कोरबा (पब्लिक फोरम)। एक दुखद और दिल दहला देने वाली घटना में, बालकोनगर के सेक्टर-4 में रहने वाली 11वीं कक्षा की 16 वर्षीय छात्रा अदिति सोलंकी ने अपने ही घर में फांसी लगाकर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली। यह घटना न केवल सोलंकी परिवार के लिए एक कभी न भरने वाला घाव छोड़ गई है, बल्कि समाज को भी उन संवेदनशील मुद्दों पर सोचने के लिए मजबूर कर रही है जिन्हें अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है। अदिति की आत्महत्या के पीछे स्कूल जाने को लेकर हुई मामूली डांट और उसकी जिद को शुरुआती कारण माना जा रहा है, लेकिन यह घटना किशोरों के मानसिक स्वास्थ्य और पारिवारिक संवाद की गहराती खाई की ओर भी एक गंभीर इशारा करती है।
क्या थी पूरी घटना?
घटना का खुलासा तब हुआ जब हमेशा की तरह सुबह अदिति अपने कमरे से बाहर नहीं निकली। परिवार वालों के अनुसार, अदिति रात में अपने कमरे में पढ़ाई कर रही थी, जबकि बाकी सदस्य दूसरे कमरे में थे। सुबह जब काफी देर तक कोई हलचल नहीं हुई, तो परिजनों ने दरवाजा खटखटाया। कोई जवाब न मिलने पर जब दरवाजा खोला गया तो अंदर का दृश्य हृदयविदारक था। अदिति दुपट्टे के सहारे पंखे से लटकी हुई थी।
परिवार वाले उसे फौरन नीचे उतारकर अस्पताल ले गए, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। घटना की सूचना मिलते ही बालको पुलिस मौके पर पहुंची और मामले की जांच शुरू कर दी।
पुलिस की प्रारंभिक जांच और परिजनों से पूछताछ में यह बात सामने आई है कि अदिति स्वभाव से थोड़ी जिद्दी थी और अक्सर छोटी-छोटी बातों पर नाराज हो जाया करती थी। घटना की रात भी स्कूल जाने को लेकर उसकी अपने परिजनों से कुछ कहासुनी हुई थी। इसके अलावा, कुछ दिन पहले उसने पास की किसी दुकान से कोल्ड ड्रिंक और चिप्स उधार लिए थे, जिस पर भी परिवार वालों ने उसे समझाया था। माना जा रहा है कि इन छोटी-छोटी बातों ने मिलकर उसे मानसिक रूप से इस कदर कमजोर कर दिया कि उसने यह आत्मघाती कदम उठा लिया।
कोरबा सीएसपी ने बताया कि प्रथम दृष्टया यह आत्महत्या का मामला लग रहा है। पुलिस ने शव का पंचनामा कर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है और परिवार के सदस्यों के बयान दर्ज कर रही है। पुलिस अदिति के मोबाइल फोन और अन्य निजी सामानों की भी जांच कर रही है ताकि आत्महत्या के वास्तविक कारणों का पता लगाया जा सके।
एक होनहार छात्रा और परिवार का सपना
अदिति सोलंकी, गोढ़ी स्थित जैन पब्लिक स्कूल में 11वीं कक्षा की छात्रा थी। उसके पिता अजय पाल सिंह एक ठेकेदार हैं और उनका परिवार बालको में एक संयुक्त परिवार के रूप में रहता है। अदिति अपने परिवार की लाडली थी और उसकी इस असामयिक मृत्यु ने पूरे परिवार को सदमे में डाल दिया है। इस घटना से पूरे क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गई है।
यह दुखद घटना किशोरों के बीच बढ़ते मानसिक स्वास्थ्य संकट और परिवारों के भीतर संवाद की कमी को एक बार फिर उजागर करती है। मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि आज के डिजिटल युग में बच्चों पर अकादमिक दबाव, साथियों के बीच खुद को बेहतर साबित करने की होड़ और सोशल मीडिया का प्रभाव उन्हें भावनात्मक रूप से कमजोर बना रहा है। छोटे-छोटे विवादों पर अत्यधिक प्रतिक्रिया देना या आत्मघाती कदम उठाना इसी कमजोर मानसिक स्थिति का परिचायक है।
कोरबा में पिछले एक साल में मानसिक रोगियों की संख्या में वृद्धि देखी गई है, जो इस औद्योगिक शहर में बढ़ते तनाव और मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों को दर्शाता है। ऐसे में यह और भी आवश्यक हो जाता है कि स्कूलों और घरों में मानसिक स्वास्थ्य को लेकर खुली बातचीत हो और बच्चों को यह महसूस कराया जाए कि वे अपनी किसी भी परेशानी के लिए अपने बड़ों से बात कर सकते हैं।
यह एक अकेली घटना नहीं है, बल्कि एक चेतावनी है। समाज और परिवारों को मिलकर यह सुनिश्चित करना होगा कि भविष्य में किसी और अदिति को इस तरह खामोशी से दुनिया को अलविदा न कहना पड़े।
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