कोरबा (पब्लिक फोरम)। गेवरा-पेंड्रा रेल कॉरिडोर के निर्माण कार्य ने आसपास के किसानों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। रेल पथ समतलीकरण के लिए पिछले एक वर्ष से बड़ी मात्रा में थर्मल पावर प्लांटों से निकली राखड़ डंप की जा रही है। बरसात के दिनों में यह राखड़ बहकर धान के खेतों में समा गई, जिससे किसानों की फसलें पूरी तरह चौपट हो गईं। इस भारी नुकसान ने किसानों के माथे पर चिंता की गहरी लकीरें खींच दी हैं।
भैरोताल और कुचेना गांव की सीमा पर चल रहे रेल लाइन निर्माण कार्य के दौरान खेतों और गड्ढों में राखड़ भराव किया गया था। गर्मी में यह राखड़ धूल के रूप में उड़कर आसपास के बस्तियों को प्रदूषित कर रही थी, जबकि बरसात में खेतों में बहकर पहुंच गई। नतीजतन, कई एकड़ में बोई गई धान की फसल पूरी तरह नष्ट हो गई।

किसानों की पीड़ा पर चुप्पी
क्षेत्र के किसानों का कहना है कि अब तक उनकी समस्या सुनने कोई जनप्रतिनिधि या अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचे हैं। फसल बर्बाद होने से किसान आर्थिक संकट में हैं। उन्होंने बताया कि आवारा मवेशियों से बचाव के लिए पहले ही वे हजारों रुपये खर्च कर खेतों में फेंसिंग करा चुके थे, लेकिन राखड़ प्रदूषण ने उनकी सारी उम्मीदें तोड़ दीं।
भूमि अधिग्रहण पर विवाद
किसानों ने यह भी आरोप लगाया कि बांकी–कुसमुंडा से कोरबा को जोड़ने वाली सड़क निर्माण परियोजना में उनकी भूमि अधिग्रहित की जा रही है। इसमें भैरोताल और कुचेना गांव के दर्जनभर किसानों की जमीन प्रभावित हो रही है। भू-अर्जन 2013 अधिनियम के मुताबिक निगम क्षेत्र होने पर किसानों को बाजार भाव का दुगना मुआवजा मिलना चाहिए था, लेकिन राजस्व विभाग ने डिसमिल के हिसाब से मूल्यांकन कर उन्हें कम मुआवजा दिया है। इससे हर किसान को लाखों का नुकसान उठाना पड़ रहा है।
आंदोलन की चेतावनी
ऊर्जाधानी भूविस्थापित संगठन ने इस पूरे मामले पर जिला प्रशासन और राज्य सरकार की निंदा की है। संगठन के अध्यक्ष सपुरन कुलदीप ने कहा कि किसानों की समस्या को लेकर कलेक्टर से शिकायत दर्ज कराई जाएगी। यदि न्याय नहीं मिला तो उच्च न्यायालय में मामला दायर किया जाएगा और जरूरत पड़ने पर किसान सड़क पर उतरकर आंदोलन करेंगे।
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