कर्मचारियों की मेहनत पर भारी प्रबंधकीय वेतन
लार्सन एंड ट्यूब्रो (L&T) के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक एस.एन. सुब्रह्मण्यन ने वित्त वर्ष 2023-24 में कुल 51.05 करोड़ का वेतन प्राप्त किया, जो पिछले वर्ष की तुलना में 43% अधिक है। यह वेतन कंपनी के औसत कर्मचारी वेतन से 534.57 गुना अधिक है। इस असमानता ने कार्यस्थल पर समानता और वेतन नीति पर गंभीर प्रश्न उठाए हैं।
कितना है वेतन का अंतर?
सुब्रह्मण्यन के वेतन पैकेज में 3.6 करोड़ बेस सैलरी, 1.67 करोड़ भत्ते, 35.28 करोड़ कमीशन और 10.5 करोड़ रिटायरमेंट बेनिफिट्स शामिल हैं। दूसरी ओर, L&T के औसत कर्मचारी का वार्षिक वेतन 9.55 लाख है।
सप्ताह में 90 घंटे काम की सलाह पर विवाद
हाल ही में, सुब्रह्मण्यन ने कर्मचारियों को सप्ताह में 90 घंटे काम करने और रविवार को भी ऑफिस आने की सलाह दी थी। उनके इस बयान पर सोशल मीडिया पर तीव्र प्रतिक्रिया हुई। कई उपयोगकर्ताओं ने इसे असंवेदनशील और कर्मचारियों के कार्य-जीवन संतुलन को नजरअंदाज करने वाला बताया।
कर्मचारियों को मिली कम वेतन वृद्धि
जहां कंपनी ने वित्त वर्ष 2023-24 में 21% की वृद्धि के साथ ₹2,21,113 करोड़ का राजस्व और 25% की वृद्धि के साथ ₹13,059 करोड़ का कर पश्चात लाभ दर्ज किया, वहीं कर्मचारियों को केवल 1.74% औसत वेतन वृद्धि मिली। यह वेतन वृद्धि मुख्य रूप से प्रबंधकीय कर्मियों को छोड़कर अन्य कर्मचारियों के लिए थी।
सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं ने सुब्रह्मण्यन के वेतन और कर्मचारियों की कम वेतन वृद्धि के बीच बड़े अंतर को उजागर किया। एक उपयोगकर्ता ने लिखा, “जहां चेयरमैन का वेतन इतना अधिक है, वहीं कर्मचारियों को मेहनत के बावजूद औसत वेतन मिलता है। यह असमानता चिंता का विषय है।”
कार्यस्थल समानता और नैतिकता पर सवाल
सुब्रह्मण्यन के बयान और वेतन संरचना ने कार्यस्थल पर समानता और नैतिकता पर व्यापक बहस को जन्म दिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसी असमान वेतन संरचना न केवल कर्मचारियों के मनोबल को गिराती है, बल्कि यह कंपनी की छवि पर भी नकारात्मक प्रभाव डालती है।
L&T जैसी बड़ी कंपनियों को न केवल अपने प्रबंधन और कर्मचारियों के बीच वेतन असमानता को कम करने की दिशा में काम करना चाहिए, बल्कि कर्मचारियों के कार्य-जीवन संतुलन और भलाई पर भी ध्यान देना चाहिए। आर्थिक लाभ के साथ-साथ नैतिक मूल्यों को भी बरक़रार रखना एक आदर्श व जिम्मेदार संगठन की पहचान होनी चाहिए।
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