हाईब्रिड नेशनल लोक अदालत में 19,582 प्रकरणों का सफल निपटारा
कोरबा (पब्लिक फोरम)। 14 दिसंबर 2024 को राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (NALSA) और छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण बिलासपुर के निर्देशन में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण कोरबा द्वारा वर्ष 2024 की चौथी और अंतिम हाईब्रिड नेशनल लोक अदालत का आयोजन किया गया। जिला एवं तहसील स्तर पर आयोजित इस कार्यक्रम की अध्यक्षता श्री सत्येंद्र कुमार साहू, प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश/अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण कोरबा ने की।
कार्यक्रम में कई न्यायाधीश और अधिकारियों ने भाग लिया, जिनमें प्रथम जिला एवं अपर सत्र न्यायाधीश श्रीमती गरिमा शर्मा, तृतीय अपर सत्र न्यायाधीश श्री सुनील कुमार नंदे, और अन्य वरिष्ठ न्यायिक अधिकारी शामिल थे। इस अवसर पर 25,341 प्रकरण रखे गए, जिनमें से 4,889 लंबित और 20,452 प्री-लिटिगेशन के मामले थे। समझौते के आधार पर 19,582 प्रकरणों का निपटारा किया गया।
तालुका स्तर पर भी लोक अदालत का आयोजन हुआ, जिसमें राजीनामा योग्य दांडिक और सिविल प्रकरणों का निपटारा किया गया।

सक्सेस स्टोरी: लोक अदालत से जीवन में नई उम्मीद
1. माता-पुत्र विवाद का समाधान: वृद्धा को मिला सहारा
कोरबा की लोक अदालत में एक वृद्ध महिला द्वारा दायर मामले में उन्हें न्याय मिला। 2018 में पति की मृत्यु के बाद महिला ने अपने पुत्र को अनुकंपा नियुक्ति पर 50% वेतन भरण-पोषण के लिए देने की शर्त पर नामांकित किया। लेकिन नौकरी मिलने के बाद पुत्र ने अपनी मां और परिवार का भरण-पोषण बंद कर दिया।
माननीय न्यायालय और लोक अदालत के प्रयासों से दोनों पक्षों में समझौता हुआ। अब पुत्र हर महीने ₹30,000 सीधे अपनी मां के खाते में जमा करेगा। यह मामला लोक अदालत की प्रभावशीलता को दर्शाता है।

2. 9 वर्षों से लंबित जमीन विवाद का हल
जिले के विभिन्न गांवों में 2016 से चल रहे जमीन विवाद में वादी और प्रतिवादी के बीच समझौता हुआ। लंबे समय से लंबित यह मामला लोक अदालत में बिना किसी दबाव के सुलझा लिया गया। इस सफलता ने न केवल विवाद का अंत किया बल्कि आपसी सहमति से न्यायिक प्रक्रिया की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया।

3. दुर्घटना में मृतक के परिवार को मिला न्याय
एक पुलिसकर्मी की सड़क दुर्घटना में मृत्यु के बाद उसका परिवार न्याय की प्रतीक्षा में था। मृतक के परिवार ने मुआवजे की मांग की थी, जिसे लोक अदालत के माध्यम से ₹65 लाख के मुआवजे के रूप में तय किया गया। बीमा कंपनी को निर्देश दिया गया कि वह यह राशि 30 दिनों के भीतर आवेदक को अदा करे। इस फैसले ने बेसहारा परिवार को सहारा और नई उम्मीद दी।
नेशनल लोक अदालत न केवल विवादों को सुलझाने का माध्यम है बल्कि यह त्वरित और मानवीय न्याय प्रदान करने का प्रतीक बन चुकी है। “ना जीत, ना हार, सिर्फ समाधान” की सोच के साथ लोक अदालत ने समाज को न्याय के करीब लाने का महत्वपूर्ण कार्य किया है।
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