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गुरूवार, सितम्बर 11, 2025
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कोरबा: अदानी पताढी खदान के भू-विस्थापितों की हड़ताल 22 को: विधायक फूलसिंह राठिया ने दिया समर्थन

कोरबा (पब्लिक फोरम)। अपनी मांगों को लेकर लंबे समय से संघर्ष कर रहे अदानी पताढी खदान के भू-विस्थापित मजदूर अब निर्णायक लड़ाई के मूड में हैं। भू-विस्थापित मजदूर संघ ने आगामी 22 सितंबर, 2025 को हड़ताल का ऐलान किया है। इस आंदोलन को उस वक्त बड़ा बल मिला, जब रामपुर के लोकप्रिय विधायक श्री फूलसिंह राठिया ने खुद बैठक में शामिल होकर अपना समर्थन दिया।

मड़वारानी में बनी आंदोलन की रणनीति

ग्राम मड़वारानी में आयोजित भू-विस्थापित मजदूर संघ की महत्वपूर्ण बैठक में हड़ताल की रूपरेखा तैयार की गई। बैठक में विधायक फूलसिंह राठिया की मौजूदगी ने विस्थापितों के इरादों को और भी मजबूत कर दिया। उन्होंने विस्थापितों की मांगों को जायज ठहराते हुए कहा कि वे उनके हक की लड़ाई में पूरी तरह से साथ हैं और सरकार के सामने उनकी आवाज को पूरी मजबूती से उठाएंगे।

बैठक में संघ के अध्यक्ष प्रवीण ओगरे ने कहा कि प्रबंधन लगातार उनकी मांगों की अनदेखी कर रहा है, जिसके चलते अब उनके पास हड़ताल के अलावा और कोई रास्ता नहीं बचा है। महासचिव धनाराम खांडे ने कहा कि यह केवल रोजी-रोटी की नहीं, बल्कि अस्तित्व और सम्मान की लड़ाई है। अपनी जमीनें देने के बाद आज भू-विस्थापित खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं।

क्या हैं प्रमुख मांगें?

भू-विस्थापित मजदूरों की प्रमुख मांगों में स्थायी रोजगार, उचित मुआवजा और पुनर्वास की बेहतर व्यवस्था शामिल है। संघ के पदाधिकारियों का आरोप है कि कंपनी प्रबंधन ने जमीन अधिग्रहण के समय किए गए वादों को पूरा नहीं किया है। स्थानीय लोगों को रोजगार देने के बजाय बाहर के लोगों को प्राथमिकता दी जा रही है, जिससे उनमें भारी आक्रोश है।

एकजुटता का प्रदर्शन

इस महत्वपूर्ण बैठक में भू-विस्थापित मजदूर संघ के तमाम बड़े पदाधिकारी और सदस्य मौजूद रहे। अध्यक्ष प्रवीण ओगरे, महासचिव धनाराम खांडे के साथ-साथ अखिलेश कुर्रे, संजय कुर्रे, रामधन मिरि, राजकुमार खुटें, राजकुमार बंजारे, शिव खुटें, चन्द्रशेखर भारद्वाज, सोबिन्द सोनवानी, बाबूलाल गोड़, गणेश राम उरांव, विजय कंवर, कली राम, मंगल सिंह, विवेक केसरिया, विरेन्द्र चंद्राकर, रोशन खांडे, मुकुंद खांडे, विनोद भारद्वाज, सनदिलीप, डेविड केसरिया और शाशि की उपस्थिति ने संगठन की एकजुटता को प्रदर्शित किया।

अब देखना यह होगा कि 22 सितंबर की प्रस्तावित हड़ताल का प्रबंधन पर क्या असर पड़ता है और क्या सरकार तथा प्रशासन भू-विस्थापितों की समस्याओं का कोई स्थायी समाधान निकाल पाते हैं या नहीं। विधायक के समर्थन के बाद यह मामला अब और तूल पकड़ता दिख रहा है।

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