सैन फ्रांसिस्को में इलाज के दौरान हुआ निधन, संगीत जगत में शोक की लहर
मुंबई। संगीत की दुनिया के महानायक और भारतीय शास्त्रीय संगीत के अमर प्रतीक उस्ताद जाकिर हुसैन का निधन हो गया है। वे लंबे समय से बीमार थे और उनका इलाज सैन फ्रांसिस्को के एक अस्पताल में चल रहा था। उनके निधन की खबर से न केवल भारत, बल्कि पूरे विश्व के संगीत प्रेमियों के दिलों में शोक की गूंज सुनाई दे रही है।
पद्म विभूषण से सम्मानित उस्ताद जाकिर हुसैन भारतीय शास्त्रीय संगीत के महान तबला वादक थे। उनका जन्म 9 मार्च 1951 को मुंबई में हुआ था। बचपन से ही संगीत के प्रति उनके प्रेम और लगन ने उन्हें विश्व पटल पर खड़ा कर दिया। वे भारतीय शास्त्रीय संगीत के अलावा फ्यूजन और वर्ल्ड म्यूजिक के क्षेत्र में भी बेजोड़ थे। उन्होंने तबले को नए आयाम दिए और इसे वैश्विक मंच पर विशेष पहचान दिलाई।
उस्ताद जाकिर हुसैन का योगदान भारतीय शास्त्रीय संगीत तक सीमित नहीं था। उन्होंने पश्चिमी संगीतकारों के साथ मिलकर कई अंतरराष्ट्रीय परियोजनाओं में काम किया और भारतीय संगीत की सुगंध को पूरी दुनिया में फैलाया। उनके सुर और ताल के जादू ने हर पीढ़ी को मंत्रमुग्ध किया।
उस्ताद जाकिर हुसैन के निधन से संगीत जगत में गहरी शोक की लहर दौड़ गई है। उनके सहयोगी और प्रशंसक उन्हें ‘तबले का जादूगर’ कहते थे। उनके निधन को भारतीय संगीत के लिए एक अपूरणीय क्षति माना जा रहा है। उनके जाने से एक ऐसा शून्य पैदा हुआ है जिसे भर पाना नामुमकिन सा लगता है।
जाकिर हुसैन ने अपनी मेहनत और लगन से संगीत की नई ऊंचाइयों को छुआ। उनकी संगीत यात्रा यह संदेश देती है कि भारतीय शास्त्रीय संगीत न केवल हमारी सांस्कृतिक धरोहर है, बल्कि यह विश्वभर में लोगों को जोड़ने का माध्यम भी है। उनके जाने के बाद भी उनकी संगीत धारा अनवरत बहती रहेगी। उनकी स्मृति में आज हम सब का सिर श्रद्धा से झुकता है।
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