नई दिल्ली (पब्लिक फोरम)। अनिल अग्रवाल फाउंडेशन (AAF) की प्रमुख पहल ‘नंद घर’ ने एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। इस पहल के तहत 15 राज्यों में 8,044 आँगनवाड़ियों को महिलाओं और बच्चों के समग्र विकास के लिए आधुनिक केंद्रों में बदला गया है। यह परियोजना वेदांता की ग्रामीण विकास के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाती है। नंद घर के जरिए अब तक 3 लाख से अधिक बच्चों और 2 लाख महिलाओं को प्रारंभिक शिक्षा, पोषण, स्वास्थ्य सेवाएँ और कौशल विकास जैसी सुविधाएँ उपलब्ध कराई जा चुकी हैं।
नंद घर पारंपरिक आँगनवाड़ियों का उन्नत और आधुनिक स्वरूप हैं। ये केंद्र बेहतर बुनियादी ढाँचे के साथ-साथ स्मार्ट शिक्षण उपकरण, इंटरैक्टिव ई-लर्निंग मॉड्यूल, बाला (BaLA) डिज़ाइन और स्मार्ट टीवी जैसी सुविधाओं से लैस हैं। इनका उद्देश्य 3-6 साल के बच्चों के लिए सीखने की प्रक्रिया को रोचक और प्रभावी बनाना है। हर नंद घर में बच्चों के लिए अनुकूल फर्नीचर, बिजली, स्वच्छ पेयजल और साफ-सुथरे शौचालय उपलब्ध हैं, जो उन्हें सुरक्षित और पोषणयुक्त माहौल प्रदान करते हैं।
शिक्षा के साथ-साथ नंद घर कुपोषण से लड़ने में भी अहम भूमिका निभा रहे हैं। यहाँ बच्चों को पौष्टिक आहार और गर्भवती व स्तनपान कराने वाली माताओं को आवश्यक पोषण सहायता प्रदान की जाती है। इसके अतिरिक्त, नियमित टीकाकरण अभियान और स्वास्थ्य शिविरों के जरिए समुदाय के स्वास्थ्य को बेहतर करने का प्रयास किया जा रहा है। नंद घर महिला सशक्तिकरण को भी बढ़ावा दे रहा है। यहाँ महिलाओं को हस्तशिल्प, खाद्य प्रसंस्करण और रिटेल जैसे कौशल प्रशिक्षण से जोड़ा जा रहा है, जिससे वे प्रति माह औसतन 10,000 रुपये तक की आय अर्जित कर रही हैं।
नंद घर अपनी पहुँच को लगातार विस्तार दे रहा है। साल 2024-25 इस पहल के लिए उपलब्धियों से भरा रहा। कुपोषण के खिलाफ लड़ाई में नंद घर ने दो चरणों में प्रोटीन युक्त मिलेट शेक वितरित किए, जिससे छह राज्यों के बच्चों को लाभ पहुँचा। यह FSSAI प्रमाणित और पेटेंटेड मिलेट शेक 23 आवश्यक विटामिन और मिनरल्स से युक्त है, जो रागी, बाजरा, फॉक्सटेल और कोदो जैसे मोटे अनाजों से तैयार किया गया है। सरकार के मिलेट्स को दैनिक आहार में शामिल करने के प्रयासों के अनुरूप, नंद घर की यह पहल पोषण सुरक्षा को बढ़ावा देने की राष्ट्रीय दृष्टि को बल देती है और स्थानीय सुपरफूड्स को प्रोत्साहित करती है।
इस साल मार्च में, AAF ने महाराष्ट्र में पहले नंद घरों का उद्घाटन किया, जिसमें ठाणे में 25 नए केंद्र शुरू किए गए। अपनी पहुंच को और बढ़ाने के लिए फाउंडेशन अगले दो वर्षों में राजस्थान में 20,000 और नंद घर स्थापित करने के लिए प्रतिबद्ध है, ताकि ग्रामीण समुदायों में व्यापक बदलाव लाया जा सके।
यह पहल भारत सरकार के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के दृष्टिकोण से मेल खाती है। मंत्रालय विभिन्न योजनाओं के जरिए 6 साल तक के बच्चों और उनकी माताओं को संपूर्ण देखभाल और पोषण प्रदान करता है। नंद घर में प्रशिक्षित स्टाफ, शिक्षण सामग्री और बच्चों के विकास के लिए विविध गतिविधियाँ उपलब्ध हैं, जो उन्हें सुरक्षित माहौल में बेहतर देखभाल सुनिश्चित करती हैं। देशभर में 14 लाख से अधिक आँगनवाड़ी केंद्र 7 करोड़ से ज्यादा बच्चों को सेवाएँ दे रहे हैं। ऐसे में, नंद घर का मॉडल मौजूदा व्यवस्था को सशक्त करता है और ग्रामीण भारत में महिलाओं व बच्चों के कल्याण के सरकारी प्रयासों को मजबूती प्रदान करता है।
इस उपलब्धि पर प्रिया अग्रवाल हेब्बर, हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड की चेयरपर्सन और वेदांता लिमिटेड की नॉन-एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर, ने कहा, “8,000 नंद घरों की यह यात्रा हमारे उस संकल्प को दर्शाती है, जो जमीनी स्तर पर जीवन में बदलाव लाने के लिए लिया गया है। ये केंद्र केवल आधुनिक आँगनवाड़ियाँ नहीं हैं, बल्कि संभावनाओं के द्वार हैं, जहाँ बच्चे सीखते हैं, बढ़ते हैं और तरक्की करते हैं, वहीं महिलाएँ आत्मनिर्भर बनने के लिए आवश्यक कौशल और संसाधन प्राप्त करती हैं। नंद घर अब एक राष्ट्रव्यापी आंदोलन बन चुका है, जो वास्तविक बदलाव ला रहा है। सरकार और महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के साथ हमारी साझेदारी इस मिशन को और मजबूत कर रही है, जिससे हम पूरे भारत के समुदायों में सार्थक बदलाव लाने में सफल हो रहे हैं।”
नंद घर के सीईओ शशि अरोड़ा ने कहा, “नंद घर का उद्देश्य केवल आँकड़ों तक सीमित नहीं है, बल्कि उन जिंदगियों में बदलाव लाना है, जो हमारे संपर्क में आती हैं। हम स्मार्ट लर्निंग, डिजिटल टूल्स और सतत पोषण कार्यक्रमों के जरिए भारत में आँगनवाड़ी व्यवस्था को नया आयाम दे रहे हैं। पिछले एक साल में हमने अत्याधुनिक डिजिटल लर्निंग मॉड्यूल और विस्तारित पोषण कार्यक्रम शुरू किए हैं, ताकि हर बच्चे को पोषण 2.0 दिशानिर्देशों के अनुसार संतुलित आहार मिल सके। हमारी प्रमुख पहल जैसे ‘खाना खाया क्या?’, मिलेट बार और शेक वितरण अभियान, डिजिटल स्मार्ट लर्निंग मॉडल, बाल विकास और महिला सशक्तिकरण के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को मजबूत करते हैं।”
2025 में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की एकीकृत बाल विकास सेवाओं (ICDS) के 50 साल पूरे होने के मौके पर, नंद घर प्रारंभिक बाल देखभाल और महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में नए कीर्तिमान स्थापित कर रहा है। यह पहल भारत के ग्रामीण समुदायों को सशक्त बनाने के अपने लक्ष्य को दोहराती है, ताकि देश के बच्चे और महिलाएँ स्वस्थ और उज्जवल भविष्य की ओर बढ़ सकें।
अनिल अग्रवाल फाउंडेशन के बारे में:
अनिल अग्रवाल फाउंडेशन वेदांता की सामुदायिक और सामाजिक पहलों का प्रमुख केंद्र है। यह स्वास्थ्य, महिला व बाल विकास, पशु कल्याण और खेल जैसे क्षेत्रों में कार्य करता है। इसका लक्ष्य समुदायों को सशक्त बनाना, जीवन में सकारात्मक बदलाव लाना और सतत व समावेशी विकास के जरिए राष्ट्र निर्माण में योगदान देना है।
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