मंगलवार, फ़रवरी 4, 2025
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कोरबा: फ्लोरामैक्स ठगी पीड़ित महिलाओं का संघर्ष, चुनाव बहिष्कार की चेतावनी! 

कोरबा (पब्लिक फोरम)। फ्लोरामैक्स कंपनी से ठगी का शिकार हुईं हजारों महिलाओं का संघर्ष अब भी जारी है। सोमवार को पीड़ित महिलाओं ने एक बार फिर कलेक्टर कार्यालय का रुख किया और अपनी मांगों को लेकर तत्काल कार्रवाई की अपील की। उन्होंने साफ कहा कि अगर प्रशासन ने जल्द ठोस कदम नहीं उठाए, तो वे नगरीय निकाय चुनाव का बहिष्कार करेंगी। 

पीड़ित महिलाओं का आंदोलन! 
फ्लोरामैक्स कंपनी से ठगी का शिकार हुईं महिलाएं पिछले कई महीनों से संघर्ष कर रही हैं। चुनाव आचार संहिता लागू होने से पहले ये महिलाएं लगातार 10 से 15 दिनों तक अनशन पर बैठी थीं। उस दौरान कई संगठनों ने उनके आंदोलन को समर्थन दिया था। जिले में मंत्रियों के आगमन के समय इन महिलाओं ने घेराव करके इस मामले को सरकार के सामने उठाने की कोशिश की थी। 
प्रशासन ने कुछ समय के लिए सक्रियता दिखाते हुए माइक्रोफाइनेंस कंपनियों के कई एजेंटों को गिरफ्तार भी किया था, जिससे इन कंपनियों पर दबाव बना रहा। लेकिन, महिलाओं की मुख्य मांग लोन माफी की रही, जिस पर अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। 

एजेंटों का दोबारा अत्याचार!
हालांकि, अब पीड़ित महिलाओं का आरोप है कि माइक्रोफाइनेंस कंपनियों के एजेंट एक बार फिर उनके घरों में आकर उन्हें मानसिक रूप से प्रताड़ित कर रहे हैं। महिलाओं ने सवाल उठाया है कि जब प्रशासन ने इन कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू की है, तो फिर इन एजेंटों को उन्हें परेशान करने की अनुमति क्यों दी जा रही है? 

चुनाव बहिष्कार की चेतावनी!
पीड़ित महिलाओं ने कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक को ज्ञापन सौंपते हुए मांग की है कि प्रशासन इस मामले में तुरंत ठोस कदम उठाए। उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर जल्द कार्रवाई नहीं हुई, तो कोरबा नगर पालिका निगम क्षेत्र की करीब 10 से 12 हजार पीड़ित महिलाएं नगरीय निकाय चुनाव का बहिष्कार करेंगी। इसके अलावा, जिलेभर की 30 से 40 हजार महिलाएं भी अपने-अपने क्षेत्रों में चुनाव बहिष्कार का मन बना रही हैं। 

चुनाव पर पड़ सकता है असर! 
महिलाओं के इस ऐलान से नगरीय निकाय चुनाव प्रभावित होने की संभावना बढ़ गई है। अगर यह आंदोलन और बढ़ता है, तो न केवल प्रशासन बल्कि राजनीतिक दलों को भी मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। अब सवाल यह है कि प्रशासन इस गंभीर मामले पर क्या निर्णय लेता है और क्या राजनीतिक दल इन महिलाओं को मनाने में सफल होंगे? 
इस पूरे मामले का मानवीय पहलू बेहद दर्दनाक है। ये महिलाएं न केवल आर्थिक रूप से बल्कि मानसिक रूप से भी प्रताड़ित हो रही हैं। उनका संघर्ष सिर्फ लोन माफी तक सीमित नहीं है, बल्कि उन्हें अपने अधिकारों और सम्मान की लड़ाई लड़नी पड़ रही है। प्रशासन और सरकार को इस मामले में संवेदनशीलता और तत्परता दिखाने की जरूरत है, ताकि इन महिलाओं का विश्वास वापस लौट सके। 

आने वाले दिनों में यह मामला और गरमा सकता है। प्रशासन और राजनीतिक दलों के लिए यह एक बड़ी चुनौती होगी कि वे इन महिलाओं की मांगों को कैसे संज्ञान में लेते हैं और उन्हें न्याय दिलाने के लिए क्या कदम उठाते हैं। अगर जल्द ही कोई ठोस समाधान नहीं निकाला गया, तो यह आंदोलन और बड़े स्तर पर फैल सकता है, जिससे स्थानीय चुनावों पर भी असर पड़ सकता है। 
इस मामले में प्रशासन की भूमिका निर्णायक होगी। क्या वह इन महिलाओं को न्याय दिला पाएगा, यह आने वाले दिनों में देखने वाली बात होगी।

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