back to top
रविवार, जुलाई 27, 2025
होमआसपास-प्रदेशदिन में भी दिखना हुआ मुश्किल: दीपका में वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर...

दिन में भी दिखना हुआ मुश्किल: दीपका में वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर पर

सांसों पर भारी पड़ रहा कोयले का धुआं, जहरीली होती आबोहवा

कोरबा (पब्लिक फोरम)। देश की सबसे बड़ी कोयला खदानों में शामिल गेवरा, दीपका और कुसमुंडा क्षेत्र में वायु प्रदूषण भयावह स्तर पर पहुंच चुका है। हवा में घुलती कोयले की धूल और जहरीले कणों के कारण यहां लोगों का जीना दूभर हो गया है। स्थिति इतनी गंभीर हो गई है कि दिन में भी वातावरण काला नजर आ रहा है, और सांस लेना मुश्किल होता जा रहा है।

खतरनाक स्तर पर पहुंचा प्रदूषण
शनिवार को दीपका में पीएम 2.5 का स्तर 374 और पीएम 10 का स्तर 411 को पार कर गया, जो वायु गुणवत्ता के लिहाज से ‘गंभीर’ श्रेणी में आता है। जैसे ही शाम हुई, पूरा क्षेत्र धुंध और धूल की चादर में समा गया। लोगों को आंखों में जलन, गले में खराश और सांस लेने में तकलीफ की शिकायतें होने लगीं। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के आंकड़ों के अनुसार, पिछले कुछ दिनों से इस क्षेत्र की हवा की गुणवत्ता लगातार गिर रही है, जिससे स्थानीय निवासियों की सेहत पर गंभीर खतरा मंडरा रहा है।

प्रदूषण का मुख्य कारण: कोयला खनन और परिवहन
विशेषज्ञों के अनुसार, दीपका में बढ़ते वायु प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण कोयला खनन और परिवहन प्रक्रिया है। गेवरा और दीपका प्रोजेक्ट से रोजाना लाखों टन कोयला निकाला जाता है, जिसे सड़क मार्ग से स्टॉक तक पहुंचाया जाता है। वहां से इसे विभिन्न स्थानों तक भेजा जाता है। इस दौरान लोडिंग और अनलोडिंग प्रक्रिया के कारण भारी मात्रा में कोल डस्ट उड़ता है, जो आसपास के वातावरण को प्रदूषित कर रहा है।

स्थानीय लोगों की बढ़ती परेशानी
दीपका और आसपास के इलाकों में रहने वाले लोगों की सेहत पर इसका सीधा असर पड़ रहा है। बुजुर्गों, बच्चों और अस्थमा के मरीजों के लिए यह स्थिति और भी घातक बनती जा रही है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि दीर्घकालिक रूप से इस तरह के प्रदूषण के संपर्क में रहने से फेफड़ों के गंभीर रोग, हृदय संबंधी समस्याएं और कैंसर जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है।

क्या हो सकता है समाधान?
विशेषज्ञों का मानना है कि कोयला खदानों में धूल नियंत्रण के प्रभावी उपाय अपनाने की जरूरत है। इसके लिए:
– कोयला परिवहन के दौरान पानी का छिड़काव बढ़ाया जाए।
– परिवहन ट्रकों को ढककर चलाने के सख्त नियम लागू किए जाएं।
– वृक्षारोपण और ग्रीन बेल्ट विकसित करने पर जोर दिया जाए।
– हवा की गुणवत्ता की नियमित निगरानी कर तत्काल सुधारात्मक कदम उठाए जाएं।

सरकार और प्रशासन से उम्मीदें
स्थानीय निवासियों का कहना है कि प्रशासन को इस मामले को गंभीरता से लेना चाहिए। कोयला कंपनियों पर वायु प्रदूषण कम करने के लिए कड़े नियम लागू करने की जरूरत है। यदि समय रहते समाधान नहीं निकाला गया, तो यह क्षेत्र गंभीर स्वास्थ्य आपदा की ओर बढ़ सकता है।

दीपका में वायु प्रदूषण अब सिर्फ एक आंकड़ा नहीं, बल्कि एक बड़ी मानवीय त्रासदी का संकेत है। सरकार, कोयला कंपनियों और स्थानीय प्रशासन को मिलकर इसे नियंत्रित करने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे, ताकि यहां रहने वाले लोगों को साफ हवा और बेहतर स्वास्थ्य मिल सके।

50 साल की सेवा, फिर भी न कर्मचारी का दर्जा, न...

आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का हक और उनका संघर्ष: आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को भेजा ज्ञापन रायपुर/नई दिल्ली (पब्लिक फोरम)। देशभर में कार्यरत करीब 27...
RELATED ARTICLES

Most Popular

Recent Comments