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रविवार, जुलाई 27, 2025
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अल्प बचत से राष्ट्र निर्माण: प्रदीप की अनूठी कहानी जो बनी प्रेरणा का स्रोत

बालकोनगर/मध्य प्रदेश (पब्लिक फोरम)। साधारण से दिखने वाले जबलपुरवासी प्रदीप की असाधारण कहानी आज देश भर में प्रेरणा का स्रोत बन चुकी है। अटूट देशभक्ति और दूरदर्शी सोच वाले इस व्यक्ति ने अपनी छोटी-छोटी पहलों से सिद्ध कर दिया है कि राष्ट्र निर्माण में प्रत्येक नागरिक का योगदान महत्वपूर्ण होता है।

संघर्ष से शुरुआत
वर्ष 1979 में, महज 17-18 वर्ष की आयु में, जब प्रदीप जबलपुर में एक कपड़े की दुकान पर प्रतिदिन एक रुपया कमाते थे, तब भी उनके मन में देश के लिए कुछ कर गुजरने का सपना था। सेना में भर्ती होने के असफल प्रयासों के बावजूद उनकी हिम्मत नहीं टूटी। पढ़ाई के साथ-साथ, वे निरंतर सरकारी योजनाओं का अध्ययन करते रहे, यह सोचते हुए कि वे राष्ट्र सेवा में कैसे योगदान दे सकते हैं।

1981 में आईटीआई से रेडियो एवं टेलीविजन में डिप्लोमा प्राप्त करने के बाद भी नौकरी न मिलने पर उनकी देशभक्ति की भावना कम नहीं हुई। अपने साप्ताहिक अवकाश के दिनों में, वे टाउन हॉल स्थित पुस्तकालय में अध्ययन करते रहे। इसी निरंतर प्रयास का परिणाम था कि 1982 में उनका चयन बिलासपुर के कोरबा स्थित भारत एल्युमिनियम कंपनी लिमिटेड (बालको) में अप्रेंटिस ट्रेनी के रूप में हुआ।

बचत की अनूठी पहल
बालको में नौकरी मिलने के बाद प्रदीप नियमित रूप से सेवानिवृत्त होने वाले कर्मचारियों से मिलते थे और उनकी समस्याओं के बारे में जानकारी एकत्र करते थे। दो वर्षों के गहन अध्ययन से उन्हें पता चला कि सेवानिवृत्ति के बाद कर्मचारियों को सबसे अधिक “पैसे की बचत न कर पाने” की समस्या का सामना करना पड़ता है।

इस समस्या के समाधान के लिए, उन्होंने मात्र 50 रुपये की मासिक बचत राशि को आधार मानकर एक क्रांतिकारी योजना बनाई:

– जून 1987 में बालको नगर के डाकघर में 50 रुपये की मासिक राशि के साथ 60 महीने के लिए पहला आवर्ती जमा खाता खोला
– जनवरी 1988 से प्रति माह 5 साल की अवधि के लिए 50 रुपये का एक नया आवर्ती जमा खाता खोलना शुरू किया
– इसी क्रम को जारी रखते हुए, 1997 तक कुल 60 खाते खोले, जिसे “लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स” में दर्ज किया गया

वर्तमान में, उनके नाम से 335 आवर्ती जमा खाते हैं, जिनमें से 275 परिपक्व हो चुके हैं और 60 सक्रिय हैं। इन सक्रिय खातों में हमेशा 91,500 रुपये संग्रहित रहते हैं, जो एक सुदृढ़ आर्थिक भविष्य का आधार बने हुए हैं।

सामाजिक प्रतिबद्धता
प्रदीप की उपलब्धियाँ केवल वित्तीय क्षेत्र तक सीमित नहीं हैं। उन्होंने विभिन्न सामाजिक मुद्दों पर भी अपनी प्रतिबद्धता दिखाई है:

– 05 जून 1984 को देश में अंधत्व की समस्या के निवारण हेतु मरणोपरांत नेत्रदान का संकल्प लिया
– 15 फरवरी 1988 को दहेज प्रथा के विरोध में और बिजली की खपत कम करने के उद्देश्य से बिना दहेज के दिन में विवाह किया
– 18 दिसंबर 1991 को, बढ़ती जनसंख्या की समस्या के प्रति जागरूकता लाने के लिए, अपनी एकमात्र संतान (पुत्री) के जन्म के बाद परिवार नियोजन ऑपरेशन करवाया

अनुकरणीय पहल
अक्टूबर 2020 में पत्नी के कोरोना संक्रमित होने के कारण स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने के बाद भी, प्रदीप अपने मिशन पर अडिग हैं। वे अपने परिचितों, मित्रों और रिश्तेदारों को प्रत्येक जन्मदिन पर 60 महीने की अवधि के लिए एक नया आवर्ती जमा खाता खोलने के लिए प्रेरित करते हैं।

उनका मानना है कि हर व्यक्ति अपने जन्मदिन पर सबसे अधिक खुश और उत्साहित होता है, इसलिए हर किसी को अपने आने वाले प्रत्येक जन्मदिन पर 60 महीने की अवधि के लिए एक नया आवर्ती जमा खाता अवश्य खोलना चाहिए। पाँच वर्ष पश्चात, जब छठा वर्ष आएगा, तो आपके जन्मदिन पर उपहार के रूप में आपका पहला आवर्ती जमा खाता परिपक्व होगा।

राष्ट्रीय विकास का दृष्टिकोण
प्रदीप का दृढ़ विश्वास है कि इस निरंतर अल्प बचत से हमारे देश में “अल्प बचत से पूंजी निर्माण” का वातावरण तैयार होगा और भारत जापान जैसे देशों से भी अधिक आर्थिक प्रगति कर सकेगा। उल्लेखनीय है कि जिस वर्ष उन्होंने अपनी इस अनूठी पहल को “लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स” में दर्ज कराया, वह भारत की स्वतंत्रता की 50वीं वर्षगांठ का वर्ष था – 1997।

मान्यता और सम्मान
प्रदीप की इस असाधारण पहल और योगदान को विभिन्न स्तरों पर सराहा गया है:

– बालको द्वारा कर्मचारी सुझाव योजना और वेतन से बचत अभियान में कई बार सम्मानित
– मध्य प्रदेश श्रम कल्याण मंडल द्वारा श्रम कल्याण गतिविधियों में सराहनीय कार्य के लिए सम्मानित
– कई प्रतिष्ठित समाचार पत्रों और पत्रिकाओं जैसे दैनिक नवभारत, मजदूर संदेश, दैनिक सांध्य समीक्षक, तरुण छत्तीसगढ़, नवभारत टाइम्स, और इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित
– आकाशवाणी बिलासपुर द्वारा “विश्व मितव्ययिता दिवस” पर साक्षात्कार प्रसारित
– 8 अप्रैल 2023 को लिंगयास यूनिवर्सिटी, नई दिल्ली में “जनभागीदारी योजना” के अंतर्गत “अल्प बचत से पूंजी निर्माण” विषय पर उद्बोधन

जीवन का संदेश
प्रदीप “आवर्ती जमा योजना” को “पैसों की खेती” कहते हैं, जिसकी फसल हर पांच साल में परिपक्व होती है। उनके अनुसार:

– बचत करने में राशि का नहीं, समय का महत्व है
– जितनी जल्दी बचत शुरू की जाए, कंपाउंडिंग का उतना ही अधिक लाभ मिलता है
– छोटी राशि से बचत करने में कभी शर्म नहीं करनी चाहिए
– नियमित बचत हमें दूसरों पर आश्रित होने से बचाती है
– व्यक्तिगत बचत राष्ट्रीय विकास में योगदान देती है

प्रदीप का जीवन त्याग, समर्पण और देशभक्ति का एक अनुपम उदाहरण है। एक साधारण पृष्ठभूमि से उठकर, उन्होंने न केवल अपने लिए एक आर्थिक रूप से सुरक्षित भविष्य बनाया, बल्कि अपने अनूठे विचार और प्रयासों से अनगिनत लोगों को बचत के महत्व के बारे में जागरूक किया। उनका “पैट्रियटिक वर्क” भारत के नागरिकों को प्रेरित करता है कि वे छोटी-छोटी पहलों से भी देश के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं।

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