– पूर्व मंत्री जय सिंह अग्रवाल ने फेसबुक पर एक तस्वीर पोस्ट कर वरिष्ठ आदिवासी नेता ननकीराम कंवर के अपमान का आरोप लगाया।
– तस्वीर में पूर्व मंत्री ननकीराम कंवर खड़े हैं, जबकि कलेक्टर बैठे हुए दिखाई दे रहे हैं।
– जिला प्रशासन ने आरोपों को खारिज करते हुए इसे दुर्भावनापूर्ण बताया और पोस्ट हटाने का निर्देश दिया।
– कलेक्टर कार्यालय का स्पष्टीकरण- “ज्ञापन देने के लिए खड़े हुए थे कंवर, उसी वक्त खींची गई तस्वीर।”
कोरबा (पब्लिक फोरम)। कोरबा जिले में एक फेसबुक पोस्ट को लेकर बड़ा राजनीतिक और प्रशासनिक विवाद खड़ा हो गया है। एक तस्वीर, जिसमें प्रदेश के वरिष्ठ आदिवासी नेता और पूर्व मंत्री ननकीराम कंवर खड़े दिख रहे हैं, जबकि कलेक्टर बैठे हुए हैं, सोशल मीडिया पर तेजी से प्रसारित हो रही है। इस तस्वीर को पूर्व मंत्री जय सिंह अग्रवाल ने अपने फेसबुक प्रोफाइल पर साझा करते हुए इसे एक वरिष्ठ नेता का अपमान बताया, जिसके बाद जिला प्रशासन ने तुरंत इस पर प्रतिक्रिया दी। कलेक्टर कार्यालय ने श्री अग्रवाल को एक पत्र जारी कर तस्वीर को दुर्भावनापूर्ण तरीके से प्रचारित करने का आरोप लगाया और पोस्ट को तत्काल हटाने का निर्देश दिया है।
क्या है पूरा मामला?
यह विवाद 14 जुलाई, 2025 को शुरू हुआ, जब पूर्व मंत्री जय सिंह अग्रवाल ने अपने फेसबुक अकाउंट पर एक तस्वीर पोस्ट की। तस्वीर के साथ उन्होंने लिखा, “छत्तीसगढ़ के वरिष्ठतम आदिवासी नेता का अपमान बहुत ही कष्टप्रद है। छत्तीसगढ़ के वरिष्ठतम आदिवासी नेता, पूर्व मंत्री श्री ननकीराम कंवर खड़े हैं, जबकि महामहिम राज्यपाल श्री रमेन डेका जी के साथ कलेक्टर अजीत बसंत बैठे हुए हैं। यह जान और सुनकर अत्यंत पीड़ा हुई।” इस पोस्ट के बाद यह तस्वीर चर्चा का विषय बन गई और प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल उठाए जाने लगे।

जिला प्रशासन ने दिया आरोपों का जवाब
मामले के तूल पकड़ते ही कोरबा कलेक्टर एवं जिला दंडाधिकारी कार्यालय ने 15 जुलाई, 2025 को श्री जय सिंह अग्रवाल को एक औपचारिक पत्र जारी कर स्थिति स्पष्ट की। पत्र में कहा गया है कि तस्वीर को गलत संदर्भ में और दुर्भावनापूर्ण इरादे से प्रचारित किया जा रहा है।
प्रशासन ने अपने स्पष्टीकरण में कहा:
🔸श्री ननकीराम कंवर के साथ बैठक के लिए व्यवस्था पहले से ही निर्धारित थी।
🔸जैसे ही श्री कंवर ने कक्ष में प्रवेश किया, कलेक्टर ने उनका अभिवादन किया था।
🔸 इसके बाद श्री कंवर अपने लिए तय स्थान पर बैठ गए थे।
🔸 यह तस्वीर उस समय ली गई जब वे कलेक्टर को ज्ञापन सौंपने के लिए कुछ देर के लिए अपनी कुर्सी से खड़े हुए थे।
प्रशासन की कड़ी चेतावनी
कलेक्टर कार्यालय ने अपने पत्र में श्री अग्रवाल के इस कृत्य को सामाजिक वर्गों के बीच द्वेष फैलाने और शासन-प्रशासन की छवि धूमिल करने की कोशिश बताया है। पत्र में यह भी कहा गया है कि इस तरह की पोस्ट से आम नागरिकों के मन में असंतोष की भावना पैदा हो सकती है।
प्रशासन ने श्री अग्रवाल को पोस्ट तत्काल हटाने का निर्देश दिया है। साथ ही चेतावनी दी है कि ऐसा नहीं करने पर इसे भारतीय न्याय संहिता के तहत एक दंडनीय अपराध माना जा सकता है और कानूनी कार्रवाई की जा सकती है।

यह घटना इस बात का एक और उदाहरण है कि कैसे सोशल मीडिया पर साझा की गई कोई भी जानकारी या तस्वीर बिना पूरे संदर्भ के एक बड़े विवाद का कारण बन सकती है। एक तरफ जहां एक वरिष्ठ आदिवासी नेता के सम्मान का संवेदनशील मुद्दा है, तो वहीं दूसरी तरफ प्रशासन ने अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए इसे एक सुनियोजित प्रयास बताया है। अब देखना यह होगा कि इस मामले में आगे क्या मोड़ आता है।
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