कोरबा (पब्लिक फोरम)। एसईसीएल की दीपका परियोजना के विस्तार के लिए अधिग्रहीत हरदी बाजार गांव में भूमि सर्वे को लेकर प्रशासन और ग्रामीणों के बीच तनाव गहरा गया है। पाली एसडीएम द्वारा सर्वे के दौरान अतिरिक्त पुलिस बल की तैनाती के लिए लिखे गए एक पत्र ने इस विवाद को और हवा दे दी है, जिसके बाद क्षेत्र के लोगों में भारी आक्रोश है। इस आदेश को ‘तानाशाहीपूर्ण’ बताते हुए सांसद प्रतिनिधि शेत मसीह ने इसे तत्काल निरस्त करने की मांग की है।
एसईसीएल दीपका खदान के विस्तार के लिए हरदी बाजार की भूमि का अधिग्रहण किया जाना है, जिस पर स्थानीय ग्रामवासियों को कई आपत्तियां हैं। ग्रामीणों की मुख्य चिंताएं लंबित रोजगार, उचित मुआवजा, बेहतर बसाहट और खनन से होने वाले पर्यावरण प्रदूषण जैसे मुद्दों से जुड़ी हैं। इन समस्याओं के समाधान के बिना ग्रामीण अपनी जमीन का सर्वे नहीं होने देना चाहते।
कुछ दिन पहले, इस मामले को सुलझाने के लिए पाली की अनुविभागीय दंडाधिकारी (एसडीएम) की अध्यक्षता में प्रशासन, एसईसीएल प्रबंधन और भू-विस्थापितों के बीच एक त्रिपक्षीय वार्ता भी हुई थी। इस बैठक में ग्रामीणों ने स्पष्ट कर दिया था कि जब तक उनकी आपत्तियों का निवारण नहीं होता, वे किसी भी हाल में सर्वे का काम शुरू नहीं होने देंगे।
एसडीएम के पत्र से बढ़ा विवाद
ग्रामीणों के विरोध के बावजूद, पाली एसडीएम ने बीते शनिवार को अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक को एक पत्र लिखकर हरदी बाजार में सर्वे के दौरान सुरक्षा के लिए अतिरिक्त पुरुष और महिला पुलिस बल उपलब्ध कराने का अनुरोध किया। इस पत्र के सामने आते ही भू-विस्थापितों और स्थानीय लोगों का गुस्सा भड़क उठा। उन्हें डर है कि प्रशासन बल प्रयोग कर जबरदस्ती सर्वे कराना चाहता है।
सांसद प्रतिनिधि ने की आदेश निरस्त करने की मांग
इस घटनाक्रम पर कड़ी आपत्ति जताते हुए सांसद प्रतिनिधि और युवा कांग्रेस नेता, शेत मसीह ने पाली एसडीएम को एक पत्र लिखा है। उन्होंने इस आदेश को पूरी तरह से अलोकतांत्रिक और ग्रामीणों के अधिकारों का हनन करने वाला बताया है।
श्री मसीह ने अपने पत्र में लिखा, “खदान प्रभावित ग्रामीण पहले से ही अपने हक और अधिकार के लिए संघर्ष कर रहे हैं। ऐसे में पुलिस बल की मौजूदगी उनके आंदोलन को कमजोर करने और ग्रामीणों के मन में शासन-प्रशासन के प्रति नाराजगी पैदा करने का काम करेगी।” उन्होंने एसडीएम से इस आदेश को तत्काल वापस लेने का निवेदन किया है।


श्री मसीह ने यह भी आरोप लगाया कि राज्य में नई सरकार बनने के बाद से एसईसीएल क्षेत्र में भू-विस्थापितों और ठेका कर्मचारियों के अधिकारों का लगातार दमन किया जा रहा है। उन्होंने कहा, “विरोध करने वाले जनप्रतिनिधियों पर आपराधिक मामले दर्ज कराना, मजदूरों का शोषण करना और निजी कंपनियों के माध्यम से गांव खाली करने का दबाव बनाना अब आम बात हो गई है।”
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