रायपुर (पब्लिक फोरम)। ऑल इंडिया सेंट्रल काउंसिल ऑफ ट्रेड यूनियन्स (ऐक्टू) ने केंद्र सरकार द्वारा 1 जुलाई को मंजूर की गई “99,446 करोड़ रुपये” की “रोजगार लिंक्ड प्रोत्साहन (ELI) योजना” की कड़ी आलोचना की है। ऐक्टू का कहना है कि यह योजना “कॉरपोरेट घरानों को सस्ते श्रम की आपूर्ति करने वाली एक भ्रामक पहल” है, जिससे वास्तविक रोजगार सृजन नहीं होगा।
ELI योजना अस्थायी और कम वेतन वाली नौकरियों को बढ़ावा देगी
ऐक्टू छत्तीसगढ़ के राज्य महासचिव ब्रजेंद्र तिवारी ने बताया कि ELI योजना के तहत कॉरपोरेट्स को सिर्फ चार साल के लिए नए कर्मचारियों को रखने पर सब्सिडी दी जाएगी। उन्होंने कहा, “यह योजना अस्थायी, कम वेतन वाली और अनिश्चित नौकरियों को बढ़ावा देती है। अगर निजी क्षेत्र गुणवत्तापूर्ण रोजगार पैदा करने में विफल रहा है, तो उसे और सब्सिडी देने के बजाय जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए।”
सरकार का दोहरा रवैया: जनता पर ‘रेवड़ी’ का आरोप, कॉरपोरेट्स को मुफ्त की सहायता
ऐक्टू ने सरकार के “दोहरे मापदंड” पर भी सवाल उठाए। कॉमरेड तिवारी ने कहा, “सरकार स्वास्थ्य और शिक्षा पर निवेश को ‘रेवड़ी’ कहकर खारिज करती है, लेकिन कॉरपोरेट्स को हजारों करोड़ की सब्सिडी देना उसे स्वीकार्य लगता है। यह करदाताओं के पैसे की बर्बादी है।”
ट्रेड यूनियनों के सुझावों को नजरअंदाज किया गया
ऐक्टू ने बताया कि उन्होंने श्रम मंत्री को “वैकल्पिक रोजगार सृजन के उपाय” सुझाए थे, जैसे:
– सार्वजनिक क्षेत्र में रिक्त पदों को भरना
– बेहतर वेतनमान लागू करना
– ठेका मजदूरी प्रणाली को विनियमित करना।
लेकिन सरकार ने इन पर विचार किए बिना ही ELI योजना को मंजूरी दे दी।
9 जुलाई की आम हड़ताल में होगा विरोध
AICCTU ने कहा कि 9 जुलाई 2025 को होने वाली ‘आम हड़ताल” में मजदूर संगठन ELI और PLI जैसी “कॉरपोरेट-हितैषी” योजनाओं के खिलाफ जोरदार विरोध प्रदर्शन करेंगे।
क्या है ELI योजना?
ELI (एम्प्लॉयमेंट लिंक्ड इंसेंटिव) योजना के तहत “निजी कंपनियों को नए कर्मचारियों को रखने पर वित्तीय प्रोत्साहन” दिया जाएगा। सरकार का दावा है कि इससे “रोजगार बढ़ेगा”, लेकिन ट्रेड यूनियनों का मानना है कि यह “कॉरपोरेट्स को सस्ता श्रम उपलब्ध कराने की एक चाल” है।
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