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रविवार, नवम्बर 16, 2025
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जातीय पूंजीवाद की 4000 वर्षों की गुलामी खत्म करने का संकल्प: नई दिल्ली में मूलनिवासी संगठनों का राष्ट्रीय सम्मेलन, ‘संविधान सुरक्षा दिवस’ मनाने का आह्वान

नई दिल्ली (पब्लिक फोरम)। राष्ट्रीय संयुक्त मोर्चा भारत और मूलनिवासी मुक्ति मोर्चा के संयुक्त तत्वावधान में 4 और 5 अक्टूबर 2025 को नई दिल्ली के विकासपुरी स्थित डॉ. अंबेडकर ऑडिटोरियम में दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित हुआ। इस सम्मेलन में देशभर के 25 सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
कार्यक्रम में प्रमुख रूप से राष्ट्रीय संयुक्त मोर्चा भारत के राष्ट्रीय संयोजक एवं मूलनिवासी मुक्ति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष गोपाल ऋषिकर भारती शामिल हुए। सम्मेलन की जानकारी केंद्रीय कार्यालय सचिव क्रांति कुमार साव ने दी।

सम्मेलन का उद्देश्य: बहुजन-मूलनिवासी समाज की एकजुटता और संविधान की रक्षा

सम्मेलन में भारत के बहुजन और मूलनिवासी समाज के विभिन्न संगठनों के बीच समन्वय स्थापित करने तथा संविधानवादी मूल्यों पर आधारित सामाजिक आंदोलन को गति देने पर गहन मंथन हुआ।
कार्यक्रम के दौरान सर्वसम्मति से “राष्ट्रीय मूलनिवासी सामाजिक समन्वय गठबंधन” के गठन की घोषणा की गई, जिसका उद्देश्य देशभर के लाखों बिखरे हुए संगठनों को एक साझा मंच पर लाना है।

गोपाल ऋषिकर भारती का संबोधन: ‘अब 4000 साल की गुलामी तोड़ने का समय’

अपने प्रेरक संबोधन में गोपाल ऋषिकर भारती ने कहा कि: —
“यदि हम सब ईमानदारी और निष्ठा से आगे बढ़ें तो यह सम्मेलन भारत के इतिहास में एक मील का पत्थर साबित होगा। हमारे समाज को हजारों वर्षों से जातीय पूंजीवाद की गुलामी झेलनी पड़ी है, और अब समय आ गया है कि इसे समाप्त कर दिया जाए।”

उन्होंने कहा कि राखीगढ़ी में मिले डीएनए साक्ष्यों से सिद्ध हुआ है कि भारत की प्राचीन सभ्यता के मूल निवासी महिलाएं थीं, जिससे स्पष्ट होता है कि देश की 95% आबादी बहुजन-मूलनिवासी समाज से जुड़ी है।
उन्होंने 1% विदेशी यूरेशियन पूंजीवादी घुसपैठियों को भारत की सामाजिक असमानता का मुख्य कारण बताते हुए कहा कि यही वर्ग आज “सुपर ब्राह्मणवाद” के रूप में देश पर वर्चस्व जमाने की कोशिश कर रहा है।

संविधान दिवस पर होगा राष्ट्रीय जनआंदोलन
गोपाल ऋषिकर भारती ने घोषणा की कि आगामी 26 नवम्बर 2025 (संविधान दिवस) को जंतर मंतर, नई दिल्ली में देशभर के सैकड़ों संगठन एक साथ एक विशाल धरना-प्रदर्शन करेंगे।
यह आंदोलन भारत के संविधान के सम्मान, संरक्षण और बेरोजगार युवाओं सहित आम जनता की 45 सूत्रीय मांगों के समर्थन में आयोजित होगा।

उन्होंने कहा कि: —
“हमारा उद्देश्य किसी दल का विरोध नहीं, बल्कि उस व्यवस्था का अंत करना है जिसने बहुजन-मूलनिवासी समाज को सदियों से गुलाम बनाकर रखा है। अब संविधान को बचाने और लागू करने के लिए सामाजिक क्रांति जरूरी है।”

सम्मेलन में शामिल प्रमुख संगठन और प्रतिनिधि
कार्यक्रम में देशभर से आए कई प्रमुख संगठनों के नेता और प्रतिनिधि शामिल हुए, जिनमें —
राष्ट्रीय मूलनिवासी संघ के अध्यक्ष ताराराम मेहना,
पूर्व राज्यसभा सांसद एवं बहुजन नेशनल पार्टी (अंबेडकर) के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रमोद कुरील,
बहुजन इंटेलेक्चुअल फोरम के डॉ. सत्यार्थी,
सनातन धम्म के डॉ. विलास खरात,
डॉ. अंबेडकर समाज कल्याण संगठन के नवाब सिंह,
राष्ट्रीय संयुक्त मोर्चा भारत के दिल्ली संयोजक पूर्व पुलिस अधिकारी रोहदास कंवर,
राष्ट्रीय मूलनिवासी संघ के उपाध्यक्ष भैरूलाल नामा (राजस्थान)
और भारतीय मूलनिवासी सांस्कृतिक मंच के संस्थापक शिवाजी रॉय प्रमुख रूप से शामिल रहे।

सभी संगठनों ने एकस्वर में यह प्रस्ताव पारित किया कि आने वाले वर्षों में हर राज्य और जिले में “संविधान सुरक्षा दिवस” मनाया जाएगा, ताकि संविधान की मूल भावना और सामाजिक न्याय के विचार को जन-जन तक पहुंचाया जा सके।

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