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सोमवार, सितम्बर 29, 2025
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कोरबा में कुएं का मिट्टी ढहने से एक ही परिवार के तीन लोगों की मौत: SDRF की 26 घंटे की रेस्क्यू कार्रवाई से निकाले गए शव

– बनवार गांव में मातम: मिट्टी ढहने से गई तीन जानें, बची सिर्फ एक मां और मासूम बच्ची
– रेस्क्यू में प्रशासन और SDRF की दिन-रात की मेहनत, JCB-पोकलेन से हटाया गया मलबा

कोरबा (पब्लिक फोरम)। कोरबा जिले के कटघोरा विकासखंड अंतर्गत ग्राम बनवार में सोमवार को एक दिल दहला देने वाला हादसा हुआ, जिसमें एक ही परिवार के तीन सदस्यों की दर्दनाक मौत हो गई। मिट्टी धंसने की इस घटना ने गांव के हर चेहरे को शोकग्रस्त कर दिया है, जबकि इस त्रासदी के बाद बची है बस एक महिला और उसकी तीन साल की मासूम बच्ची।

कैसे हुआ हादसा? – कुएं से टुल्लू पंप निकालते समय मिट्टी ढही

जानकारी के अनुसार, यह हादसा उस वक्त हुआ जब गांव के निवासी गोविंदराम श्रीवास (35), उनके पिता छेदुराम श्रीवास (65) और मां कंचनबाई (58) हाल ही में मनरेगा के तहत बने निजी कुएं में पानी बढ़ने के कारण डूबे टुल्लू पंप को निकालने पहुंचे थे। इसी दौरान अचानक कुएं की मिट्टी ढह गई और तीनों उसी मलबे में दब गए।

लापता परिजनों की खोज में सुराग बना एक चप्पल
सोमवार सुबह जब परिवार के तीन सदस्य घर से नदारद मिले, तो परिजन चिंतित हो उठे। खोजबीन के दौरान कुएं के पास एक हिस्सा धंसा मिला और वहीं एक चप्पल भी दिखाई दी। इसी छोटी-सी चीज ने एक बड़ा संकेत दिया और आशंका गहराई कि तीनों मिट्टी में दब गए हैं। तत्काल इसकी सूचना पुलिस व प्रशासन को दी गई।

प्रशासन और SDRF की रेस्क्यू टीम 26 घंटे तक जुटी रही
सूचना मिलते ही कटघोरा थाना प्रभारी धर्म नारायण तिवारी और जटगा चौकी प्रभारी चंद्रपाल खांडे अपनी टीम के साथ मौके पर पहुंचे। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए अनुविभागीय अधिकारी (SDM) समेत प्रशासनिक अमला सक्रिय हो गया। विशेष राहत और बचाव कार्य के लिए राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (SDRF) की टीम को तत्काल बुलाया गया।

रेस्क्यू कार्य बेहद कठिन था क्योंकि कुएं में पानी का रिसाव जारी था और मलबा लगातार जमता जा रहा था। भारी मशीनों – JCB और पोकलेन – की मदद से जब मलबा हटाया गया, तब जाकर SDRF टीम को अंदर तक पहुंच मिली।

लगातार 26 घंटे चले इस रेस्क्यू अभियान में SDRF, स्थानीय पुलिस, पंचायत प्रतिनिधि, ग्रामीण और प्रशासनिक अधिकारी पूरी निष्ठा से जुटे रहे। अंततः तीनों शवों को बाहर निकाला गया।

आर्थिक सहायता और अंतिम विदाई
प्रशासन की ओर से पीड़ित परिवार को तत्काल 30,000 रुपए की सहायता राशि दी गई, जिससे मृतकों का अंतिम संस्कार किया जा सके। मौके पर पहुंचे अधिकारियों ने परिवार को ढांढस बंधाया और हर संभव मदद का आश्वासन दिया।

गांव में गहरा शोक, लेकिन प्रशासन की संवेदनशीलता को सराहना
बनवार गांव इस दर्दनाक घटना से सदमे में है। जहां एक ओर तीन जिंदगियां मलबे में समा गईं, वहीं दूसरी ओर प्रशासन और SDRF की तत्परता ने यह सुनिश्चित किया कि रेस्क्यू कार्य सम्मानपूर्वक संपन्न हो। गांव के लोगों ने प्रशासन की संवेदनशीलता और मानवीय पहल की सराहना की।

इस त्रासदी में सबसे ज्यादा मार खाई है उस तीन साल की मासूम बच्ची ने, जिसके सिर से पिता का साया उठ गया। मां की आंखों में अब सिर्फ आंसू हैं, और बच्ची की मासूम निगाहों में वो सवाल, जिसका जवाब शायद इस समाज के पास भी नहीं है – “मेरे पापा कहां गए?”

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