कोरबा (पब्लिक फोरम)। छत्तीसगढ़ में सियासी तूफान मच गया है। केंद्रीय जांच एजेंसी (CBI) ने 26 मार्च 2025 को पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और कांग्रेस के बड़े नेताओं के घरों व कार्यालयों पर छापेमारी की। कांग्रेस ने इसे राजनीतिक साजिश करार देते हुए बीजेपी सरकार पर निशाना साधा है। इसी कड़ी में आज, 27 मार्च को कोरबा में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने गुस्से का इजहार करते हुए जैलगांव चौक पर बीजेपी सरकार का पुतला जलाया। यह घटना न सिर्फ राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बन गई है, बल्कि आम लोगों के बीच भी भावनाओं को झकझोर रही है।
26 मार्च को CBI ने अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव और छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, भिलाई विधायक देवेंद्र यादव और कई कांग्रेस कार्यकर्ताओं के ठिकानों पर छापे मारे। ये कार्रवाई महादेव सट्टा ऐप मामले से जुड़ी बताई जा रही है, जिसमें करीब 6,000 करोड़ रुपये के घोटाले का आरोप है। कांग्रेस का दावा है कि यह छापेमारी केंद्र की बीजेपी सरकार के इशारे पर की गई, ताकि विपक्षी नेताओं को निशाना बनाया जा सके। भूपेश बघेल ने इसे “द्वेषपूर्ण” और “गैरकानूनी” करार देते हुए कहा कि उनके दिल्ली जाने से ठीक पहले यह कार्रवाई हुई, जो उनकी आवाज दबाने की कोशिश है।
कोरबा में उबला गुस्सा, पुतला दहन से बीजेपी को चेतावनी
CBI की इस कार्रवाई के खिलाफ छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने पूरे राज्य में विरोध का ऐलान किया था। इसी के तहत कोरबा जिला कांग्रेस कमेटी ने जैलगांव चौक पर बीजेपी सरकार का पुतला दहन किया। इस मौके पर जिला अध्यक्ष नत्थू लाल यादव ने कहा, “यह सिर्फ भूपेश बघेल या देवेंद्र यादव के खिलाफ नहीं, बल्कि लोकतंत्र पर हमला है। बीजेपी अपनी नाकामियों को छिपाने के लिए केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है।”
कार्यक्रम में उपाध्यक्ष राजेंद्र सिंह ठाकुर, डॉ. डी आर नेताम, बी सी नामदेव, बलराम यादव जैसे वरिष्ठ नेता मौजूद रहे। कार्यकर्ताओं की भीड़ ने नारे लगाए और बीजेपी के खिलाफ अपना गुस्सा जाहिर किया। महिलाओं और युवाओं ने भी इस विरोध में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया, जिससे माहौल और गर्म हो गया।
यह मामला सिर्फ सियासत तक सीमित नहीं है। भूपेश बघेल छत्तीसगढ़ के उन नेताओं में से हैं, जिन्हें आम लोग अपना हमदर्द मानते हैं। उनके समर्थकों का कहना है कि यह कार्रवाई न सिर्फ उनके नेता को अपमानित करने की कोशिश है, बल्कि उन लोगों की भावनाओं पर चोट है, जो उन पर भरोसा करते हैं। एक कार्यकर्ता ने कहा, “हमारे लिए भूपेश जी सिर्फ नेता नहीं, परिवार के सदस्य जैसे हैं। उनके खिलाफ ऐसी हरकत बर्दाश्त नहीं होगी।”
वहीं, बीजेपी का कहना है कि यह जांच घोटाले की सच्चाई सामने लाने के लिए जरूरी है। छत्तीसगढ़ के उपमुख्यमंत्री अरुण साव ने कहा, “कांग्रेस के शासन में कई घोटाले हुए, जिनकी जांच CBI और ED कर रही है। यह कानून का हिस्सा है, इसमें राजनीति ढूंढना गलत है।”
कांग्रेस इसे लोकतंत्र पर हमला बता रही है। पार्टी के नेताओं का कहना है कि भूपेश बघेल जब से पंजाब के प्रभारी बने हैं, बीजेपी उनसे डरी हुई है। दूसरी ओर, बीजेपी का दावा है कि महादेव सट्टा ऐप मामले में बड़े नेताओं और अधिकारियों की मिलीभगत थी, जिसके सबूत CBI के पास हैं। जांच में कई IPS अधिकारियों और बघेल के करीबियों के घरों पर भी छापे पड़े हैं।
यह घटना लोगों के दिलों को इसलिए भी छू रही है, क्योंकि इसमें सत्ता, कानून और आम आदमी की भावनाएं आपस में टकरा रही हैं। एक तरफ सवाल है कि क्या सचमुच घोटाला हुआ? दूसरी तरफ यह भावना कि क्या यह सब विपक्ष को कुचलने की साजिश है?
CBI की कार्रवाई और कांग्रेस के विरोध ने छत्तीसगढ़ की सियासत को गरमा दिया है। आने वाले दिनों में यह मामला और तूल पकड़ सकता है। भूपेश बघेल ने कहा है, “हम डरने वाले नहीं हैं। सच्चाई सामने आएगी।” वहीं, बीजेपी इसे कानून का पालन बता रही है। इस बीच, कोरबा की सड़कों पर जलता पुतला इस बात का सबूत है कि यह लड़ाई अब सिर्फ कोर्ट तक नहीं, बल्कि जनता के दिलों तक पहुंच गई है।
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