back to top
होमआसपास-प्रदेशकोरबा नगर निगम में नाम पर विवाद: नेहरू सभागार के नाम से...

कोरबा नगर निगम में नाम पर विवाद: नेहरू सभागार के नाम से छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं – कृपाराम साहू

कोरबा (पब्लिक फोरम)। कोरबा नगर पालिक निगम में उस समय विवाद खड़ा हो गया जब नेता प्रतिपक्ष कृपाराम साहू ने पंडित जवाहर लाल नेहरू सभागार के नाम में किसी भी तरह के बदलाव का कड़ा विरोध किया। उन्होंने इस संबंध में नगरीय निकाय मंत्री अरुण साव सहित कलेक्टर, आयुक्त और महापौर को एक पत्र लिखा है, जिसमें स्पष्ट किया गया है कि यदि नाम बदलने का प्रयास किया जाता है, तो कांग्रेस पार्टी उग्र आंदोलन के लिए बाध्य होगी।

पृष्ठभूमि और विवाद की जड़
कृपाराम साहू ने अपने पत्र में उल्लेख किया है कि पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय पं. जवाहर लाल नेहरू सभागार का निर्माण कांग्रेस शासनकाल के दौरान तात्कालीन राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल द्वारा राजस्व मद से जारी 5 करोड़ रुपए की राशि से कराया गया था। इस सभागार का लोकार्पण भी हो चुका है। हाल ही में कोरबा कलेक्टर द्वारा डीएमएफ मद से सभागार की आंतरिक सजावट के लिए 2 करोड़ रुपए से अधिक की राशि जारी की गई, जिसकी कृपाराम साहू ने सराहना की है।

विवाद तब शुरू हुआ जब आंतरिक सजावट कार्य का शुभारंभ करते हुए मंत्री लखन लाल देवांगन ने सुझाव दिया कि सभागार के आंतरिक कक्ष का नाम पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर रखा जाए। इसी सुझाव पर कृपाराम साहू ने कड़ा ऐतराज जताया है।

कृपाराम साहू का कड़ा रुख
नेता प्रतिपक्ष साहू ने साफ तौर पर कहा है कि सभागार का नाम पहले से ही पंडित जवाहर लाल नेहरू के नाम पर है और कोरबा की जनता इस बात से भली-भांति परिचित है। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि नाम में किसी भी तरह की छेड़छाड़ की जाती है और यह मुद्दा निगम की सामान्य सभा में आता है, तो कांग्रेस इसका पुरजोर विरोध करेगी।

उन्होंने सत्ता के दुरुपयोग को लेकर भी आगाह किया और कहा कि भविष्य में यदि पंडित नेहरू सभागार के आंतरिक कक्ष का नाम किसी अन्य महापुरुष के नाम पर रखने का प्रयास किया जाता है, तो कांग्रेस उग्र आंदोलन करने पर मजबूर होगी। श्री साहू ने जोर देकर कहा कि किसी भी महापुरुष का अपमान करना जन भावनाओं के खिलाफ है और मंत्री लखन लाल देवांगन के इस विवादित सुझाव का वे कड़ा विरोध करते हैं।

स्वस्थ परंपरा और सुझाव
कृपाराम साहू ने अपने पत्र में यह भी कहा कि कांग्रेस कभी भी किसी महापुरुष का अपमान नहीं करती और जिले में हमेशा स्वस्थ परंपरा कायम रहनी चाहिए। उन्होंने स्पष्ट किया कि चूंकि संपूर्ण सभागार का नाम स्वर्गीय नेहरू जी के नाम पर तय होकर लोकार्पण हो चुका है, इसलिए सभागार के आंतरिक कक्ष का नाम किसी अन्य महापुरुष के नाम से हरगिज़ नहीं किया जाना चाहिए।

श्री साहू ने एक रचनात्मक सुझाव भी दिया है। उन्होंने कहा कि कोरबा में ऐसे कई भवन, सड़क मार्ग, गार्डन, चौक-चौराहे हैं जिनका अभी तक नामकरण नहीं हुआ है। उन्होंने प्रस्ताव रखा कि इन स्थानों का नाम अटल जी के नाम पर रखा जा सकता है। इसके अतिरिक्त, यदि कोरबा वासियों के जनहित के लिए कोई नया कार्य या निर्माण कराकर उसका नामकरण अटल जी के नाम पर किया जाता है, तो कांग्रेस उसका आदरपूर्वक सम्मान और स्वागत करेगी। उन्होंने यह भी बताया कि निगम क्षेत्र में अटल चौक का निर्माण प्रगति पर है, जिस पर उन्हें कोई आपत्ति नहीं है।

अब आगे की राह?
कृपाराम साहू के इस कड़े रुख के बाद, अब देखना यह है कि नगरीय निकाय मंत्री अरुण साव और कोरबा निगम प्रशासन इस मामले पर क्या निर्णय लेता है। यह विवाद निश्चित रूप से आने वाले समय में कोरबा की राजनीति में गर्माहट ला सकता है।

RELATED ARTICLES

Most Popular

Recent Comments