शनिवार, नवम्बर 23, 2024
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रोजगार की मांग पर भू-विस्थापित किसानों का धरना 28 वें दिन भी जारी

* 29 नवंबर को आक्रोश सभा और मशाल जुलूस निकालेंगे भू विस्थापित किसान

* 1 दिसंबर को कुसमुंडा खदान बंद को सफल बनाने गांव गांव में बैठक कर रहे हैं किसान मिल रहा व्यापक जनसमर्थन

कोरबा/कुसमुंडा (पब्लिक फोरम)। कुसमुंडा क्षेत्र के भू विस्थापित किसान 31 अक्टूबर को 12 घंटे कुसमुंडा खदान को पूर्ण रूप से बंद करने के बाद रोजगार की मांग को लेकर एसईसीएल के कुसमुंडा मुख्यालय के सामने अनिश्चितकालीन धरने पर रोजगार एकता संघ के बेनर तले बैठे हैं आंदोलन की शुरुआत से ही माकपा,किसान सभा के कार्यकर्ता हर दिन आंदोलन स्थल पहुंच कर भू विस्थापितों का हौसला बढ़ाने का काम कर रहे हैं अपने वायदे अनुसार एसईसीएल 30 नवंबर तक सभी को रोजगार नहीं देगी तो 1 दिसंबर को कुसमुंडा खदान को पूर्ण रूप से बंद किया जाएगा।

28 वें दिन चल रहे धरना को संबोधित करते हुए माकपा जिला सचिव प्रशांत झा ने कहा कि जमीन अधिग्रहण के चालीस साल बाद भी पुनर्वास का मसला हल नहीं हुआ दरअसल एसईसीएल कुसमुंडा परियोजना के लिए अधिग्रहित गांवो के ग्रामीण वर्षों से रोजगार की राह ताक रहे हैं वे कार्यालयों का चक्कर लगाकर थक चुके है अब उनके सब्र का बांध टूट चुका है। रोजगार की मांग को लेकर खदान बंद आंदोलन को माकपा का पूर्ण समर्थन रहेगा।

धरना को संबोधित करते हुए रोजगार एकता संघ के सचिव दामोदर और उपाध्यक्ष रेशम यादव ने कहा कि सरकार को विस्थापितों को ऐसा जीवन प्रदान करना चाहिए जिससे उनको लगे की उन्होंने अपनी जमीन नहीं खोया है लेकिन सरकार गरीबों की जमीन लेकर गरीबों को जमीन पर लाकर खड़ा कर देती है। गरीब भू विस्थापित कोर्ट भी नहीं जा सकते उनके पास इतने पैसे भी नहीं है इसके अलावा सालो साल अदालतों में मामले लंबित रह जाते हैं। गरीबों के पास संघर्ष के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा एसईसीएल प्रबंधन और सरकार सभी भू विस्थापित परिवार के एक सदस्य को रोजगार देने की प्रक्रिया जल्द शुरू करे।

रोजगार एकता संघ के अध्यक्ष राधेश्याम कश्यप ने कहा कि वर्ष 1978 से 2004 तक 12 गांव की जमीन का अभिग्रहण किया गया अधिग्रहण के बाद से लगातार रोजगार के लिए संघर्ष कर रहे हैं अब भू विस्थापित बिना रोजगार के घर वापस नहीं जाने वाले हैं आंदोलन रोजगार मिलने तक जारी रहेगा 29 नवंबर को आक्रोश सभा और मशाल जुलूस भी निकाला जाएगा और 1 दिसंबर से पहले रोजगार की मांग पूरी नहीं होने पर 1 दिसंबर को कुसमुंडा खदान को पूर्ण रूप से बंद किया जाएगा आंदोलन को राजनैतिक, सामाजिक संगठनों का व्यापक समर्थन मिल रहा है। आज के धरना में प्रमुख रूप से दीनानाथ कौशिक, मोहन लाल कौशिक, बलराम कश्यप,सनत,विजय, दीपक, अनिरुद्ध, रामप्रसाद, बजरंग सोनी,अनिल बिंझवार, अमरपाल, नरेंद्र, हरिशंकर, अश्वनी,अजय, हेमलाल, चंद्रशेखर, राजेश,रामेश्वर, विनय उपस्थित थे

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