बिलासपुर/बालकोनगर (पब्लिक फोरम)। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने बालको प्रबंधन और ठेकेदार एके सिन्हा को 65 लाख 54 हजार 48 रुपए की बकाया राशि 60 दिनों के भीतर जमा करने का सख्त आदेश दिया है। यह राशि 200 से अधिक कर्मचारियों की भविष्य निधि (पीएफ) से जुड़ी है, जिसे नियोक्ताओं ने जमा नहीं किया था। इस लापरवाही के कारण कर्मचारियों की सामाजिक सुरक्षा और भविष्य प्रभावित हुआ है।
बालको प्लांट में काम करने वाले ठेकेदार एके सिन्हा के अंतर्गत 200 से अधिक कर्मचारी रखरखाव, स्वच्छता, स्टोर, वेल्डिंग और जल प्रबंधन जैसे कार्यों में लगे हुए हैं। लेकिन जांच में पाया गया कि ठेकेदार ने इन कर्मचारियों की पीएफ राशि काटी तो, लेकिन उसे जमा नहीं किया। इसके साथ ही बालको प्रबंधन ने भी इस मामले में कोई निगरानी नहीं रखी, जिससे कर्मचारियों का पैसा उनके भविष्य निधि खाते में नहीं पहुंच पाया।
ईपीएफओ का सख्त रुख
ईपीएफओ ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए बालको प्रबंधन और ठेकेदार एके सिन्हा को 60 दिनों के भीतर 65.54 लाख रुपए की बकाया राशि जमा करने का आदेश दिया है। यह कदम 200 कर्मचारियों के हितों को सुरक्षित करने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
कर्मचारियों की पीड़ा
इस मामले ने कर्मचारियों की आर्थिक और सामाजिक सुरक्षा को गंभीर रूप से प्रभावित किया है। पीएफ न केवल कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति के समय आर्थिक सहायता प्रदान करता है, बल्कि यह उनके परिवार की सुरक्षा का भी एक महत्वपूर्ण साधन है। ऐसे में, जब उनका पैसा ही उनके खाते में नहीं पहुंचता, तो यह उनके भविष्य के सपनों पर सीधा प्रहार होता है।
ईपीएफओ के इस आदेश से 200 कर्मचारियों को उनका हक मिलने की उम्मीद बढ़ गई है। हालांकि, यह मामला एक बार फिर यह याद दिलाता है कि कर्मचारियों के अधिकारों और सामाजिक सुरक्षा को सुनिश्चित करने में नियोक्ताओं की जिम्मेदारी कितनी महत्वपूर्ण है।
यह घटना न केवल बालको और ठेकेदार एके सिन्हा के लिए एक सबक है, बल्कि यह सभी नियोक्ताओं के लिए एक चेतावनी भी है कि कर्मचारियों के अधिकारों के साथ कोई समझौता नहीं किया जा सकता। ईपीएफओ के इस कदम से कर्मचारियों को न्याय मिलने की उम्मीद है, लेकिन यह भी जरूरी है कि ऐसे मामलों में सख्त कार्रवाई की जाए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।
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