नई दिल्ली/कटनी (पब्लिक फोरम)। ऑल इंडिया सेंट्रल काउंसिल ऑफ ट्रेड यूनियन्स (AICCTU) ने भारतीय रेल कर्मचारी महासंघ (IREF) के तथाकथित चौथे राष्ट्रीय सम्मेलन को फर्जी और पूरी तरह अवैध करार दिया है। यह सम्मेलन रविवार को कटनी में आयोजित किया गया, जिसकी वैधता को लेकर AICCTU ने तीव्र आपत्ति जताई है।
AICCTU के महासचिव राजीव डिमरी ने एक बयान जारी करते हुए कहा कि इस अवैध सम्मेलन का आयोजन IREF से पूर्व में निष्कासित किए जा चुके चार पदाधिकारियों—मनोज पांडे, नरसिंह कुमार, कमल उसरी और राजेंद्र पाल द्वारा किया गया है। इन सभी को पहले ही फेडरेशन विरोधी गतिविधियों के चलते संगठन से बाहर कर दिया गया था।
रेल कर्मचारियों के संघर्ष को कमजोर करने की साज़िश
AICCTU ने आरोप लगाया है कि यह सम्मेलन एक सुनियोजित प्रयास है, जिसका उद्देश्य IREF को भीतर से तोड़ना और रेल कर्मचारियों के व्यापक आंदोलन को कमजोर करना है। संगठन का कहना है कि मौजूदा समय में जब केंद्र सरकार रेलवे के निजीकरण, ठेकाकरण और अन्य जनविरोधी नीतियों के ज़रिए कर्मचारियों पर हमले कर रही है, ऐसे में एकजुटता की आवश्यकता है, न कि विघटन की।
ऐक्टू महासचिव ने कहा कि हाल ही में मान्यता प्राप्त यूनियन के चुनावों में IREF को कर्मचारियों से जबरदस्त समर्थन मिला है। ऐसे में यह सम्मेलन न केवल असंवैधानिक है, बल्कि यह रेल कर्मचारियों के भरोसे के साथ एक खुला विश्वासघात भी है।
निष्कासित नेताओं पर तीखा हमला
AICCTU ने सम्मेलन के आयोजकों पर तीखा हमला करते हुए कहा कि ये नेता निजी स्वार्थों की पूर्ति के लिए संगठन की पीठ में छुरा घोंपने का काम कर रहे हैं। संगठन ने यह भी दावा किया कि यह पूरी गतिविधि कुछ गिने-चुने तत्वों द्वारा प्रायोजित साज़िश का हिस्सा है, जिसे रेल कर्मचारी कतई स्वीकार नहीं करेंगे।
IREF को और मज़बूत बनाने का संकल्प
AICCTU ने स्पष्ट किया कि ऐसे फेडरेशन-विरोधी कृत्यों के खिलाफ मज़बूती से खड़ा रहा जाएगा और IREF को और अधिक मज़बूती के साथ पुनर्गठित किया जाएगा। महासचिव डिमरी ने कहा, “हमें पूरा विश्वास है कि IREF इस संकट से और भी मजबूत होकर उभरेगा और देशभर के रेल कर्मचारियों के संघर्ष का अग्रिम मोर्चा बना रहेगा।”
रेलवे क्षेत्र में बीते कुछ वर्षों से लगातार निजीकरण, आउटसोर्सिंग, स्थाई पदों की समाप्ति, न्यूनतम वेतन पर ठेका श्रमिकों की नियुक्ति जैसे कई मुद्दों को लेकर ट्रेड यूनियनों ने विरोध दर्ज कराया है। ऐसे में AICCTU का यह बयान रेल कर्मचारियों के संगठनात्मक ढांचे और आंदोलन की दिशा को लेकर महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
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