आजादी के जश्न के बीच मुआवजे की चिंता: SECL से नाराज नरईबोध के किसान आंदोलन की राह पर
कोरबा (पब्लिक फोरम)। एक तरफ जहाँ पूरा देश 15 अगस्त को आजादी का जश्न मना रहा था, वहीं दूसरी तरफ कोरबा जिले के नरईबोध गाँव के ग्रामीण अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ रहे थे। एसईसीएल की गेवरा परियोजना से प्रभावित इन किसानों की चिंता अपने मुआवजे और पुनर्वास को लेकर है। लगातार तीन दौर की बैठकों के बाद भी जब उनकी मांगों का निराकरण नहीं हुआ, तो उन्होंने अब आंदोलन की राह पकड़ने का फैसला किया है।
ग्रामीणों का कहना है कि 25 जुलाई, 2025 को एसईसीएल गेवरा क्षेत्र के महाप्रबंधक कार्यालय में अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) कटघोरा और विधायक प्रेमचंद पटेल की मौजूदगी में एक महत्वपूर्ण बैठक हुई थी। इस बैठक में उनकी विभिन्न मांगों पर सहमति बनी थी, लेकिन अब तक उन पर कोई अमल नहीं हुआ है, जिससे उनमें भारी नाराजगी है।

बैठक में बनी सहमति, पर नतीजा सिफर
पिछली बैठक में कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा हुई थी, जिनमें मुख्य रूप से ये शामिल थे:-
🔹पुनर्वास के लिए नई जगह: नरईबोध के ग्रामीणों के लिए खम्हरिया गाँव के पास जरहाजेल में अधिग्रहित जमीन को नई बसाहट के लिए चुना गया है। इस जगह पर लगभग 333 प्लॉट मिल सकते हैं, जबकि 450 अन्य हितग्राहियों और 200 भूमिहीन परिवारों को एकमुश्त मुआवजा राशि दी जाएगी। इसके लिए मुख्यालय बिलासपुर से अनुमोदन का इंतजार है।
🔹मुआवजे में कटौती का विरोध: ग्रामीणों ने अपनी संपत्तियों के मुआवजे में 40% से 60% की कटौती का कड़ा विरोध किया। प्रशासन ने इस पर नियम-कानून का हवाला दिया, जबकि ग्रामीणों का तर्क था कि यह कटौती गलत है। इसके अलावा, परिवार बढ़ने के कारण पुराने घरों में किए गए आंशिक नए निर्माण पर भी कटौती न करने की मांग की गई, जिस पर सकारात्मक जांच का आश्वासन दिया गया था।
🔹रोजगार के मुद्दे: 0.51 एकड़ की जमीन वाले कुछ खातेदारों को रोजगार देने की बात हुई थी। एसईसीएल ने बताया कि 0.51 एकड़ के पाँच खातेदारों को ही रोजगार मिल पाएगा, जबकि पाँच अन्य बाहर हो जाएंगे। इसके साथ ही, गेवरा खदान में काम करने वाली ठेका कंपनियों में भी ग्रामीणों को रोजगार देने पर चर्चा हुई थी। इसके लिए आधार कार्ड, वोटर आईडी, राशन कार्ड और बैंक विवरण के आधार पर प्राथमिकता तय करने की बात कही गई थी। ठेका कंपनियों में 70:30 के अनुपात में रोजगार देने पर सहमति बनी थी, जिसमें 30 प्रतिशत रोजगार स्थानीय ग्रामीणों को देना अनिवार्य होगा।
🔹अन्य मुद्दे: ग्रामीणों ने फौती नामांतरण के मामलों का जल्द निपटारा करने की भी मांग की, जिस पर एसडीएम कटघोरा और तहसीलदार दीपका ने जल्द कार्रवाई का आश्वासन दिया था।

आंदोलन की तैयारी में ग्रामीण
इन सभी आश्वासनों के बावजूद जब कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया, तो ग्रामीणों ने एक बार फिर एकजुट होकर आंदोलन की तैयारी शुरू कर दी है। उन्होंने प्रबंधन और प्रशासन को ज्ञापन सौंपकर अपनी नाराजगी जाहिर की है और अब न्याय के लिए सड़क पर उतरने की रणनीति बना रहे हैं।
यह घटना दिखाती है कि एक तरफ जहाँ देश स्वतंत्रता दिवस का जश्न मना रहा था, वहीं दूसरी तरफ कुछ लोग अपने बुनियादी अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहे हैं। प्रशासन और एसईसीएल के लिए यह एक बड़ी चुनौती है कि वे जल्द से जल्द इस मामले का समाधान करें ताकि ग्रामीणों का गुस्सा शांत हो और वे शांतिपूर्वक अपनी जिंदगी जी सकें।
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