हसदेव नदी संरक्षण हेतु श्रावण पूर्णिमा से जनजागरण अभियान, हस्ताक्षर मुहिम और संकल्प सभा की शुरुआत
कोरबा (पब्लिक फोरम)। कोरबा जिले की जीवनरेखा कही जाने वाली हसदेव नदी आज प्रदूषण, अनियमित विकास और प्रशासनिक उपेक्षा का शिकार हो चुकी है। इसी चिंता के मद्देनज़र नमामि हसदेव सेवा समिति ने एक व्यापक जन-जागरण अभियान की घोषणा की है, जिसकी शुरुआत श्रावण पूर्णिमा (9 अगस्त 2025) से की जाएगी। अभियान का उद्देश्य न केवल नदी की सफाई और संरक्षण है, बल्कि उसे एक भव्य और सांस्कृतिक विरासत के रूप में पुनः स्थापित करना भी है।
माँ सर्वमंगला घाट पर हसदेव आरती से होगी शुरुआत
अभियान की शुरुआत 9 अगस्त को माँ सर्वमंगला घाट पर हसदेव आरती के आयोजन से होगी। यह आरती प्रत्येक पूर्णिमा को की जाएगी, ताकि आमजन के बीच नदी संरक्षण को लेकर चेतना विकसित हो। इस अवसर पर समाज के विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े विशिष्ट जन सहभागी बनेंगे:
मुख्य यजमान: ठाकुर जुड़ावन सिंह, उपाध्यक्ष, विद्या भारती (मध्य क्षेत्र)
विशिष्ट यजमानगण: टिकेश्वर सिंह राठौर (सदस्य, कोल इंडिया वेल्फेयर बोर्ड), नान्हीदास दीवान (प्रांताध्यक्ष, छत्तीसगढ़ शिक्षक महासंघ), गणेश कुलदीप (अध्यक्ष, जिला अधिवक्ता संघ), डॉ. नागेन्द्र नारायण शर्मा (अध्यक्ष, आयुष मेडिकल एसोसिएशन)
रिवर फ्रंट निर्माण की मांग
समिति ने दर्री बांध से कुदुरमाल पुल तक दोनों तटों पर रिवर फ्रंट के निर्माण की मांग की है। समिति का मानना है कि यह क्षेत्र धार्मिक, सांस्कृतिक और पर्यटन की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है, लेकिन वर्तमान में उपेक्षित है। यदि इस स्थान को विकसित किया जाए, तो यह क्षेत्र न केवल कोरबा, बल्कि समूचे छत्तीसगढ़ के लिए गौरव का विषय बन सकता है।
दो चरणों में हस्ताक्षर अभियान और संकल्प सभा
हसदेव संरक्षण के लिए दो चरणों में हस्ताक्षर अभियान चलाया जाएगा।
पहला चरण:
– 9 अगस्त से 7 अक्टूबर 2025 तक।
– शुभारंभ: माँ सर्वमंगला घाट से
– समापन: 7 अक्टूबर को संकल्प सभा, जिसमें साध्वी गिरिजेश नंदिनी जी (स्वामी भजनानंद आश्रम, केन्दई) संत रामरूपदास महात्यागी जी (श्री हरिहर क्षेत्र, मदकू द्वीप) का सानिध्य मिलेगा।
दूसरा चरण:
– 5 नवम्बर से 4 दिसंबर 2025 (कार्तिक पूर्णिमा से मार्गशीर्ष पूर्णिमा)। इस दौरान नागरिकों से हस्ताक्षर एकत्र कर जन समर्थन का दस्तावेज तैयार किया जाएगा, जिसे शासन-प्रशासन के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा।
नमामि हसदेव सेवा समिति ने जिले के प्रत्येक नागरिक से अपील की है कि वे इस अभियान का हिस्सा बनें। नदी केवल जलधारा नहीं, बल्कि संस्कृति, आस्था और जीवन की प्रतीक है। समिति ने आग्रह किया है कि लोग हर पूर्णिमा को होने वाली आरती, हस्ताक्षर अभियान और संकल्प सभा में सहभागी बनें तथा अपने परिवार और समुदाय को भी जोड़ें।






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