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गुरूवार, सितम्बर 11, 2025
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कोरबा: बालको सेवानिवृत्त कर्मचारियों का संकट, वेदांता के मौखिक आश्वासनों में फंसा सैकड़ों परिवारों का भविष्य

कोरबा (पब्लिक फोरम)। वेदांता प्रबंधन के बालको (BALCO) संयंत्र से सेवानिवृत्त हुए सैकड़ों कर्मचारियों और उनके परिवारों का भविष्य अनिश्चितता के भंवर में फंस गया है। प्रबंधन द्वारा आवास खाली कराने के लिए की जा रही बलपूर्वक कार्रवाई के खिलाफ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विरोध प्रदर्शन और चेतावनी के बाद हुई बैठक में भले ही 31 अक्टूबर तक की राहत मिल गई हो, लेकिन किसी लिखित समझौते के अभाव और कई अनसुलझे सवालों ने प्रभावित परिवारों की चिंता को और गहरा दिया है।

तालाबंदी की चेतावनी के बाद झुका प्रबंधन

मामले ने तूल तब पकड़ा जब बालको के नए एडमिन हेड कैप्टन धनंजय मिश्रा के नेतृत्व में प्रबंधन ने सेवानिवृत्त कर्मचारियों को दशकों से मिले आवासों से निकालने का अभियान तेज कर दिया। इस दौरान कई घरों के बिजली, पानी और सीवरेज कनेक्शन तक काट दिए गए, जिससे कर्मचारियों में भारी आक्रोश फैल गया।

इस दमनात्मक कार्रवाई के विरोध में 28 अगस्त को पूर्व नेता प्रतिपक्ष हितानंद अग्रवाल और भाजपा बालको नगर मंडल अध्यक्ष डीलेंद्र यादव के नेतृत्व में पार्टी पदाधिकारियों ने प्रबंधन से मुलाकात कर ज्ञापन सौंपा और चेतावनी दी। जब आश्वासन के बावजूद कार्रवाई नहीं रुकी, तो भाजपा ने 4 सितंबर को टाउनशिप कार्यालय में तालाबंदी आंदोलन का ऐलान कर दिया।

इस चेतावनी के बाद प्रबंधन हरकत में आया और भाजपा मंडल के पदाधिकारियों व जनप्रतिनिधियों को बैठक के लिए आमंत्रित किया। गहन चर्चा के बाद, एडमिन हेड कैप्टन धनंजय मिश्रा ने मौखिक रूप से सहमति व्यक्त की कि 31 अक्टूबर तक किसी भी सेवानिवृत्त कर्मचारी को घर से नहीं निकाला जाएगा और न ही उनकी मूलभूत सुविधाओं (बिजली, पानी, सीवरेज) को बाधित किया जाएगा।

मौखिक आश्वासन और अनसुलझे सवाल

बैठक में यह तो तय हो गया कि फिलहाल कर्मचारियों को बेघर नहीं किया जाएगा, लेकिन इस पूरी कवायद की सबसे चिंताजनक बात यह रही कि प्रबंधन ने किसी भी तरह का लिखित समझौता करने से साफ इनकार कर दिया। सूत्रों के अनुसार, प्रबंधन ने स्पष्ट किया कि यह मोहलत केवल भाजपा मंडल के सम्मान में दी गई है और 31 अक्टूबर के बाद आवास खाली करना ही होगा।

इस बैठक ने कई और गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं:-

🔸बकाया राशि का क्या होगा? सेवानिवृत्त कर्मचारियों की बकाया राशि और अन्य देनदारियों का भुगतान प्रबंधन कब और कैसे करेगा, इस पर कोई स्पष्ट सहमति नहीं बन पाई है।

🔸मेडिकल सुविधा कब बहाल होगी? बंद की गई महत्वपूर्ण चिकित्सा सुविधाओं को फिर से शुरू करने के लिए भी केवल मौखिक आश्वासन ही मिला, जिसकी कोई समय-सीमा तय नहीं है।

🔸श्रमिक संगठन क्यों दूर? सबसे हैरानी की बात यह रही कि प्रभावित श्रमिकों की आवाज उठाने वाली इस महत्वपूर्ण बैठक में भाजपा मंडल ने किसी भी प्रभावित श्रमिक, अन्य श्रमिक प्रतिनिधि या अपने ही श्रमिक संगठन “भारतीय मजदूर संघ (BMS)” के किसी भी पदाधिकारी को शामिल करना जरूरी नहीं समझा।

भाजपा में ही उठने लगे असंतोष के सुर

इस बैठक के बाद का घटनाक्रम और भी हैरान करने वाला है। भाजपा के ही कुछ पार्षदों ने अब सोशल मीडिया पर बयान जारी कर कहा है कि वे बैठक में बनी सहमति से इत्तेफाक नहीं रखते। उनके इस रुख ने नई चर्चाओं को जन्म दे दिया है कि क्या उनकी प्रबंधन के साथ कोई अलग से सहमति बनी है? इस आंतरिक कलह ने प्रताड़ित श्रमिक परिवारों की उलझन को और बढ़ा दिया है।

खामोश क्यों हैं अन्य जिम्मेदार?

इस पूरे प्रकरण में कई अन्य किरदारों की भूमिका भी सवालों के घेरे में है। मीडिया के सामने बालको प्रबंधन पर अव्यवस्था का आरोप लगाने वालीं निगम की महापौर, प्रभावित परिवारों से मिलने के बावजूद, उनकी समस्याओं के त्वरित निराकरण के लिए अभी तक कोई ठोस कदम उठाती नहीं दिखी हैं। उनकी चुप्पी कई सवाल खड़े करती है। वहीं, बालको के अन्य श्रमिक संगठन भी इस अति संवेदनशील मुद्दे पर मौन साधे हुए हैं, जिससे उनकी भूमिका पर भी प्रश्नचिन्ह लग रहा है।

“फिलहाल, 31 अक्टूबर तक की अस्थायी राहत के बीच, बालको के सेवानिवृत्त कर्मचारियों का भविष्य अनिश्चित है। सवाल यह है कि क्या भाजपा का आक्रामक रुख और कथित “रौद्र रूप” इन परिवारों को स्थायी राहत दिला पाएगा? क्या जिला प्रशासन इस मानवीय संकट में कोई सार्थक पहल करेगा? या ये परिवार आश्वासनों और राजनीतिक दांव-पेंच के जाल में उलझकर रह जाएंगे? इन सभी सवालों का जवाब तो आने वाला वक्त ही देगा, लेकिन तब तक सैकड़ों बुजुर्ग अपनी जिंदगी की जमा-पूंजी और सम्मान बचाने के लिए हर दिन एक नई लड़ाई लड़ने को मजबूर हैं।”

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