रायपुर (पब्लिक फोरम)। इस वर्ष का ‘लोकजतन सम्मान’ बस्तर के जांबाज शहीद पत्रकार मुकेश चंद्राकर को प्रदान किया जाएगा। यह घोषणा ‘लोकजतन’ के संपादक बादल सरोज ने की। सम्मान समारोह आगामी 24 जुलाई को दोपहर 3 बजे, रायपुर प्रेस क्लब में आयोजित होगा।
मुकेश चंद्राकर को यह सम्मान उनकी निर्भीक, जनोन्मुखी तथा कॉरपोरेट-विरोधी पत्रकारिता के लिए मरणोपरांत प्रदान किया जा रहा है। उनकी हत्या इस वर्ष 1 जनवरी को कर दी गई थी और उनका शव एक सेप्टिक टैंक में छिपा दिया गया था। यह घटना न केवल पत्रकारिता जगत के लिए, बल्कि लोकतंत्र के लिए भी एक गंभीर धक्का थी।
‘लोकजतन’ की ओर से जारी वक्तव्य में कहा गया है कि मुकेश चंद्राकर की पत्रकारिता ने बस्तर में लोकतंत्र को खत्म करने की कोशिशों और माओवाद के नाम पर फैलाए गए भय के पर्दे को चीरते हुए स्थानीय सत्ता और पूंजी के गठजोड़ को उजागर किया। उन्होंने कॉरपोरेट हितों की दलाली कर रहे तंत्र को चुनौती दी और उसकी कीमत अपनी जान देकर चुकाई।

‘लोकजतन’ का यह सम्मान हर वर्ष अपने संस्थापक संपादक शैलेन्द्र शैली की जयंती (24 जुलाई) पर ऐसे पत्रकारों को दिया जाता है, जो जन पक्षधर पत्रकारिता के मूल्यों को जिंदा रखे हुए हैं। इससे पूर्व यह सम्मान डॉ. राम विद्रोही, कमल शुक्ला, लज्जाशंकर हरदेनिया, अनुराग द्वारी, राकेश अचल और पलाश सुरजन जैसे चर्चित पत्रकारों को प्रदान किया जा चुका है।
इस अवसर पर शैलेन्द्र शैली व्याख्यानमाला की भी शुरुआत होगी, जो 7 अगस्त तक चलेगी। इस श्रृंखला के पहले व्याख्यान में वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश (नई दिल्ली) “लोकतांत्रिक भारत में पत्रकारिता की चुनौतियां” विषय पर संबोधित करेंगे। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ पत्रकार दिवाकर मुक्तिबोध करेंगे, जबकि विशिष्ट अतिथि के रूप में वरिष्ठ लेखक एवं पूर्व महाधिवक्ता कनक तिवारी उपस्थित रहेंगे।
शैलेन्द्र शैली: संघर्ष और प्रतिबद्धता की विरासत
स्वर्गीय शैलेन्द्र शैली एक बहुआयामी व्यक्तित्व थे—कवि, लेखक, पत्रकार, चित्रकार, संगठनकर्ता और राजनीतिक कार्यकर्ता। आपातकाल के समय मात्र 18 वर्ष की उम्र से भी कम में वे 19 महीने मीसा के तहत जेल में रहे। उन्होंने अपनी बीएससी की पढ़ाई भी जेल से ही पूरी की।
वे एसएफआई की केंद्रीय समिति के सबसे युवा सदस्य और कामरेड सीताराम येचुरी के नेतृत्व में राष्ट्रीय पदाधिकारी रहे। बाद में वे सीपीआई (एम) के सबसे युवा राज्य सचिव और केंद्रीय समिति के सदस्य बने। ‘लोकजतन’ के वे संस्थापक-संपादक थे और उन्होंने संयुक्त मध्यप्रदेश और विशेषतः छत्तीसगढ़ व बस्तर क्षेत्र के कई महत्वपूर्ण जन आंदोलनों में अग्रणी भूमिका निभाई।
‘लोकजतन’: सतत संघर्षशील पत्रकारिता का प्रतीक
‘लोकजतन’ पिछले 26 वर्षों से बिना किसी सरकारी या कॉर्पोरेट विज्ञापन के मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़ क्षेत्र का एक प्रभावी जनपक्षीय पाक्षिक प्रकाशन है। इसने सत्ता, पूंजी और दमन के गठजोड़ के विरुद्ध पत्रकारिता के मूल मूल्यों को जिंदा रखा है।
मुकेश चंद्राकर को दिया जाने वाला यह सम्मान न केवल उन्हें श्रद्धांजलि है, बल्कि उन सभी पत्रकारों को प्रेरणा देने वाला है जो सच बोलने की हिम्मत करते हैं, चाहे कीमत कुछ भी चुकानी पड़े।
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