रविवार, जुलाई 13, 2025
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BALCO पुनर्वास मामला: पूर्व परियोजना प्रमुख और एसडीएम को कोर्ट का नोटिस, अगली सुनवाई 23 अगस्त को

कोरबा (पब्लिक फोरम)। शांतिनगर पुनर्वास प्रकरण ने अब एक नया मोड़ ले लिया है, जहाँ न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी श्री सत्यानंद प्रसाद की अदालत ने भारत एल्युमिनियम कंपनी लिमिटेड (बालको) के तत्कालीन परियोजना प्रमुख जीवन कुमार मुखर्जी और तत्कालीन एसडीएम कोरबा गोविन्दराम राठौर को नोटिस जारी किया है। दोनों अधिकारियों पर पद का दुरुपयोग कर पुनर्वास प्रक्रिया में गंभीर अनियमितताओं के आरोप लगे हैं, और उन्हें अगली सुनवाई में अपना जवाब प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है।

यह मामला तब सामने आया जब शांतिनगर वार्ड क्रमांक 39 निवासी पी. तुलसी पति पी. कालिदास और अहमद अली पिता नासिर खान ने अदालत में एक परिवाद दायर किया। उनका आरोप है कि बालको प्रबंधन और तत्कालीन प्रशासन ने त्रिपक्षीय सहमति के बावजूद पुनर्वास नीति में हेरफेर किया, जिससे प्रभावित 87 परिवारों को उनका उचित हक नहीं मिल पाया।

क्या है पूरा मामला?
प्राप्त जानकारी के अनुसार, 22 मई 2013 को एसडीएम कार्यालय के एक पत्र के आधार पर बालको प्रबंधन ने पुनर्वास के लिए विकल्प (ब) को लागू करने की सहमति दी थी। इसके बाद, 24 सितंबर 2013 को बालको प्रबंधन, प्रशासन और प्रभावित नागरिकों के बीच एक त्रिपक्षीय वार्ता हुई, जिसमें विकल्प (ब) को लागू करने का निर्णय लिया गया।

हालांकि, बाद में बालको ने अपने रुख में बदलाव करते हुए विकल्प (स) लागू करने की बात कही, जो पहले तय की गई योजना के बिल्कुल विपरीत था। आवेदकों का आरोप है कि बालको ने दस्तावेजों में हेरफेर करने और जबरन सहमति लेने जैसे अनैतिक तरीके अपनाए। यहां तक कि शांतिनगर पुनर्वास समिति द्वारा दी गई सहमति को भी एक टंकण त्रुटि बताकर, “बसाहट और नौकरी के बदले उचित मुआवजा” का उल्लेख किया गया, जिसने पूरी प्रक्रिया पर संदेह पैदा कर दिया है।

परिवाद में यह भी बताया गया है कि बालको ने 23 मई 2013 को विकल्प (ब) की बात कही थी, लेकिन 09 जनवरी 2025 के एक पत्र में विकल्प (स) का उल्लेख किया गया है, जो दोनों दस्तावेजों के बीच एक बड़े विरोधाभास को दर्शाता है। इसके अलावा, त्रिपक्षीय वार्ता के दिन ही शांतिनगर पुनर्वास समिति के पदाधिकारियों द्वारा मुख्यमंत्री और प्रमुख सचिव को अलग से सहमति पत्र भेजा जाना भी संदेहास्पद बताया गया है।

आवेदकों का कहना है कि यदि 24 सितंबर 2013 को हुई त्रिपक्षीय वार्ता के दस्तावेज में स्पष्ट रूप से विकल्प (ब) का उल्लेख कर दिया गया होता, तो बालको प्रबंधन विकल्प (स) लागू नहीं कर पाता और प्रभावित परिवारों को इस संकट का सामना नहीं करना पड़ता।

अदालत का निर्देश
इस मामले में प्रस्तुत परिवाद के आधार पर, अदालत ने भारतीय न्याय संहिता की धारा 175(4)(बी) के तहत दोनों अधिकारियों को अगली सुनवाई की तिथि, 23 अगस्त 2025 को व्यक्तिगत रूप से या अपने अधिवक्ता के माध्यम से जवाब प्रस्तुत करने का आदेश दिया है।

इसके साथ ही, धारा 175(4)(ए) के तहत बालको परियोजना प्रमुख के वरिष्ठ सक्षम अधिकारी और तत्कालीन एसडीएम गोविंदराम राठौर के वरिष्ठ अधिकारी (जिला कलेक्टर) को भी निर्देशित किया गया है कि वे इस मामले से संबंधित तथ्यों और परिस्थितियों पर एक विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करें। यह मामला अब न्याय की राह पर है, और देखना होगा कि आगामी सुनवाई में क्या खुलासे होते हैं।

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