कोरबा, छत्तीसगढ़ (पब्लिक फोरम) । एक समय था जब बालको (BALCO) में श्रमिकों को मुफ्त पानी की सुविधा मिलती थी, और कुछ कम पढ़े-लिखे नेताजी तो ‘क्वार्टर फ्री’ समझकर खुश हो जाते थे। लेकिन अब वेदांता के अधिग्रहण के बाद, स्थितियां पूरी तरह बदल गई हैं। जहां पहले दिन में तीन बार मुफ्त पानी उपलब्ध था, वहीं अब इसे घटाकर केवल एक बार (दोपहर में) किए जाने की तैयारी है। इतना ही नहीं, ऐसी अटकलें भी हैं कि वेदांता अब मुफ्त पानी को भी ‘पेड वाटर’ के रूप में बेचना चाहती है, जिस पर ‘वेदांता वाटर’ का लेबल लगा होगा।
यह घटनाक्रम ऐसे समय में सामने आया है जब केंद्र सरकार ‘जल जीवन मिशन’ जैसी महत्वाकांक्षी योजनाएं चला रही है, जिसका उद्देश्य हर घर तक स्वच्छ पानी पहुंचाना है। ऐसे में वेदांता (बालको) जैसी बड़ी कंपनी में श्रमिकों को पानी जैसी मूलभूत सुविधा से वंचित किया जाना कई सवाल खड़े करता है।
पुराने समय की कहानी: ‘वाटर फ्री’ बनाम ‘क्वार्टर फ्री’
बालको में एक दौर था जब कुछ श्रमिक नेता प्रबंधन के साथ हुए समझौतों को ठीक से समझ नहीं पाते थे। एक बार एक समझौता हुआ जिसमें ‘वाटर फ्री’ की बात थी, लेकिन उस समय के नेताजी को लगा कि श्रमिकों को ‘क्वार्टर फ्री’ मिल गया है। जब उन्हें अपनी गलती का एहसास हुआ, तो वे मानसिक सदमे में चले गए और लोगों से मिलना-जुलना बंद कर दिया। बाद में उन्हें समझाया गया कि श्रमिक बारगेनिंग में ऐसी गलतियां होती रहती हैं, और भविष्य में इन गलतियों को न दोहराने की सीख दी गई।
उस नेताजी ने बाद में बताया था कि उन्होंने अपने जन्मदिन पर श्रमिकों को ‘क्वार्टर फ्री’ का तोहफा देने का सपना देखा था, लेकिन यह सपना पूरा नहीं हो सका। हालांकि, तब भी श्रमिकों को दिन में तीन बार मुफ्त पानी मिल रहा था, जिसे एक बड़ी सुविधा माना जाता था।
वेदांता का आगमन और पानी की कटौती
लेकिन वेदांता के बालको में काबिज होने के बाद, स्थिति बिल्कुल बदल गई है। जबकि कोरबा जिले में विशाल बांगो बांध और दर्री बराज से पानी की प्रचुर उपलब्धता है, फिर भी वेदांता के प्रबंधन में श्रमिकों को अब पानी मुफ्त में उपलब्ध नहीं हो रहा है। कभी दिन में तीन बार मुफ्त पानी उपलब्ध होने वाले श्रमिक आवासों और विभिन्न संस्थानों में अब केवल एक बार (केवल दोपहर में) ही पानी उपलब्ध करवाया जाने की तैयारी है।
एक वेदांता कर्मी (अब कोई बालको कर्मी नहीं है।) ने चुटकी लेते हुए बताया कि 15 जून को बालको के एक खास श्रमिक नेता का जन्मदिन था, और जानकारी मिल रही है कि अब भविष्य में वेदांता कर्मियों को दिन में केवल एक बार ही ‘फ्री’ वाला पानी उपलब्ध करवाया जाएगा। उसका कहना था कि प्रबंधन के साथ हुए नए समझौते के अनुसार अब दिन में केवल एक बार ही पानी नसीब हो पाएगा कर्मचारियों को। कुछ स्थानों पर तो प्रबंधन ने इस नए नियम को उस श्रमिक नेता के जन्मदिन के तोहफे के रूप में, श्रमिकों को, 15 जून से ही लागू करना शुरू कर दिया है।
सवाल जो उठते हैं!
– एक ओर जहां भाजपा सरकार ‘जल जीवन मिशन’ चला रही है, वहीं बालको में श्रमिकों को मुफ्त पानी की सुविधा क्यों छीनी जा रही है?
– क्या यह श्रमिक समझौता वास्तव में श्रमिक हितैषी है?
– वेदांता के मालिक जो गंगा मैया के जल को हाथ में लेकर अपने श्रमिक परिवार को समृद्धि का सपना दिखाते थे, क्या अब वे श्रमिकों के लिए पानी को भी ‘पेड’ करने की फिराक में हैं?
यह सवाल सिर्फ बालको के श्रमिकों का नहीं, बल्कि उन सभी लोगों का है जो मानते हैं कि पानी एक मूलभूत अधिकार है।
क्या वेदांता बालको प्रबंधन में सचमुच में ऐसा ही हो रहा है? अगर ऐसा नहीं है, तो यह बहुत अच्छी बात है! लेकिन हमें बताइएगा जरूर! यह एक श्रमिक की खरी-खरी आवाज है, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
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