कांकेर (पब्लिक फोरम)। कांकेर नगर पालिका के प्लेसमेंट कर्मचारियों के दो महीने के संघर्ष ने आखिरकार अपना रंग दिखाया। जिला प्रशासन को अंततः नगर पालिका की प्लेसमेंट एजेंसी का ठेका निरस्त करने पर मजबूर होना पड़ा। राजमिस्त्री मजदूर रेजा कुली एकता यूनियन के राज्य महासचिव ओम प्रकाश देवांगन ने इसे कर्मचारियों की ऐतिहासिक जीत बताया है।
संघर्ष की पृष्ठभूमि
नगर निकायों के प्लेसमेंट कर्मचारियों को लंबे समय से अपने अधिकारों से वंचित रखा जा रहा था। नियमित वेतन न मिलना, भविष्य निधि (PF) और कर्मचारी राज्य बीमा (ESI) में योगदान का अभाव, और श्रम कानूनों का खुलेआम उल्लंघन जैसी समस्याएं कर्मचारी झेल रहे थे। इन मुद्दों को लेकर राजमिस्त्री मजदूर रेजा कुली एकता यूनियन ने कर्मचारियों का साथ दिया और संघर्ष को मजबूत किया।
यूनियन का समर्थन और मांगें
यूनियन ने जिलाधीश और मुख्य नगर पालिका अधिकारी को शिकायत पत्र देकर प्लेसमेंट एजेंसी का ठेका निरस्त करने की मांग की थी। यूनियन का आरोप था कि एजेंसी न केवल श्रम कानूनों का उल्लंघन कर रही है, बल्कि सरकारी आदेशों और ठेका शर्तों का भी पालन नहीं कर रही है।
यूनियन के अनुसार:
– कर्मचारियों को समय पर वेतन नहीं मिला।
– भविष्य निधि और ईएसआई का नियमित योगदान नहीं किया गया, जिससे कर्मचारी और उनके परिवार चिकित्सा सुविधाओं से वंचित रहे।
– ठेका नियमों के अनुसार निर्धारित तिथि पर भुगतान में असफल रहा।
यूनियन के उपाध्यक्ष नजीब कुरैशी ने ठेका निरस्त किए जाने को अपर्याप्त मानते हुए मांग की कि प्लेसमेंट एजेंसी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाए।
यूनियन के कार्यकारी अध्यक्ष सुखरंजन नंदी ने सुझाव दिया कि ठेकेदार के अंतिम भुगतान पर रोक लगाई जाए और जब तक भविष्य निधि और अन्य शिकायतों का समाधान नहीं होता, तब तक कोई राशि जारी न की जाए। उन्होंने ठेका शर्तों के उल्लंघन के लिए जमा राशि को राजसात करने की भी मांग की।
भविष्य की मांगें
यूनियन ने यह भी आग्रह किया कि जिला के अन्य नगर पंचायतों और निकायों में चल रही इसी तरह की प्लेसमेंट एजेंसियों का ठेका निरस्त किया जाए और श्रम कानूनों का पालन सुनिश्चित हो।
यह जीत न केवल कांकेर के कर्मचारियों के लिए, बल्कि श्रमिक आंदोलन के लिए भी एक महत्वपूर्ण उदाहरण है। यह संघर्ष उन हजारों श्रमिकों को प्रेरणा देगा, जो अपने अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं। जिला प्रशासन की यह कार्रवाई श्रम कानूनों के पालन को प्राथमिकता देने का स्पष्ट संकेत है।
कांकेर के कर्मचारियों की यह जीत संघर्ष और एकता की ताकत को दर्शाती है।
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