– कोरबा जिले के पोड़ी-उपरोड़ा और पाली ब्लॉक के दो प्राथमिक शालाओं की हालत बेहद खस्ता।
– पचभईयापारा और चैतमा गाँव के स्कूलों में छत और दीवारों से प्लास्टर गिरने से बच्चों की जान को खतरा।
– अखिल भारतीय पंचायत परिषद ने कलेक्टर को पत्र लिखकर तत्काल नए भवन निर्माण की मांग की।
कोरबा (पब्लिक फोरम)। एक ओर जहाँ सरकार ‘सब पढ़ें, सब बढ़ें’ के नारे के साथ शिक्षा के स्तर को सुधारने का हर संभव प्रयास कर रही है, वहीं दूसरी ओर कोरबा जिले के सुदूर ग्रामीण अंचलों से ऐसी तस्वीरें सामने आ रही हैं जो इस संकल्प पर गंभीर सवाल खड़े करती हैं। जिले के दो अलग-अलग विकासखंडों में स्थित प्राथमिक शालाओं के भवन इतने जर्जर हो चुके हैं कि वहाँ पढ़ने वाले नौनिहाल हर पल मौत के साये में शिक्षा ग्रहण करने को मजबूर हैं। छत से टपकता पानी और दीवारों से गिरता प्लास्टर इन बच्चों के लिए एक डरावना सच बन चुका है।
इस गंभीर मुद्दे को लेकर अखिल भारतीय पंचायत परिषद ने जिला प्रशासन का दरवाजा खटखटाया है और इन खतरनाक हो चुके भवनों को तोड़कर तत्काल नए भवन बनाने की गुहार लगाई है।
पचभईयापारा: जहाँ हर पल मंडराता है हादसे का डर
पोड़ी-उपरोड़ा ब्लॉक के अंतर्गत आने वाले गाँव पचभईयापारा (पोड़ी उपरोड़ा) की शासकीय प्राथमिक शाला की स्थिति बेहद चिंताजनक है। यहाँ के भवन की दीवारें और छत इतनी कमजोर हो चुकी हैं कि उनसे लगातार प्लास्टर उखड़कर गिर रहा है। कक्षा में बैठे मासूम बच्चे ब्लैकबोर्ड पर देखने से ज़्यादा छत की ओर इस डर से ताकते रहते हैं कि कहीं प्लास्टर का कोई टुकड़ा उन पर न आ गिरे।
अखिल भारतीय पंचायत परिषद के जिलाध्यक्ष (ग्रामीण) लोकेश कुमार साहू द्वारा कलेक्टर को सौंपे गए पत्र के अनुसार, इस भवन में कभी भी कोई बड़ी दुर्घटना हो सकती है। उन्होंने बताया कि इस संबंध में ग्राम पंचायत द्वारा प्रस्ताव भी पारित किया जा चुका है, लेकिन आज तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई, जो प्रशासनिक उदासीनता को दर्शाती है।
चैतमा: बारिश में क्लासरूम बन जाता है तालाब
कुछ ऐसी ही भयावह स्थिति पाली ब्लॉक के ग्राम चैतमा स्थित प्राथमिक शाला की भी है। यहाँ के स्कूल भवन की छत का प्लास्टर पहले ही झड़ चुका है। बारिश के मौसम में स्थिति और भी विकट हो जाती है। छत से पानी टपकने के कारण बच्चों को अपनी किताबें और बस्ते बचाने के लिए कक्षा के एक कोने में सिमटकर बैठना पड़ता है। ऐसे में पढ़ाई-लिखाई तो दूर, बच्चों के लिए स्कूल में कुछ घंटे बिताना भी एक चुनौती बन गया है। इन हालातों में बच्चों को घर से मध्याह्न भोजन लाने के लिए मजबूर होना पड़ता है, क्योंकि स्कूल में सुरक्षित बैठकर खाने तक की जगह नहीं है।
“बच्चों के भविष्य का सवाल है” – पंचायत परिषद की मार्मिक अपील
अखिल भारतीय पंचायत परिषद ने दिनांक 16 जुलाई 2025 को कलेक्टर को एक पत्र सौंपकर इस गंभीर समस्या पर तत्काल ध्यान देने का आग्रह किया है। श्री साहू ने अपने पत्र में लिखा है, “यह हमारे बच्चों के भविष्य और उनकी सुरक्षा का सवाल है। आपसे निवेदन है कि इन जर्जर भवनों की समस्या को प्राथमिकता में लेते हुए, इन्हें तोड़कर नए भवनों के निर्माण के लिए त्वरित कार्यवाही करें।”
यह पत्र जिला शिक्षा अधिकारी और संबंधित खंड शिक्षा अधिकारी को भी आवश्यक कार्रवाई हेतु भेजा गया है, जिस पर कलेक्टोरेट और जिला शिक्षा कार्यालय द्वारा प्राप्ति की मुहर भी लग चुकी है।
अब सबकी निगाहें जिला प्रशासन पर टिकी हैं।
यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि प्रशासन इन मासूम बच्चों की सुरक्षा को लेकर कितनी गंभीरता दिखाता है और कब तक इन जर्जर स्कूलों की जगह सुरक्षित और नए भवन ले पाते हैं, ताकि बच्चे डर के साये से निकलकर आत्मविश्वास के साथ अपना भविष्य गढ़ सकें।
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