पटना (पब्लिक फोरम)। केंद्र सरकार की मजदूर विरोधी नीतियों, चार श्रम संहिताओं, तीन नए फौजदारी कानूनों, निजीकरण, एनपीएस और बिहार में सघन मतदाता पुनरीक्षण जैसे मुद्दों के खिलाफ, देश के दस केंद्रीय ट्रेड यूनियनों और सेवा संघों के संयुक्त आह्वान पर 9 जुलाई को एक दिवसीय देशव्यापी हड़ताल का आयोजन किया जाएगा। इस हड़ताल में लाखों मजदूर और कर्मचारी भाग लेंगे। बिहार में, ऐक्टू, खेग्रामस, किसान महासभा, स्कीम वर्कर्स फेडरेशन जैसे संगठन इस हड़ताल को मजबूती से आयोजित कर रहे हैं, और विशेष रूप से बिहार के प्रवासी मजदूरों के वोटबंदी के सवाल को जोरदार ढंग से उठाने का निर्णय लिया गया है।
किन मुद्दों पर है हड़ताल?
– चार श्रम संहिताएँ: इन संहिताओं को मजदूरों के लिए गुलामी जैसा बताया जा रहा है, जो उनके अधिकारों को छीन रही हैं।
– तीन नए फौजदारी कानून: इन कानूनों पर भी मजदूर संगठनों ने गहरी चिंता जताई है।
– 12 घंटे का कार्य दिवस: मजदूरों के काम के घंटे बढ़ाकर 12 घंटे करने के आदेश का भी विरोध किया जा रहा है।
– निजीकरण और एनपीएस: सरकारी उपक्रमों के निजीकरण और राष्ट्रीय पेंशन योजना (एनपीएस) के खिलाफ भी यह हड़ताल है।
– ठेकाकरण पर रोक: मजदूरों के स्थायीकरण की मांग को लेकर ठेकाकरण का विरोध किया जा रहा है।
– स्कीम वर्कर्स का मानदेय: आशा, रसोइया, आंगनबाड़ी जैसे लाखों स्कीम वर्कर्स के लिए प्रतिमाह ₹28 हजार मानदेय और सरकारी कर्मचारी का दर्जा देने की मांग की गई है।
– बेतहाशा महंगाई और चरम बेरोजगारी: बढ़ती महंगाई और अत्यधिक बेरोजगारी पर काबू पाने की मांग भी हड़ताल का एक प्रमुख मुद्दा है।
वोटबंदी का सवाल उठेगा पुरजोर
ऐक्टू राज्य महासचिव आरएन ठाकुर ने बताया कि बिहार के लाखों प्रवासी मजदूरों, जिनमें अधिकांश फैक्ट्री और निर्माण क्षेत्रों में काम करते हैं, उनकी वोटबंदी के सवाल को इस हड़ताल के माध्यम से पुरजोर तरीके से उठाया जाएगा। उन्होंने आरोप लगाया कि मोदी-नीतीश सरकार करोड़ों प्रवासी मजदूरों के वोट अधिकार को खत्म कर रही है। इससे पहले भी इस सरकार ने ऐसे करोड़ों निबंधित निर्माण मजदूरों का पिछले 6 महीने से अनुदान बंद कर रखा है।
दीपांकर भट्टाचार्य करेंगे प्रदर्शन का नेतृत्व
इस देशव्यापी हड़ताल में हड़ताली मजदूरों के प्रदर्शन की अगुवाई के लिए माले महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य को आमंत्रित करने का फैसला किया गया है। यह निर्णय ऐक्टू, खेग्रामस, किसान महासभा, स्कीम वर्कर्स फेडरेशन आदि संगठनों के नेताओं ने संयुक्त रूप से लिया है।
अन्य प्रमुख मांगें
आशा, रसोइया, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का मानदेय वृद्धि: इन सामाजिक कार्यकर्ताओं के श्रम का दोहन रोकने और उनके मानदेय में ₹1 की भी वृद्धि नहीं करने का आरोप लगाते हुए, शशि यादव ने 28 हजार रुपए मानदेय और सरकारी कर्मी घोषित करने की मांग की। उन्होंने बिहार सरकार से आशाओं के मानदेय वृद्धि संबंधी समझौते को तत्काल लागू करने की भी मांग उठाई।
रसोइयों का मानदेय: सरोज चौबे ने मध्याह्न भोजन योजना (एमडीएम) को निजी हाथों में सौंपने और पिछले 11 वर्षों से रसोइयों का मानदेय नहीं बढ़ाने का आरोप लगाया। उन्होंने गहन मतदाता पुनरीक्षण के नाम पर गरीब रसोइयों का मतदाता सूची से नाम काटने की साजिश का भी विरोध किया।
एनपीएस-यूपीएस रद्द कर ओपीएस बहाली: कर्मचारी महासंघ (गोप गुट) के अध्यक्ष रामबली प्रसाद ने एनपीएस को रद्द कर पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) बहाल करने की मांग की। उन्होंने संविदा-आउटसोर्स कर्मियों की सेवा नियमित करने और स्थाई कर्मियों के समतुल्य वेतन भुगतान की भी मांग की।
आरक्षित वर्गों को प्रोन्नति: उन्होंने आरक्षित वर्गों के कर्मियों को अन्य वर्गों की तरह प्रोन्नति देने की भी मांग उठाई।
किसानों की भी होगी भागीदारी
अखिल भारतीय किसान महासभा बिहार राज्य सचिव उमेश सिंह ने बताया कि 9 जुलाई की हड़ताल में राज्य भर से हजारों किसान भाग लेंगे और अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन करेंगे। गांवों में काम बंद कर किसान प्रखंड बाजारों पर सभाएं करेंगे और जिला मुख्यालयों पर जुटेंगे।
आम जनता से अपील
ऐक्टू नेताओं ने आम जनता से अपील की है कि वे 9 जुलाई को सड़कों पर उतरकर मजदूरों की हड़ताल को सफल बनाएं और सरकार की जनविरोधी नीतियों का विरोध करें।
संवाददाता सम्मेलन में मौजूद प्रमुख नेता: आरएन ठाकुर (राज्य महासचिव, ऐक्टू, बिहार) धीरेन्द्र झा (राष्ट्रीय महासचिव, खेग्रामस) शशि यादव (एमएलसी सह राष्ट्रीय महासचिव, स्कीम वर्कर्स फेडरेशन व अध्यक्ष, आशा कार्यकर्ता संघ (ऐक्टू))
सरोज चौबे (महासचिव, बिहार राज्य विद्यालय रसोइया संघ (ऐक्टू)) उमेश सिंह (राज्य सचिव, अखिल भारतीय किसान महासभा) रामबली प्रसाद (सम्मानित अध्यक्ष, कर्मचारी महासंघ (गोप गुट) रणविजय कुमार (राज्य सचिव, ऐक्टू, बिहार)।
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