतियों को लागू कर सरकार किसानों और श्रमिकों के भरोसे से खिलवाड़ कर रही है। उन्होंने चेतावनी दी कि देश का किसान–मज़दूर वर्ग इस गद्दारी को लंबे समय तक सहन नहीं करेगा और संयुक्त संघर्ष को तेज़ करेगा।

कार्यक्रम में बड़ी संख्या में किसान संगठनों, श्रमिक यूनियनों, सामाजिक संगठनों और विभिन्न क्षेत्रों से आए प्रतिनिधियों ने भाग लिया। पूरा जंतर-मंतर “मज़दूर–किसान एकता ज़िंदाबाद” और “श्रम कोड वापस लो” जैसे नारों से गूंज उठा।

सभा के अंत में संयुक्त मंचों ने घोषणा की कि आगे भी देशव्यापी जन–आंदोलनों के माध्यम से इन नीतियों का विरोध जारी रहेगा और श्रमिक–किसान हितों की रक्षा के लिए संगठित संघर्ष और मजबूत किया जाएगा।

RELATED ARTICLES

Most Popular

Recent Comments