नई दिल्ली (पब्लिक फोरम)। आल इंडिया सेंट्रल काउंसिल ऑफ ट्रेड यूनियन्स (AICCTU) ने फ्रांस के मजदूरों और नागरिकों द्वारा चलाए जा रहे “ब्लॉक एवरी थिंग” आंदोलन तथा 18 सितंबर को प्रस्तावित हड़ताल के समर्थन में अपनी एकजुटता प्रकट की है। यह हड़ताल राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों की सरकार द्वारा लागू किए जा रहे 44 अरब यूरो के नए मितव्ययिता पैकेज के विरोध में की जा रही है।
AICCTU ने एक बयान जारी कर कहा कि फ्रांस के मजदूर, छात्र, ट्रेड यूनियन और आम नागरिक सड़कों पर उतरकर इस कठोर पैकेज का विरोध कर रहे हैं, जिसने समाज के सबसे गरीब और कमजोर वर्गों पर गहरी चोट की है। संगठन ने मैक्रों सरकार द्वारा आंदोलनकारियों पर किए जा रहे दमन और 80,000 पुलिसकर्मियों की तैनाती के साथ की गई गिरफ्तारियों की कड़ी निंदा की है।
बयान में कहा गया कि यह मितव्ययिता पैकेज 2026 में पेंशन पर रोक, स्वास्थ्य सेवाओं में अरबों यूरो की कटौती, मंत्रालयों के खर्च को 2025 के स्तर पर सीमित करने, दो राष्ट्रीय छुट्टियों को समाप्त करने और सामाजिक कल्याण व सार्वजनिक परिवहन सब्सिडी में कमी जैसे कठोर प्रावधानों से भरा हुआ है। इन नीतियों का सबसे ज्यादा असर आम मेहनतकश जनता पर पड़ा है, जबकि धनी वर्ग और कॉर्पोरेट घराने लाभ उठाते जा रहे हैं।
AICCTU ने कहा कि घाटे में कमी और पुनःशस्त्रीकरण के नाम पर कामकाजी तबकों और सेवानिवृत्त लोगों पर बोझ डालना अन्यायपूर्ण है। इसने मजदूरों के वेतन को वास्तविक रूप से स्थिर या घटा दिया है, जबकि अमीर तबकों के मुनाफे और लाभांश सुरक्षित बनाए गए हैं।
बढ़ते जनाक्रोश ने प्रधानमंत्री फ्राँस्वा बायरू की सरकार के पतन में भी योगदान दिया। लेकिन इसके बावजूद राष्ट्रपति मैक्रों ने जनता की प्रगतिशील मांगों की अनदेखी करते हुए दक्षिणपंथी रूढ़िवादी रक्षा मंत्री सेबेस्टियन लेकोर्नू को नया प्रधानमंत्री नियुक्त किया। AICCTU ने इसे फ्रांस में लोकतांत्रिक और वामपंथी विकल्पों को नकारने की कोशिश बताया।
बयान में चेतावनी दी गई कि मैक्रों की मितव्ययिता नीतियाँ न केवल उनकी सरकार को अलोकप्रिय और अस्थिर बना रही हैं, बल्कि फ्रांस में अति-दक्षिणपंथी ताकतों के खतरनाक उभार को भी बढ़ावा दे रही हैं। ऐसे में फ्रांस के मजदूर वर्ग और प्रगतिशील ताकतों को मितव्ययिता और फासीवादी खतरों के खिलाफ अपने संघर्ष और सतर्कता को और मज़बूत करना होगा।
अंत में AICCTU ने फ्रांस के मज़दूर आंदोलन को सलाम करते हुए कहा कि यह संघर्ष पूरी दुनिया के मेहनतकश वर्ग के लिए प्रेरणास्रोत है और भारत के मजदूर संगठन इस आंदोलन के साथ खड़े हैं।
Recent Comments