कोरबा (पब्लिक फोरम)। छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में एक फेसबुक पोस्ट को लेकर सियासत गरमा गई है। पूर्व मंत्री और कांग्रेस नेता जयसिंह अग्रवाल और कोरबा के कलेक्टर अजीत वसंत के बीच इस पोस्ट को लेकर सीधा टकराव देखने को मिल रहा है। कलेक्टर ने जयसिंह अग्रवाल को एक औपचारिक नोटिस जारी कर उस फेसबुक पोस्ट को हटाने का निर्देश दिया है, जिसे उन्होंने “दुर्भावनापूर्ण” बताया है। वहीं, जयसिंह अग्रवाल ने इस आदेश को मानने से इनकार कर दिया है, जिससे मामला और भी तूल पकड़ता जा रहा है।
विवाद की जड़: एक फेसबुक पोस्ट
यह पूरा विवाद तब शुरू हुआ जब जयसिंह अग्रवाल ने अपने फेसबुक प्रोफाइल पर पूर्व आदिवासी मंत्री ननकीराम कंवर की एक तस्वीर साझा की। इस तस्वीर के साथ उन्होंने एक टिप्पणी भी की थी, जिसमें उन्होंने राज्यपाल और कलेक्टर के सामने खड़े ननकीराम कंवर की स्थिति को एक वरिष्ठ आदिवासी नेता का अपमान बताया था। अग्रवाल ने लिखा था, “छत्तीसगढ़ के वरिष्ठतम आदिवासी नेता का अपमान बहुत ही कष्टप्रद है। छत्तीसगढ़ के वरिष्ठतम आदिवासी नेता, पूर्व गृहमंत्री श्री ननकीराम कंवर खड़े हैं, जबकि महामहिम राज्यपाल श्री रमेन डेका जी के साथ कलेक्टर अजीत वसंत बैठे हुए हैं। यह जान और सुनकर अत्यंत पीड़ा हुई।”
कलेक्टर का नोटिस और पूर्व मंत्री का रुख
कलेक्टर अजीत वसंत ने इस पोस्ट को संज्ञान में लेते हुए जयसिंह अग्रवाल को नोटिस जारी किया। कलेक्टर का कहना है कि यह पोस्ट दुर्भावनापूर्ण है और इसका उद्देश्य सामाजिक वर्गों के बीच विद्वेष फैलाना व प्रशासन की छवि को धूमिल करना है। उन्होंने अग्रवाल को तत्काल पोस्ट हटाने के निर्देश दिए और ऐसा न करने पर कानूनी कार्रवाई की चेतावनी भी दी।
हालांकि, जयसिंह अग्रवाल ने इस नोटिस का कड़ा विरोध किया है। उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि वे यह पोस्ट नहीं हटाएंगे। श्री अग्रवाल ने कहा कि यदि कलेक्टर उनसे विनम्रतापूर्वक निवेदन करते, तो शायद वे पोस्ट हटा देते, लेकिन अब जब आदेश दिया गया है, तो वे इसका पालन नहीं करेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि कलेक्टर उन्हें निर्देश देने वाले कौन होते हैं, वे उनका चपरासी नहीं हैं। अग्रवाल का आरोप है कि यह नोटिस बालको नगर के दौरे और कलेक्ट्रेट घेराव की उनकी चेतावनी के दबाव को कम करने के लिए भेजा गया है।
प्रशासनिक और राजनीतिक हलकों में हलचल
इस घटनाक्रम ने कोरबा के प्रशासनिक और राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। कलेक्टर अजीत वसंत ने इस मामले पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि जिले में कानून व्यवस्था बनाए रखना उनकी जिम्मेदारी है। यदि किसी व्यक्ति के कार्य या शब्दों से कानून व्यवस्था बिगड़ने की आशंका होती है, तो नोटिस जारी किया जाता है, और इसी कारण यह कार्रवाई की गई है।
वहीं, पूर्व आदिवासी मंत्री ननकीराम कंवर ने इस मामले पर स्पष्ट किया है कि उन्हें किसी भी प्रकार का अपमान महसूस नहीं हुआ है।
यह पूरा मामला अब राजनीतिक गरिमा और प्रशासनिक अनुशासन के बीच टकराव का रूप ले चुका है। जयसिंह अग्रवाल के इस रुख के बाद यह देखना दिलचस्प होगा कि प्रशासन आगे क्या कार्रवाई करता है।
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