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मंगलवार, फ़रवरी 4, 2025
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कोरबा में बालको के विस्तार से सड़क सुरक्षा संकट: सैकड़ों अधिवक्ता सहित 30 हजार नागरिकों की जान जोखिम में!

कोरबा (पब्लिक फोरम)। वेदांता समूह की कंपनी भारत एल्युमिनियम कंपनी लिमिटेड (बालको) के विस्तार कार्यों ने कोरबा के मुख्य मार्ग पर गंभीर सुरक्षा संकट पैदा कर दिया है। स्थानीय अधिवक्ता रघुनंदन सिंह ठाकुर ने मुख्यमंत्री विष्णु देव साय को शिकायत पत्र भेजकर आरोप लगाया है कि कंपनी ने “मनमाने तरीके से” सार्वजनिक मार्ग को अवरुद्ध कर 100 से अधिक वकीलों और 30 हजार से अधिक नागरिकों की सुरक्षा को खतरे में डाल दिया है। 

बालको नगर से जिला न्यायालय (आई.टी.आई चौक) को जोड़ने वाला मुख्य मार्ग पिछले एक साल से कंपनी के विस्तार कार्यों के चलते अस्त-व्यस्त है। श्री ठाकुर के अनुसार, कंपनी ने इस मार्ग पर अतिरिक्त प्रवेश द्वार बनाया है, जहाँ कर्मचारियों की भीड़ और भारी वाहनों का यातायात अब आम नागरिकों के लिए जानलेवा साबित हो रहा है। साथ ही, मार्ग के सामने मिक्सिंग प्लांट और वाहन यार्ड के निर्माण से दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ गया है। 

– सुरक्षा का संकट: मार्ग पर ट्रैफिक जाम, अतिक्रमण और बिना सुरक्षा प्रबंधन के चलते दुर्घटनाओं का खतरा बना हुआ है। 
– वैकल्पिक मार्ग का अभाव: कंपनी की स्थापना काल से इसी मार्ग का उपयोग कर रहे आम नागरिकों के पास कोई दूसरा विकल्प नहीं। 
– प्रशासनिक लापरवाही: अधिवक्ता ठाकुर का आरोप है कि प्रशासन बालको के “तानाशाही रवैये” पर चुप्पी साधे हुए है। 

गुरुवार को जारी शिकायत पत्र में अधिवक्ता ने स्पष्ट किया कि यदि 48 घंटों में प्रशासन ने कार्रवाई नहीं की, तो मामला न्यायालय पहुँचेगा। उन्होंने चेतावनी दी कि “भविष्य में होने वाली किसी भी दुर्घटना की जिम्मेदारी बालको और प्रशासन की होगी।” 

– वकील समुदाय: प्रतिदिन 100 से अधिक अधिवक्ता इस मार्ग से न्यायालय आते-जाते हैं। 
– आम नागरिक: बालको नगर और आसपास के 30,000 से अधिक निवासियों का जीवन इस मार्ग पर निर्भर है। 
– कर्मचारी और छात्र: स्कूली बच्चों व महिलाओं के लिए भीड़भाड़ वाला मार्ग असुरक्षित हो गया है। 

बालको ने मुख्य मार्ग को अपनी “निजी संपत्ति” समझकर अतिक्रमण किया है। नए प्रवेश द्वार पर वाहनों की अव्यवस्था, मिक्सिंग प्लांट के पास धूल और शोर प्रदूषण, तथा भारी ट्रकों की आवाजाही ने स्थिति को और विकट बना दिया है। अधिवक्ता ठाकुर ने कहा, “यह मानवता विरोधी कार्य है। कंपनी अपने मुनाफे के लिए आम जनजीवन की कीमत पर खेल रही है।” 

– तत्काल कार्रवाई की माँग: मार्ग को अवरुद्ध करने वाली बाधाएँ हटाने और यातायात प्रबंधन की व्यवस्था करने की अपील। 
– प्रशासन की भूमिका: अधिवक्ता ठाकुर ने जिला प्रशासन से “तटस्थता और मानवीय संवेदनशीलता” के साथ हस्तक्षेप करने की माँग की है। 
– कानूनी लड़ाई का संकेत: यदि समाधान नहीं निकला, तो मामला कोर्ट तक पहुँचेगा, जिसमें प्रशासन भी प्रतिवादी बनेगा। 

यह मामला सिर्फ एक मार्ग का नहीं, बल्कि सार्वजनिक सुरक्षा और कॉर्पोरेट जिम्मेदारी का सवाल है। बालको जैसी बड़ी कंपनियों के लिए यह जरूरी है कि वे विकास के नाम पर समाज के हितों को नज़रअंदाज़ न करें। प्रशासन की त्वरित कार्रवाई ही कोरबा के नागरिकों को इस संकट से उबार सकती है। 

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