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गुरूवार, सितम्बर 11, 2025
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बालको विवाद: श्रमिकों के अंतिम भुगतान और आवास खाली कराने के नाम पर अमानवीय उत्पीड़न के खिलाफ उठी आवाज़

कोरबा/बालकोनगर (पब्लिक फोरम)। भारत एल्युमिनियम कंपनी लिमिटेड (बालको) के सेवानिवृत्त और बर्खास्तगी के शिकार श्रमिक आज गहरे आर्थिक और सामाजिक संकट से जूझ रहे हैं। अल्युमिनियम कामगार संघ (ऐक्टू) के अध्यक्ष बी.एल. नेताम ने बालको के मुख्य कार्यकारी अधिकारी को संबोधित पत्र जारी कर प्रबंधन पर गंभीर आरोप लगाए हैं।

पत्र में कहा गया है कि वेदांता प्रबंधन ने श्रमिकों को उनकी ग्रैच्युटी, पीएफ, बोनस और अर्जित अवकाश नगदी करण जैसी कई देनदारियां आज दिवस तक नहीं चुकाई हैं। कई कर्मचारियों को तो पेंशन तक से वंचित रखा गया है। इन अंतिम देयकों के अभाव में श्रमिक परिवार आर्थिक तंगी और असुरक्षा का सामना कर रहे हैं।

अमानवीय व्यवहार पर आरोप
कामगार संघ ने आरोप लगाया है कि सेवानिवृत श्रमिकों का बकाया भुगतान नहीं होने के बावजूद नगर प्रशासन ने उनके परिवारों के साथ उत्पीड़नकारी रवैया अपनाया है।
आवासों की बिजली और पानी की आपूर्ति काट दी गई है।
कर्मचारियों की नियमित चिकित्सा सुविधाएं बंद कर दी गई हैं।
महिलाओं और बच्चों के साथ दुर्व्यवहार और अपमानजनक भाषा का प्रयोग किया जा रहा है।
यहां तक कि उनके आवासों के शौचालय और सिवरेज लाइनों को जाम करने जैसी घृणित कार्रवाइयाँ भी की गई हैं।

कानून और संविधान का उल्लंघन
अल्युमिनियम कामगार संघ ने इसे भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 (गरिमा के साथ जीवन का अधिकार) और औद्योगिक विवाद अधिनियम, 1947 का उल्लंघन बताया है। साथ ही, यह कार्य भारतीय दंड संहिता की धारा 503 और 506 के तहत दंडनीय अपराध की श्रेणी में आता है।

श्रमिकों की चार प्रमुख माँगें
– सभी सेवानिवृत्त और बर्खास्त श्रमिकों के अंतिम देयकों का शीघ्र भुगतान।
– बिजली, पानी और चिकित्सा सुविधाओं की तत्काल बहाली।
– जब तक भुगतान पूरा नहीं होता, श्रमिकों को उनके वर्तमान आवासों में ससम्मान रहने की गारंटी।
– अमानवीय कृत्यों के लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर कठोर कानूनी कार्रवाई।

संघ की अपील
कामगार संघ ने कहा है कि यह विवाद केवल कानूनी या वित्तीय नहीं बल्कि मानवता और सम्मान का भी प्रश्न है। जिन श्रमिकों ने अपने जीवन की जवानी बालको के विकास में होम कर दी, आज उनके साथ किया जा रहा व्यवहार कंपनी की छवि और सामाजिक जिम्मेदारी पर भी सवाल खड़ा करता है।

संघ अध्यक्ष बी.एल. नेताम ने कहा है – “हम संघर्ष से पीछे नहीं हटेंगे, परंतु हमारी पहली प्राथमिकता हमेशा सौहार्दपूर्ण समाधान की रही है। हम प्रबंधन और प्रशासन से अपेक्षा करते हैं कि इस मामले को तुरंत संज्ञान में लेकर न्याय सुनिश्चित करें और पीड़ित परिवारों को राहत प्रदान करें।”

बालको के सामने सबसे बड़ी चुनौती यही है कि वह अपने पुराने श्रमिकों के प्रति न्यायसंगत व्यवहार करे। यदि प्रबंधन शीघ्र ही इस विवाद का समाधान नहीं करता, तो यह न केवल एक बड़े श्रमिक आंदोलन का कारण बनेगा बल्कि कंपनी की साख और सामाजिक भरोसे (CSR) पर भी गहरा आघात करेगा।

जिन श्रमिकों ने अपना खून-पसीना बहाकर कंपनी की नींव सींची, आज उनके साथ यह बर्ताव कंपनी की प्रतिष्ठा पर एक ऐसा धब्बा है जिसे धो पाना मुश्किल होगा। अब देखना यह है कि बालको प्रबंधन इन गंभीर आरोपों पर क्या कदम उठाता है और इन पीड़ित श्रमिक परिवारों को न्याय कब मिलता है। 

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